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प्रयागराज: मौनी अमावस्या स्नान के पहले करें इन नियमों का पालन

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Published : Jan 23, 2020, 10:05 PM IST

मौनी अमवस्या पर शुक्रवार को श्रद्धालु संगम स्नान कर मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करेंगे. वहीं मौनी महाराज ने ईटीवी भारत से बातचीत कर नियमों के पालन के बारे में बताया.

मौनी अमवस्या पर्व
मौनी अमवस्या पर्व

प्रयागराज: मौनी अमवस्या पर शुक्रवार को श्रद्धालु संगम में स्नान करने पहुंचेंगे. मौनी अमावस्या का सबसे प्रमुख स्नान ब्रह्ममुहूर्त से शुरू हो जाएगा.

मौनी अमावस्या पर स्नान करने के लिए गुरुवार से ही श्रद्धालुओं का रेला संगम नगरी पहुंचने लगा है. देश के अलग-अलग कोने से श्रद्धालु अपने संकल्पों को लेकर संगमघाट पर आस्था की डुबकी लगाएंगे. इस पर्व पर स्नान करने से पहले कई नियमों का पालन करने से मां गंगे उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं. वहीं ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए मौनी महाराज ने बताया कि मौनी अमावस्या का स्नान पर्व सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण होता है.

जानकारी देते संवाददाता.

श्रद्धालुओं को करना होता है कड़े नियमों का पालन
मौनी महराज ने बताया कि मौनी अमवस्या के पर्व पर कोई भी व्यक्ति अपने संकल्पों को पूरा करने के लिए आस्था की डुबकी लगाकर दान कर सकता है. ऐसा करने से व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है. इस दिन स्नान करने से पहले श्रद्धालुओं को कड़े नियमों का पालन करना होता है.

मौनी अमावस्या पर शनि करेगा मकर में प्रवेश
मौनी महाराज ने बताया कि तीर्थराज प्रयागराज में सबसे महत्वपूर्ण पर्व कल ब्रह्म मुहूर्त से शुरू हो जाएगा. सूर्य आने ज्वलन्त प्रकाश के साथ ही शनि मकर राशि में प्रवेश कर रहा है. ऐसी स्थिति में मौनी अमावस्या का पर्व बहुत अत्यन्तकारी और लाभकारी है. इस बार मौनी अमावस्या 27 घंटे तक रहेगी. ऐसे में अर्थ, धर्म, मोक्ष और कल्याण को देने वाली यह मौनी अमावस्या श्रद्धालुओं के कल्याण के लिए अत्यंत सिद्धकारी है.

संगम में स्नान करने से पहले करें स्नान
मौनी महाराज ने बताया कि मौनी अमावस्या के इस पावन अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में संगम में स्नान करने से पहले भक्तों को स्नान करना चाहिए और पवित्र वस्त्र भी धारण करना चाहिए. गंगा पाप धोने के लिए है मल धोने के लिए नहीं. इसलिए मौनी अमावस्या पर स्नान करने से पहले इन नियमों का पालन करने से कल्याण होगा और मनोकामना पूर्ण होगी.

सूर्य अर्घ्य देने से यह होगा लाभ
मौनी महाराज ने बताया कि मौनी अमावस्या पर स्नान करने के बाद सूर्य अर्घ्य का विशेष महत्व है. जो धन चाहते हैं, वह गंगा में स्नान करने के बाद आहुति करें और सूर्य को तीन अर्घ्य दें, जिन्हें पुत्र चाहिए वो सूर्य को पांच अर्घ्य दें, जिन्हें विद्या चाहिए वो सूर्य को नौ अर्घ्य दें और जिन्हें राजपद चाहिए वो सूर्य को 12 अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय तिल, चावल, चीनी और तेल का प्रयोग करने से स्नानार्थियों की आरोग्यता पर बल प्राप्त होता है.

32 प्रकार के पापों से बचकर करें गंगा में स्नान
मौनी महाराज ने कहा कि मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं को 32 प्रकार के पापों से बचकर स्नान करना चाहिए. ऐसा करना से जीवन सुखमय व्यतीत होता है. इसके साथ ही सभी तरह के पारिवारिक कष्टों से निवारण होता है.

