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तथ्य छिपाकर दोबारा दायर की थी याचिका, हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका खारिज होने के बाद दोबारा दाखिल करने पर 10 हजार रुपये प्रत्येक पर लगा जुर्माना बिना शर्त माफी मांगने पर घटाकर 5 हजार रुपये कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस आदेश का असर याचियों के भविष्य पर नहीं पड़ेगा.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Nov 19, 2020, 5:48 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका खारिज होने के बाद दोबारा दाखिल करने पर 10 हजार रुपये प्रत्येक पर लगा जुर्माना बिना शर्त माफी मांगने पर घटाकर 5 हजार रुपये कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस आदेश का असर याचियों के भविष्य पर नहीं पड़ेगा. इसे अयोग्यता या स्टिग्मा न समझा जाए. कोर्ट ने यह राहत भविष्य को लेकर अपीलार्थियों की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए दी है.

यह आदेश न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश समित गोपाल की खंडपीठ ने आलोक कुमार सिंह व 4 अन्य की विशेष अपील को निस्तारित करते हुए दिया है. अनुज द्विवेदी व 25 अन्य ने याचिका दायर की, जिसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया, जिसमें याची के रूप में शामिल इन पांच याचियों ने यह तथ्य छिपाकर दोबारा याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर 10 हजार रुपये प्रत्येक पर जुर्माना लगाते हुए खारिज कर दिया. जुर्माना राशि को अपील में चुनौती दी गई थी.

खंडपीठ ने जुर्माना लगाने के आदेश को सही करार दिया, लेकिन धनराशि घटा दी और याचियों को दो हफ्ते में जुर्माना हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि यदि जुर्माना जमा नहीं हुआ तो संबंधित जिलाधिकारी राजस्व वसूली प्रक्रिया में वसूल करें.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका खारिज होने के बाद दोबारा दाखिल करने पर 10 हजार रुपये प्रत्येक पर लगा जुर्माना बिना शर्त माफी मांगने पर घटाकर 5 हजार रुपये कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस आदेश का असर याचियों के भविष्य पर नहीं पड़ेगा. इसे अयोग्यता या स्टिग्मा न समझा जाए. कोर्ट ने यह राहत भविष्य को लेकर अपीलार्थियों की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए दी है.

यह आदेश न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश समित गोपाल की खंडपीठ ने आलोक कुमार सिंह व 4 अन्य की विशेष अपील को निस्तारित करते हुए दिया है. अनुज द्विवेदी व 25 अन्य ने याचिका दायर की, जिसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया, जिसमें याची के रूप में शामिल इन पांच याचियों ने यह तथ्य छिपाकर दोबारा याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर 10 हजार रुपये प्रत्येक पर जुर्माना लगाते हुए खारिज कर दिया. जुर्माना राशि को अपील में चुनौती दी गई थी.

खंडपीठ ने जुर्माना लगाने के आदेश को सही करार दिया, लेकिन धनराशि घटा दी और याचियों को दो हफ्ते में जुर्माना हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि यदि जुर्माना जमा नहीं हुआ तो संबंधित जिलाधिकारी राजस्व वसूली प्रक्रिया में वसूल करें.

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