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पति की लंबी उम्र के लिए निर्जल व्रत रखती हैं महिलाएं, जानें पूजा विधि

करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है. इस दिन वह निर्जल व्रत रखती हैं और अपने पति की लंभी आयु की कामना करती हैं.

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करवा चौथ का व्रत
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Published : Oct 12, 2022, 10:27 AM IST

Updated : Oct 12, 2022, 11:46 AM IST

प्रयागराज: भारत में सुहागिनों के लिए करवा चौथ का व्रत बेहद खास माना जाता है. इस बार ये व्रत 13 अक्टूबर यानी कि गुरुवार को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति की आयु लंबी होती है. साथ ही वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. सुहागिनें करवा चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं और चौथ माता की पूजा करती हैं. इस दिन रात में चंद्रमा का दर्शन और अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं.

करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. पूरे साल महिलाएं इस दिन का इंतजार करती हैं. वहीं, विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है. जबकि, अविवाहिता युवतियां भी करवा चौथ का व्रत अच्छे वर की कामना के लिए रखती हैं. करवा चौथ के व्रत में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखकर रात में चंद्रोदय के बाद पूजा कर अपना व्रत पूरा करती हैं, जो महिलाएं पहली बार इस व्रत को रखेंगी, उनके लिए ये दिन और भी विशेष है.

जानकारी देतीं हुईं पंडित शिप्रा सचदेव
सरगी से होती है शुरुआतकरवा चौथ के दिन सुबह सरगी के साथ दिन की शुरुआत होती है. सरगी सास ससुर या पति के द्वारा व्रतधारी स्त्री को दिया जाता है. नारियल मिठाइयां, कपड़े और श्रृंगार का सामान देती हैं. इन सामानों के साथ सरगी शुरू होता है. सुहागिन औरतों को जल्दी उठकर जब तक कि तारे निकले होते हैं तब तक सरगी खा लेना चाहिए, क्योंकि तारों के डूबने के बाद नहीं खाया जाता है. इसके बाद सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं.करें 16 श्रृंगारइस दिन खास दिखने के लिए महिलाएं कई दिन पहले से तैयारियां शुरू करती हैं. जी हां पूरे 16 श्रृंगार से महिलाएं सजती हैं. चुनरी, चूड़ियां, ज्वेलरी और मेंहदी लगवाती हैं. फिर शाम को विधि विधान से पूजा करती हैं.

बाया देना भी होता है शगुन
जिस तरह सास को अपनी बहू को सरगी देनी चाहिए. वैसे ही लड़की के मायके से बाया भी आता है. बाया मायके से जुड़ा एक रिवाज है. पहली बार करवा चौथ का व्रत कर रही महिलाओं के घर भी शाम को पूजा से पहले मायके से ससुराल में कुछ मिठाइयां, तोहफे और मेवे उपहारस्वरूप भेंट किए जाने की रस्म है, यहीं रस्म बाया है.

करवा चौथ में जितना महत्व व्रत और पूजा का है, उतना ही महत्व करवा चौथ व्रत की कथा सुनने का भी है, जो कि शुभ फलदायी है. इसलिए जो महिलाएं पहली बार इस व्रत को कर रही हैं, उन्हें पूजा के साथ ध्यान से कथा भी सुननी चाहिए.

यह भी पढ़ें- चोरी के शक में भीड़ ने दो युवकों को धुना, एक की जान गई


प्रयागराज: भारत में सुहागिनों के लिए करवा चौथ का व्रत बेहद खास माना जाता है. इस बार ये व्रत 13 अक्टूबर यानी कि गुरुवार को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति की आयु लंबी होती है. साथ ही वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. सुहागिनें करवा चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं और चौथ माता की पूजा करती हैं. इस दिन रात में चंद्रमा का दर्शन और अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं.

करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. पूरे साल महिलाएं इस दिन का इंतजार करती हैं. वहीं, विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है. जबकि, अविवाहिता युवतियां भी करवा चौथ का व्रत अच्छे वर की कामना के लिए रखती हैं. करवा चौथ के व्रत में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखकर रात में चंद्रोदय के बाद पूजा कर अपना व्रत पूरा करती हैं, जो महिलाएं पहली बार इस व्रत को रखेंगी, उनके लिए ये दिन और भी विशेष है.

जानकारी देतीं हुईं पंडित शिप्रा सचदेव
सरगी से होती है शुरुआतकरवा चौथ के दिन सुबह सरगी के साथ दिन की शुरुआत होती है. सरगी सास ससुर या पति के द्वारा व्रतधारी स्त्री को दिया जाता है. नारियल मिठाइयां, कपड़े और श्रृंगार का सामान देती हैं. इन सामानों के साथ सरगी शुरू होता है. सुहागिन औरतों को जल्दी उठकर जब तक कि तारे निकले होते हैं तब तक सरगी खा लेना चाहिए, क्योंकि तारों के डूबने के बाद नहीं खाया जाता है. इसके बाद सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं.करें 16 श्रृंगारइस दिन खास दिखने के लिए महिलाएं कई दिन पहले से तैयारियां शुरू करती हैं. जी हां पूरे 16 श्रृंगार से महिलाएं सजती हैं. चुनरी, चूड़ियां, ज्वेलरी और मेंहदी लगवाती हैं. फिर शाम को विधि विधान से पूजा करती हैं.

बाया देना भी होता है शगुन
जिस तरह सास को अपनी बहू को सरगी देनी चाहिए. वैसे ही लड़की के मायके से बाया भी आता है. बाया मायके से जुड़ा एक रिवाज है. पहली बार करवा चौथ का व्रत कर रही महिलाओं के घर भी शाम को पूजा से पहले मायके से ससुराल में कुछ मिठाइयां, तोहफे और मेवे उपहारस्वरूप भेंट किए जाने की रस्म है, यहीं रस्म बाया है.

करवा चौथ में जितना महत्व व्रत और पूजा का है, उतना ही महत्व करवा चौथ व्रत की कथा सुनने का भी है, जो कि शुभ फलदायी है. इसलिए जो महिलाएं पहली बार इस व्रत को कर रही हैं, उन्हें पूजा के साथ ध्यान से कथा भी सुननी चाहिए.

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Last Updated : Oct 12, 2022, 11:46 AM IST
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