इसे भी पढ़ें:- प्रयागराज: संत सम्मेलन में उठेगा संस्कृत के प्रचार-प्रसार का मुद्दा

प्रयागराज: मौनी अमवस्या पर शुक्रवार को श्रद्धालु संगम में स्नान करने पहुंचेंगे. मौनी अमावस्या का सबसे प्रमुख स्नान ब्रह्ममुहूर्त से शुरू हो जाएगा.

मौनी अमावस्या पर स्नान करने के लिए गुरुवार से ही श्रद्धालुओं का रेला संगम नगरी पहुंचने लगा है. देश के अलग-अलग कोने से श्रद्धालु अपने संकल्पों को लेकर संगमघाट पर आस्था की डुबकी लगाएंगे. इस पर्व पर स्नान करने से पहले कई नियमों का पालन करने से मां गंगे उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं. वहीं ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए मौनी महाराज ने बताया कि मौनी अमावस्या का स्नान पर्व सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण होता है.

जानकारी देते संवाददाता.

श्रद्धालुओं को करना होता है कड़े नियमों का पालन
मौनी महराज ने बताया कि मौनी अमवस्या के पर्व पर कोई भी व्यक्ति अपने संकल्पों को पूरा करने के लिए आस्था की डुबकी लगाकर दान कर सकता है. ऐसा करने से व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है. इस दिन स्नान करने से पहले श्रद्धालुओं को कड़े नियमों का पालन करना होता है.

मौनी अमावस्या पर शनि करेगा मकर में प्रवेश
मौनी महाराज ने बताया कि तीर्थराज प्रयागराज में सबसे महत्वपूर्ण पर्व कल ब्रह्म मुहूर्त से शुरू हो जाएगा. सूर्य आने ज्वलन्त प्रकाश के साथ ही शनि मकर राशि में प्रवेश कर रहा है. ऐसी स्थिति में मौनी अमावस्या का पर्व बहुत अत्यन्तकारी और लाभकारी है. इस बार मौनी अमावस्या 27 घंटे तक रहेगी. ऐसे में अर्थ, धर्म, मोक्ष और कल्याण को देने वाली यह मौनी अमावस्या श्रद्धालुओं के कल्याण के लिए अत्यंत सिद्धकारी है.

संगम में स्नान करने से पहले करें स्नान
मौनी महाराज ने बताया कि मौनी अमावस्या के इस पावन अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में संगम में स्नान करने से पहले भक्तों को स्नान करना चाहिए और पवित्र वस्त्र भी धारण करना चाहिए. गंगा पाप धोने के लिए है मल धोने के लिए नहीं. इसलिए मौनी अमावस्या पर स्नान करने से पहले इन नियमों का पालन करने से कल्याण होगा और मनोकामना पूर्ण होगी.

सूर्य अर्घ्य देने से यह होगा लाभ
मौनी महाराज ने बताया कि मौनी अमावस्या पर स्नान करने के बाद सूर्य अर्घ्य का विशेष महत्व है. जो धन चाहते हैं, वह गंगा में स्नान करने के बाद आहुति करें और सूर्य को तीन अर्घ्य दें, जिन्हें पुत्र चाहिए वो सूर्य को पांच अर्घ्य दें, जिन्हें विद्या चाहिए वो सूर्य को नौ अर्घ्य दें और जिन्हें राजपद चाहिए वो सूर्य को 12 अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय तिल, चावल, चीनी और तेल का प्रयोग करने से स्नानार्थियों की आरोग्यता पर बल प्राप्त होता है.

32 प्रकार के पापों से बचकर करें गंगा में स्नान
मौनी महाराज ने कहा कि मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं को 32 प्रकार के पापों से बचकर स्नान करना चाहिए. ऐसा करना से जीवन सुखमय व्यतीत होता है. इसके साथ ही सभी तरह के पारिवारिक कष्टों से निवारण होता है.

