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चार दिन पहले गुजर चुके थे पिता, अस्पताल में जूस और खाना भिजवाता रहा बेटा

प्रयागराज जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां के एसआरएन कोविड एल 3 अस्पताल में एक बेटा अपने पिता की मौत के चार दिन बाद तक उनके लिए खाना, जूस और कपड़े पहुंचाता रहा. इसका खुलासा तब हुआ, जब बेटे ने अस्पताल के अंदर जाकर अपने पिता को देखना चाहा.

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एसआरएन अस्पताल में मरीज की मौत.
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Published : Apr 24, 2021, 7:49 AM IST

Updated : Apr 24, 2021, 1:14 PM IST

प्रयागराज : एसआरएन कोविड एल 3 अस्पताल की एक बड़ी लापरवाही उजागर हुई है. अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही की वजह से बेटा अपने पिता का न तो अंतिम दर्शन कर सका और न ही अंतिम संस्कार. अस्पताल में मरीज की मौत की जानकारी उसके परिवार वालों को नहीं दी गई और लावारिस मानकर शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस दौरान मृतक का बेटा रोज अस्पताल में आकर बीमार पिता के लिए खाने-पीने के सामान के साथ कपड़े पहुंचाता रहा.

एसआरएन अस्पताल की बड़ी लापरवाही आई सामने.

प्रयागराज में कोरोना मरीजों का इलाज करने के लिए एसआरएन अस्पताल को कोविड एल 3 अस्पताल बनाया गया है. जहां पर कोरोना से संक्रमित गंभीर मरीजों का इलाज किया जाता है. इसी अस्पताल में 13 अप्रैल को 82 साल के मोतीलाल को उनके बेटे ने भर्ती करवाया. इलाज शुरू हो गया. मोतीलाल के लिए खाने-पीने का सामान व कपड़े लाकर उनका बेटा बच्चीलाल रोज अस्पताल वालों को देते थे. जिसे अस्पताल के कमर्चारी अंदर ले जाकर बच्चीलाल के पिता मोतीलाल को देते थे. 17 अप्रैल को ही मौत की नींद सो चुके मोतीलाल के लिए बेटा बच्चीलाल 21 अप्रैल तक जूस, खाना और कपड़े अंदर भिजवाता रहा.

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मृतक मोतीलाल.

जूस और कपड़े लौटाने पर हुआ खुलासा
21 अप्रैल को अस्पताल प्रशासन ने बच्चीलाल को बताया कि उसके पिता ने खाने का सामान और कपड़े लेने से मना कर दिया है. वो उनके परिजन नहीं हैं. यह सुनकर बच्चीलाल परेशान हो गए और पिता को देखने का प्रयास किया. इस पर अस्पताल के स्टाफ ने जिस व्यक्ति को मोतीलाल के रूप में दिखाया, उसे देखकर बच्चीलाल के पैरों तले जमीन खिसक गई. वह व्यक्ति मोतीलाल नहीं, बल्कि कोई और था.
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डेथ सर्टिफिकेट.


पिता की खोज करने पर मिला डेथ सर्टिफिकेट
बच्चीलाल ने अस्पताल वालों से अपने पिता की जानकारी मांगनी शुरू की और डॉक्टर से लेकर वार्ड ब्वाय तक की डांट फटकार सुनी. लेकिन किसी ने उसके पिता का क्या हाल खबर है, नहीं बताया. इस दौरान बच्चीलाल को इतनी जानकरी जरूर मिली कि उसके पिता की तबीयत बिगड़ने पर उनको दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था. लेकिन उस वार्ड में जाने पर बच्चीलाल को पता चला कि उनके पिता की मौत तो 17 अप्रैल को ही हो चुकी थी और शव का लावारिस समझकर अंतिम संस्कार करवा दिया गया है. बच्चीलाल ने पूरे मामले की शिकायत अस्पताल के जिम्मेदार लोगों से की तो वहां से उन्हें मोतीलाल का डेथ सर्टिफिकेट पकड़ा दिया गया.


जिम्मेदारों से नहीं हो सकी बात
इस पूरे मामले पर बात करने के लिए अस्पताल के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी से संपर्क नहीं हो सका. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल कोरोना संक्रमित होने की वजह से ऑफिस नहीं आ रहे हैं. वहीं इस मामले में इतनी बड़ी लापरवाही के पीछे एक वजह यह बताई जा रही है कि वहां पर मोतीलाल नाम के एक मरीज की मौत के बाद उसी नाम का दूसरा मरीज भर्ती हो गया था, जिस वजह से ये चूक हुई है.

ये भी पढ़ें: SRN अस्पताल में मारपीट, DM-SSP से बातचीत के बाद जूनियर डॉक्टरों ने शुरू किया काम

पिता का अंतिम संस्कार न कर पाने का मलाल
अब बच्चीलाल अपने पिता का आखिरी बार मुंह न देख पाने के साथ ही अंतिम संस्कार न कर पाने की वजह से व्यथित है. उसने लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई की मांग की, लेकिन महामारी के इस काल में उसकी व्यथा सुनने वाला कोई नहीं है. अब बच्चीलाल अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारियों द्वारा किए गए इस लापरवाही को लेकर इंसाफ चाहता है. उसका कहना है कि डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से उसे अपने पिता का अंतिम संस्कार करने का भी मौका नहीं मिला. साथ ही वह उनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर सका है.

