प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में आपराधिक घटनाओं में पुलिस की जांच पर गंभीर टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि पैसे का प्रभाव पुलिस की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच में बहुत बड़ी बाधा है. कोर्ट ने कहा कि समाज के प्रभावशाली लोगों द्वारा पुलिस अधिकारियों पर पैसे के बल पर अपने पक्ष में रिपोर्ट लगवाने का दबाव डाला जाता है.
यह आदेश (allahabad high court on police) न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने झांसी के संजीव उर्फ कल्लू सेठिया की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए दिया है. कोर्ट ने कहा कि याची के खिलाफ अपराध के लिए कुछ भी सामग्री नहीं है लेकिन पुलिस ने दबाव के तहत उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. याची के खिलाफ हत्या का प्रयास, दंगा, शांतिभंग सहित विभिन्न आरोप में झांसी के मऊरानीपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. कोर्ट ने कहा कि पुलिस जब ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में थी तो उस दौरान सरकार के उनके शासन के उद्देश्य व उसे बनाए रखने के अनुसार दिए गए निर्देश को ध्यान में रखते हुए जांच की जाती थी, इसलिए जांच निष्पक्ष नहीं होती थी.
आजादी के बाद देश को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित किया गया लेकिन कानून व्यवस्था, सांप्रदायिक दंगों व राजनीतिक उथल-पुथल को देखते हुए पुलिस पर काम का बोझ बढ़ गया. इसके अलावा अशांति, आतंकवाद, सफेदपोश अपराधों में वृद्धि से पुलिस के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं इसलिए पुलिस पर दबाव बढ़ गया है. इसलिए उसने यांत्रिक जांच शुरू कर दी और प्रभावशाली लोग पैसे के जरिए पुलिस पर दबाव बनाकर अपने पक्ष में रिपोर्ट लगवाते हैं.
ये भी पढ़ें- चलती ट्रेन से GRP के सिपाहियों ने यात्री को नीचे फेंका, मौत