इसे भी पढ़ें:- प्रयागराज: संत सम्मेलन में उठेगा संस्कृत के प्रचार-प्रसार का मुद्दा

Intro:प्रयागराज: 27 घंटे तक रहेगा मौनी अमावस्या स्नान पर्व, स्नान के पहले करें इन नियमों का पालन

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प्रयागराज: माघ मेले का सबसे प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या कल ब्रह्ममुहूर्त से शुरू हो जाएगा. मौनी अमावस्या पर स्नान करने के लिए गुरुवार से ही श्रद्धालुओं का रेला संगमनगरी पहुंचने लगी है. देश के अलग-अलग कोने से पहुंचे श्रद्धालु अपने संकल्पों को लेकर संगमघाट पर आस्था की डुबकी लगाएंगे. मौनी अमावस्या पर्व पर इस का मुहूर्त पूरे 27 घंटे तक रहेगा. इस पर्व स्नान करने से पहले कई नियमों का पालन करने से मां गंगे उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए मौनी महराज ने बताया कि मौनी अमावस्या का स्नान पर्व सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण पर्व होता है.


Body:इस दिन कोई व्यक्ति अपने संकल्पों को पूरा करने के लिए आस्था की डुबकी लगाकर दान करता है. ऐसा करने से व्यक्ति मनोकामना पूर्ण होती है. इस दिन स्नान करने से पहले श्रद्धालुओं कड़े नियमों का पालन करना होता है.

मौनी अमावस्या पर शनि करेगा मकर में प्रवेश

मौनी महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि तीर्थराज प्रयागराज में सबसे महत्वपूर्ण पर्व कल ब्रह्म मुहूर्त से शुरू हो जाएगा. सूर्य आने ज्वलन्त प्रकाश के साथ ही शनि मकर राशि मे प्रवेश कर रहा है. ऐसे स्थिति में मौनी अमावस्या का पर्व बहुत अत्यन्तकारी और लाभकारी है. इस बार मौनी अमावस्या का 27 घंटे तक लोगों को प्राप्त हो रहा है. ऐसे में अर्थ,धर्म,मोक्ष और कल्याण को देने वाली यह मौनी अमावस्या सभी के श्रद्धालुओं के कल्याण के अत्यंत सिद्धकारी है. इस दिन कोई भी निर्णय लेने के लिए अत्यंत सिद्धकारी होगी.

संगम में स्नान करने से पहले करें स्नान

मौनी महाराज ने बताया कि मौनी अमावस्या के इस पावन अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में संगम में स्नान करने से पहले भक्तों को स्नान करना चाहिए और पवित्र वस्त्र का भी धारण करके और मौन रहकर गंगा में स्नान करना चाहिए. जल में क्रीड़ा करने से अपराध होता है. गंगा पाप धोने के लिए है मल धोने के लिए नहीं है. इसलिए मौनी अमावस्या पर स्नान करने से पहले इन नियमों का पालन करने से कल्याणकरी होगा और मनोकामना पूर्ण होगी.


Conclusion:सूर्य अर्ग देने से यह होने लाभ

मौनी महाराज ने बताया कि मौनी अमावस्या पर स्नान करने के बाद सूर्य अर्ध का विशेष महत्व है. जो धन चाहते हैं वह गंगा में स्नान करने के बाद आहुति करें और सूर्य को तीन अर्ध दें, जिन्हें पुत्र चाहिए वो सूर्य को पांच अर्ध दे, जिन्हें विद्या चाहिए वो सूर्य को नौ अर्ध दे और जिन्हें राजपद चाहिए वो सूर्य को 12 अर्ध दे और अर्ध देते समय तिल,चावल,चीनी और तेल का प्रयोग करने से स्नानार्थियों की आरोग्यता पर बल प्राप्त करेगा. ऐसा करने स्व मौनी अमावस्या पर लिया गया संकल्पों का पूर्ति करने में लाभकारी होगा.

32 प्रकार के पापों से बचकर करें गंगा में स्नान

मौनी महराज ने कहा कि मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं को 32 प्रकार के पापों से बचकर स्नान करते हैं तो जीवन सुखमय व्यतीत होता है. इसके साथ ही सभी तरह के पारिवारिक कष्टों से निवारण होता है.

बाईट- स्वामी मौनी महाराज, माघ मेला प्रयागराज
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