प्रयागराज : एसआरएन कोविड एल 3 अस्पताल की एक बड़ी लापरवाही उजागर हुई है. अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही की वजह से बेटा अपने पिता का न तो अंतिम दर्शन कर सका और न ही अंतिम संस्कार. अस्पताल में मरीज की मौत की जानकारी उसके परिवार वालों को नहीं दी गई और लावारिस मानकर शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस दौरान मृतक का बेटा रोज अस्पताल में आकर बीमार पिता के लिए खाने-पीने के सामान के साथ कपड़े पहुंचाता रहा.

एसआरएन अस्पताल की बड़ी लापरवाही आई सामने.

प्रयागराज में कोरोना मरीजों का इलाज करने के लिए एसआरएन अस्पताल को कोविड एल 3 अस्पताल बनाया गया है. जहां पर कोरोना से संक्रमित गंभीर मरीजों का इलाज किया जाता है. इसी अस्पताल में 13 अप्रैल को 82 साल के मोतीलाल को उनके बेटे ने भर्ती करवाया. इलाज शुरू हो गया. मोतीलाल के लिए खाने-पीने का सामान व कपड़े लाकर उनका बेटा बच्चीलाल रोज अस्पताल वालों को देते थे. जिसे अस्पताल के कमर्चारी अंदर ले जाकर बच्चीलाल के पिता मोतीलाल को देते थे. 17 अप्रैल को ही मौत की नींद सो चुके मोतीलाल के लिए बेटा बच्चीलाल 21 अप्रैल तक जूस, खाना और कपड़े अंदर भिजवाता रहा.

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मृतक मोतीलाल.

जूस और कपड़े लौटाने पर हुआ खुलासा
21 अप्रैल को अस्पताल प्रशासन ने बच्चीलाल को बताया कि उसके पिता ने खाने का सामान और कपड़े लेने से मना कर दिया है. वो उनके परिजन नहीं हैं. यह सुनकर बच्चीलाल परेशान हो गए और पिता को देखने का प्रयास किया. इस पर अस्पताल के स्टाफ ने जिस व्यक्ति को मोतीलाल के रूप में दिखाया, उसे देखकर बच्चीलाल के पैरों तले जमीन खिसक गई. वह व्यक्ति मोतीलाल नहीं, बल्कि कोई और था.
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डेथ सर्टिफिकेट.


पिता की खोज करने पर मिला डेथ सर्टिफिकेट
बच्चीलाल ने अस्पताल वालों से अपने पिता की जानकारी मांगनी शुरू की और डॉक्टर से लेकर वार्ड ब्वाय तक की डांट फटकार सुनी. लेकिन किसी ने उसके पिता का क्या हाल खबर है, नहीं बताया. इस दौरान बच्चीलाल को इतनी जानकरी जरूर मिली कि उसके पिता की तबीयत बिगड़ने पर उनको दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था. लेकिन उस वार्ड में जाने पर बच्चीलाल को पता चला कि उनके पिता की मौत तो 17 अप्रैल को ही हो चुकी थी और शव का लावारिस समझकर अंतिम संस्कार करवा दिया गया है. बच्चीलाल ने पूरे मामले की शिकायत अस्पताल के जिम्मेदार लोगों से की तो वहां से उन्हें मोतीलाल का डेथ सर्टिफिकेट पकड़ा दिया गया.


जिम्मेदारों से नहीं हो सकी बात
इस पूरे मामले पर बात करने के लिए अस्पताल के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी से संपर्क नहीं हो सका. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल कोरोना संक्रमित होने की वजह से ऑफिस नहीं आ रहे हैं. वहीं इस मामले में इतनी बड़ी लापरवाही के पीछे एक वजह यह बताई जा रही है कि वहां पर मोतीलाल नाम के एक मरीज की मौत के बाद उसी नाम का दूसरा मरीज भर्ती हो गया था, जिस वजह से ये चूक हुई है.

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पिता का अंतिम संस्कार न कर पाने का मलाल
अब बच्चीलाल अपने पिता का आखिरी बार मुंह न देख पाने के साथ ही अंतिम संस्कार न कर पाने की वजह से व्यथित है. उसने लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई की मांग की, लेकिन महामारी के इस काल में उसकी व्यथा सुनने वाला कोई नहीं है. अब बच्चीलाल अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारियों द्वारा किए गए इस लापरवाही को लेकर इंसाफ चाहता है. उसका कहना है कि डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से उसे अपने पिता का अंतिम संस्कार करने का भी मौका नहीं मिला. साथ ही वह उनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर सका है.

Last Updated : Apr 24, 2021, 1:14 PM IST
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