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प्रयागराज: संतोष गंगवार के खिलाफ दायर की गई चुनाव याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरेली के सांसद संतोष गंगवार के खिलाफ दायर की गई चुनाव याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई ऐसा तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे यह साबित होता हो कि संतोष गंगवार ने चुनाव जीतने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग किया था.

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हाईकोर्ट ने दिया आदेश.
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Published : Feb 20, 2020, 6:29 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय राज्य मंत्री और बरेली के सांसद संतोष गंगवार के खिलाफ चुनाव याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई ऐसा तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे यह साबित होता हो कि संतोष गंगवार ने चुनाव जीतने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग किया था. याचिका तथ्यहीन होने के आधार पर खारिज कर दी गई .

बरेली से निर्दलीय प्रत्याशी राकेश अग्रवाल ने चुनाव याचिका दाखिल कर संतोष गंगवार के निर्वाचन को चुनौती दी थी. याचिका पर न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीश ने सुनवाई की. याचिका पर प्रारंभिक आपत्ति करते हुए अधिवक्ता सुबोध कुमार और उदित चंद्रा ने कहा कि चुनाव याचिका में लगाए गए आरोप स्पष्ट होने चाहिए और याचिका दोष रहित होनी चाहिए. चुनाव याचिका की सुनवाई वैधानिक प्रक्रिया के तहत की जाती है, यह सामान्य नियमों और समानता के आधार पर नहीं सुनी जा सकती है.

याचिका में आरोप लगाया गया था कि संतोष गंगवार ने बरेली से कांग्रेस के प्रत्याशी को एक करोड़ रुपए रिश्वत दी तथा अन्य मुस्लिम उम्मीदवारों को भी भारी धनराशि दी गई. उन्होंने वोटरों को प्रभावित करने के लिए भी अनुचित साधनों का प्रयोग किया. खाना और शराब जैसी चीजें परोसी गई.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि याची द्वारा लगाए गए आरोप में कोई तथ्यात्मक बल नहीं है, इसमें विशेष रूप से स्पष्ट नहीं किया जा सका है कि उन्होंने किससे और कैसे रिश्वत दी. इसी प्रकार से अनुचित साधनों के मामले में भी कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं दिया जा सका.

कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपों को साबित करने का भार याची पर होता है और वह ऐसा नहीं कर सका. याचिका तथ्यहीन होने के आधार पर प्रारंभिक आपत्ति को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने खारिज कर दिया.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय राज्य मंत्री और बरेली के सांसद संतोष गंगवार के खिलाफ चुनाव याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई ऐसा तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे यह साबित होता हो कि संतोष गंगवार ने चुनाव जीतने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग किया था. याचिका तथ्यहीन होने के आधार पर खारिज कर दी गई .

बरेली से निर्दलीय प्रत्याशी राकेश अग्रवाल ने चुनाव याचिका दाखिल कर संतोष गंगवार के निर्वाचन को चुनौती दी थी. याचिका पर न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीश ने सुनवाई की. याचिका पर प्रारंभिक आपत्ति करते हुए अधिवक्ता सुबोध कुमार और उदित चंद्रा ने कहा कि चुनाव याचिका में लगाए गए आरोप स्पष्ट होने चाहिए और याचिका दोष रहित होनी चाहिए. चुनाव याचिका की सुनवाई वैधानिक प्रक्रिया के तहत की जाती है, यह सामान्य नियमों और समानता के आधार पर नहीं सुनी जा सकती है.

याचिका में आरोप लगाया गया था कि संतोष गंगवार ने बरेली से कांग्रेस के प्रत्याशी को एक करोड़ रुपए रिश्वत दी तथा अन्य मुस्लिम उम्मीदवारों को भी भारी धनराशि दी गई. उन्होंने वोटरों को प्रभावित करने के लिए भी अनुचित साधनों का प्रयोग किया. खाना और शराब जैसी चीजें परोसी गई.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि याची द्वारा लगाए गए आरोप में कोई तथ्यात्मक बल नहीं है, इसमें विशेष रूप से स्पष्ट नहीं किया जा सका है कि उन्होंने किससे और कैसे रिश्वत दी. इसी प्रकार से अनुचित साधनों के मामले में भी कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं दिया जा सका.

कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपों को साबित करने का भार याची पर होता है और वह ऐसा नहीं कर सका. याचिका तथ्यहीन होने के आधार पर प्रारंभिक आपत्ति को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने खारिज कर दिया.

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