प्रयागराजः राजकीय डिग्री कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए ऐसे अभ्यर्थी भी आवेदन कर सकेंगे. जिनके स्नातक में 45 फीसदी से कम अंक है. कोर्ट ने इस संबंध में लोक सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन में उचित संशोधन करने का निर्देश दिया है. विज्ञापन में ये शर्त थी कि आवेदन करने वाले अभ्यर्थी का स्नातक में न्यूनतम 45 फीसदी अंक होना चाहिए. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती देकर कहा गया कि यूजीसी ने 2018 में ही ये अनिवार्यता समाप्त कर दी है. गोपाल सिंह और अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सुनवाई की.
इससे पूर्व कोर्ट ने लोकसेवा आयोग और राज्य सरकार से इस मामले में जानकारी मांगी थी. कोर्ट को बताया गया कि लोकसेवा आयोग ने 24 नवंबर 2020 को राजकीय डिग्री कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला. जिसमें शर्त है कि आवेदन करने वाले अभ्यर्थी का स्नातक में न्यूनतम 45 फीसदी अंक होना चाहिए.
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याची का कहना था कि यूजीसी ने अपने रेगुलेशन में संशोधन करते हुए 18 जुलाई 18 को स्नातक में 45 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी. अब कोई भी अभ्यर्थी जिसके पास स्नातक और परास्नातक की डिग्री है और नेट क्वालीफाई है सहायक प्रोफेसर के लिए आवेदन कर सकता है. अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि यूजीसी के संशोधन को राज्य सरकार ने 28 जून 2019 को स्वीकार कर लिया है. मगर लोक सेवा आयोग को इस बारे में समय से सूचना न हो पाने के कारण गलत विज्ञापन जारी किया गया. आयोग जल्द ही खंडन प्रकाशित कर संशोधित विज्ञापन जारी करेगा. ताकि सभी अभ्यर्थी आवेदन कर सकें. अपर महाधिवक्ता के इस आश्वासन के बाद कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी.
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