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होली भाई दूज पर्व आज,जानिए क्या है इसका महत्व

पूरे देश में होली का त्योहार पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया गया है. होली के त्योहार मनाने के अगले ही दिन होली भाईदूज मनाने की परंपरा है. दीपावली के समान ही होली के बाद भी भाईदूज मनाई जाती है. यह भाई-बहन के बीच स्नेह का प्रतीक है. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है.

होली भाई दूज.
होली भाई दूज.
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Published : Mar 30, 2021, 5:11 AM IST

प्रयागराज: पूरे देश में होली का त्योहार पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया गया है. होली के त्योहार मनाने के अगले ही दिन होली भाईदूज मनाने की परंपरा है. दीपावली के समान ही होली के बाद भी भाईदूज मनाई जाती है. यह भाई-बहन के बीच स्नेह का प्रतीक है. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. भाई दूज को भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर और उन्हें उपहार देकर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं. बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देते हैं. रक्षा बंधन पर बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं, जबकि भाई दूज पर सिर्फ तिलक करने की परंपरा है.


होली दूज का बहुत है महत्व

पंडित राजेन्द प्रसाद शुक्ला के अनुसार जिस तरह से दिवाली के बाद भाई दूज मनाकर भाई की लंबी उम्र के लिए कामना की जाती है और उसे नर्क की यातनाओं से मुक्ति दिलाने के लिए उसका तिलक किया जाता है. उसी प्रकार होली के बाद भाई का तिलक करके होली की भाई दूज मनाई जाती है, जिससे उसे सभी प्रकार के संकटों से बचाया जा सके. शास्त्रों के अनुसार होली के अगले दिन भाई को तिलक करने से उसे सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है.

यह भी पढ़ेंः होली पर गीतों की फुहार, मोदी-ममता पर व्यंग्य के वार

होली भाई दूज की कथा
पंडित राजेन्द प्रसाद शुक्ला ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक वृद्धा रहा करती थी. उसके एक पुत्र और एक पुत्री थी. वृद्धा ने अपनी पुत्री की शादी कर दी थी. एक बार होली के बाद भाई ने अपनी मां से अपनी बहन के यहां जाकर तिलक कराने के लिए पूछा तो वृद्धा ने अपने बेटे को जाने की इजाजत दे दी. वृद्धा का बेटा एक जंगल से होकर गया.

वहां उसे एक नदी मिली. उस नदी ने कहा कि मैं तेरी काल हूं और मैं तेरी जान लूंगी. इस पर वृद्धा का बेटा बोला पहले मैं अपनी बहन से तिलक करा लूं, फिर मेरे प्राण हर लेना. इसके बाद वह आगे बढ़ा तो उसे एक शेर मिला. वृद्धा के बेटे ने शेर से भी यही कहा. इसके बाद उसे एक सांप मिलता है. उसने सांप से भी यही कहा. इसके बाद वह अपनी बहन के घर पहुंचता है. उस समय उसकी बहन सूत कात रही होती है. जब उसका भाई उसे पुकारता है तो वह उसकी आवाज को अनसुना कर देती है.

यह भी पढ़ेंः इस्कॉन मंदिर में भक्तिमय हुआ वातावरण, होली की गीतों पर थिरके श्रद्धालु

भाई इस पर दुबारा आवाज लगाता है तो उसकी बहन बाहर आ जाती है. इसके बाद उसका भाई तिलक कराकर दुखी मन से चल देता है. इस पर बहन उसके दुख का कारण पूछती तो भाई उसे सब बता देता है. इस पर वृद्धा की लड़की कहती है कि रुको भाई मैं पानी पीकर आती हूं. इसके बाद वह एक तालाब के पास जाती है. वहां उसे एक अन्य वृद्धा मिलती है. वह उस वृद्धा से अपनी इस समस्या का समाधान पूछती है. इस पर वृद्धा कहती है कि यह तेरे ही पिछले जन्मों का कर्म है जो तेरे भाई को भुगतना पड़ रहा है. यदि तू अपने भाई को बचाना चाहती है तो उसकी शादी होने तक तू हर विपदा को टाल दे, तो तेरा भाई बच सकता है.

