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बिना कारण अनुकंपा नियुक्ति से HC का इनकार, आदेश रद

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Published : Jun 2, 2022, 9:58 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा अनुकंपा नियुक्ति की मांग बिना कोई कारण बताए अस्वीकार करने के आदेश को रद्द कर दिया है.

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बिना कारण अनुकंपा नियुक्ति से HC का इनकार, आदेश रद

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा अनुकंपा नियुक्ति की मांग बिना कोई कारण बताए अस्वीकार करने के आदेश को रद्द कर दिया है और नये सिरे से विचार कर छः हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा बिना कारण बताए कोई भी आदेश जारी नहीं किया जा सकता.

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी ने नेहा मिश्रा की याचिका पर दिया है.अधिवक्ता विभु राय का कहना था कि याची के पति इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कर्मचारी थे. सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई. याची ने पति की मृत्यु के पांच साल बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए दावा किया, जिसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कार्यसमिति ने 17 अगस्त 2021 को हुई बैठक में खारिज कर दिया.

दावा खारिज करने के पीछे का कोई कारण नहीं बताया गया. याची को सूचना दी गई कि उसका दावा खारिज किया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार का आदेश उचित नहीं कहा जा सकता, जिसे जारी करने के पीछे का कारण न बताया जाए. कोर्ट ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव को आदेश दिया है कि छह सप्ताह में कारण दर्शाते हुए याची को नए सिरे से पारित आदेश से अवगत कराएं.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा अनुकंपा नियुक्ति की मांग बिना कोई कारण बताए अस्वीकार करने के आदेश को रद्द कर दिया है और नये सिरे से विचार कर छः हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा बिना कारण बताए कोई भी आदेश जारी नहीं किया जा सकता.

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी ने नेहा मिश्रा की याचिका पर दिया है.अधिवक्ता विभु राय का कहना था कि याची के पति इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कर्मचारी थे. सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई. याची ने पति की मृत्यु के पांच साल बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए दावा किया, जिसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कार्यसमिति ने 17 अगस्त 2021 को हुई बैठक में खारिज कर दिया.

दावा खारिज करने के पीछे का कोई कारण नहीं बताया गया. याची को सूचना दी गई कि उसका दावा खारिज किया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार का आदेश उचित नहीं कहा जा सकता, जिसे जारी करने के पीछे का कारण न बताया जाए. कोर्ट ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव को आदेश दिया है कि छह सप्ताह में कारण दर्शाते हुए याची को नए सिरे से पारित आदेश से अवगत कराएं.

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