प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि चयनित अभ्यर्थी के कार्यभार ग्रहण करते ही चयन प्रक्रिया पूरी हो जाती है. चयनित के नौकरी छोड़ देने से प्रतीक्षा सूची से पद नहीं भरा जा सकता.
कोर्ट ने कहा रानी अवंतीबाई इंटर कालेज मरहरा, एटा के प्रधानाचार्य का पद 2011 मे खाली हो गया था. विवाद मेरिट लिस्ट के प्रथम व द्वितीय अभ्यर्थी के बीच था. तीसरा अभ्यर्थी याचिका में पक्षकार नहीं था. संयुक्त निदेशक द्वारा उसे 2021 में नियुक्ति देना सही नहीं है. कोर्ट ने एकलपीठ के प्रतीक्षारत की नियुक्ति पर रोक लगाने के अंतरिम आदेश के खिलाफ विशेष अपील खारिज कर दी है.
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने मश्कूर हसन की विशेष अपील पर दिया है. मालूम हो कि 2002 मे इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य की भर्ती निकाली गई. 29 सितंबर 2003 को चयन सूची जारी की गई. डॉ. दिनेश वशिष्ठ प्रथम, सुधीर कुमार गुप्ता द्वितीय व मश्कूर हसन तीसरे स्थान पर रहे. डॉ. दिनेश वशिष्ठ की नियुक्ति को सुधीर कुमार गुप्ता ने चुनौती दी. नियुक्ति पर रोक लगाने के आदेश को अपील में चुनौती दी गई. खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को रद्द कर केस मेरिट पर तय करने का निर्देश दिया. याचिका अभी भी लंबित है.
दिनेश सेवानिवृत्त हो गए, सुधीर ने नौकरी छोड़ दी. मश्कूर हसन ने कहा अब वही अकेले बचे हैं. उनकी नियुक्ति की जाय. हाईकोर्ट ने संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा अलीगढ़ को विचार करने का निर्देश दिया, जिस पर 26 जून 21 को नियुक्ति दे दी गई. कार्यभार ग्रहण कर लिया.
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इस आदेश को चुनौती दी गई. एकलपीठ ने नियुक्ति आदेश पर रोक लगा दी है जिसे अपील में चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि दिनेश वशिष्ठ ने 2011 में पद छोड़ अपने पुराने कालेज वापस चले गए और 31 जुलाई 20 को सेवानिवृत्त भी हो गए. उसके 10 साल बाद वेटिंग लिस्ट से नियुक्ति विधि सम्मत नहीं है. चयनित की नियुक्ति के साथ ही चयन प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी.
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