इसके बाद वह अपने भाई के पास जाती है और कहती है कि मैं तुझे घर छोड़ने के लिए चलूंगी. वह शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लाती है. इसके बाद दोनों आगे बढ़ते हैं. रास्ते में उन्हें पहले शेर मिलता है. उसकी बहन शेर के आगे मांस डाल देती है. उसके बाद उन्हें सांप मिलता है. इस पर लड़की उसे दूध दे देती है. अंत में उन्हें नदी मिलती है. जिस पर वह ओढ़नी डाल देती है. इस तरह से वह बहन अपने भाई को बचा लेती है.

प्रयागराज: पूरे देश में होली का त्योहार पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया गया है. होली के त्योहार मनाने के अगले ही दिन होली भाईदूज मनाने की परंपरा है. दीपावली के समान ही होली के बाद भी भाईदूज मनाई जाती है. यह भाई-बहन के बीच स्नेह का प्रतीक है. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. भाई दूज को भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर और उन्हें उपहार देकर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं. बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देते हैं. रक्षा बंधन पर बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं, जबकि भाई दूज पर सिर्फ तिलक करने की परंपरा है.


होली दूज का बहुत है महत्व

पंडित राजेन्द प्रसाद शुक्ला के अनुसार जिस तरह से दिवाली के बाद भाई दूज मनाकर भाई की लंबी उम्र के लिए कामना की जाती है और उसे नर्क की यातनाओं से मुक्ति दिलाने के लिए उसका तिलक किया जाता है. उसी प्रकार होली के बाद भाई का तिलक करके होली की भाई दूज मनाई जाती है, जिससे उसे सभी प्रकार के संकटों से बचाया जा सके. शास्त्रों के अनुसार होली के अगले दिन भाई को तिलक करने से उसे सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है.

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होली भाई दूज की कथा
पंडित राजेन्द प्रसाद शुक्ला ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक वृद्धा रहा करती थी. उसके एक पुत्र और एक पुत्री थी. वृद्धा ने अपनी पुत्री की शादी कर दी थी. एक बार होली के बाद भाई ने अपनी मां से अपनी बहन के यहां जाकर तिलक कराने के लिए पूछा तो वृद्धा ने अपने बेटे को जाने की इजाजत दे दी. वृद्धा का बेटा एक जंगल से होकर गया.

वहां उसे एक नदी मिली. उस नदी ने कहा कि मैं तेरी काल हूं और मैं तेरी जान लूंगी. इस पर वृद्धा का बेटा बोला पहले मैं अपनी बहन से तिलक करा लूं, फिर मेरे प्राण हर लेना. इसके बाद वह आगे बढ़ा तो उसे एक शेर मिला. वृद्धा के बेटे ने शेर से भी यही कहा. इसके बाद उसे एक सांप मिलता है. उसने सांप से भी यही कहा. इसके बाद वह अपनी बहन के घर पहुंचता है. उस समय उसकी बहन सूत कात रही होती है. जब उसका भाई उसे पुकारता है तो वह उसकी आवाज को अनसुना कर देती है.

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भाई इस पर दुबारा आवाज लगाता है तो उसकी बहन बाहर आ जाती है. इसके बाद उसका भाई तिलक कराकर दुखी मन से चल देता है. इस पर बहन उसके दुख का कारण पूछती तो भाई उसे सब बता देता है. इस पर वृद्धा की लड़की कहती है कि रुको भाई मैं पानी पीकर आती हूं. इसके बाद वह एक तालाब के पास जाती है. वहां उसे एक अन्य वृद्धा मिलती है. वह उस वृद्धा से अपनी इस समस्या का समाधान पूछती है. इस पर वृद्धा कहती है कि यह तेरे ही पिछले जन्मों का कर्म है जो तेरे भाई को भुगतना पड़ रहा है. यदि तू अपने भाई को बचाना चाहती है तो उसकी शादी होने तक तू हर विपदा को टाल दे, तो तेरा भाई बच सकता है.

इसके बाद वह अपने भाई के पास जाती है और कहती है कि मैं तुझे घर छोड़ने के लिए चलूंगी. वह शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लाती है. इसके बाद दोनों आगे बढ़ते हैं. रास्ते में उन्हें पहले शेर मिलता है. उसकी बहन शेर के आगे मांस डाल देती है. उसके बाद उन्हें सांप मिलता है. इस पर लड़की उसे दूध दे देती है. अंत में उन्हें नदी मिलती है. जिस पर वह ओढ़नी डाल देती है. इस तरह से वह बहन अपने भाई को बचा लेती है.

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