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नियमितीकरण के लिए अदालत के चक्कर काट रहा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, कोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरण

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाटर मैन के पद पर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में नियुक्त हुए व्यक्ति को नियमितीकरण के लिए बरसों अदालतों के चक्कर काटने को मजबूर करने के मामले में सचिव निबंधन को तलब किया है. जहां कोर्ट ने सचिव को सरकारी अधिकारियों के इस कृत्य पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Nov 9, 2022, 8:26 PM IST

प्रयागराज: 43 साल पहले वाटर मैन के पद पर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में नियुक्त हुए व्यक्ति को नियमितीकरण के लिए बरसों अदालतों के चक्कर काटने को मजबूर करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव निबंधन को तलब किया है. कोर्ट ने सचिव को सरकारी अधिकारियों के इस कृत्य पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है. राज्य सरकार की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने दिया.

राज्य सरकार की विशेष अपील में विपक्षी अवध बिहारी के पक्ष में एकल न्याय पीठ द्वारा 23 जुलाई 2013 को दिए आदेश को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी 1979 में वाटर मैन के पद पर नियुक्त हुआ. उसे नियमितीकरण के लिए 6 बार अदालत आने के लिए बाध्य किया गया. जबकि 23 जुलाई 2013 को एकल न्याय पीठ ने याची के मामले में विचार कर निर्णय का लेने का निर्देश दिया था. इस आदेश को भी 9 साल हो चुके हैं. इसके बावजूद अधिकारियों ने अब तक याची के मामले में कोई निर्णय नहीं लिया.

कोर्ट ने कहा कि अधिकारी जिस प्रकार से विपक्षी कर्मचारी के मामले में काम कर रहे हैं और जिस प्रकार से उन्होंने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया अदालत अनुच्छेद 215 में दिए अधिकारों का प्रयोग करते हुए सचिव निबंधन उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ को अदालत में हाजिर होने का निर्देश देती है. सचिव 22 नवंबर को अदालत में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण दें.

इसे भी पढ़ें- फोटो एफिडेविट की फीस 500 रुपये करने के खिलाफ याचिका दाखिल

प्रयागराज: 43 साल पहले वाटर मैन के पद पर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में नियुक्त हुए व्यक्ति को नियमितीकरण के लिए बरसों अदालतों के चक्कर काटने को मजबूर करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव निबंधन को तलब किया है. कोर्ट ने सचिव को सरकारी अधिकारियों के इस कृत्य पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है. राज्य सरकार की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने दिया.

राज्य सरकार की विशेष अपील में विपक्षी अवध बिहारी के पक्ष में एकल न्याय पीठ द्वारा 23 जुलाई 2013 को दिए आदेश को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी 1979 में वाटर मैन के पद पर नियुक्त हुआ. उसे नियमितीकरण के लिए 6 बार अदालत आने के लिए बाध्य किया गया. जबकि 23 जुलाई 2013 को एकल न्याय पीठ ने याची के मामले में विचार कर निर्णय का लेने का निर्देश दिया था. इस आदेश को भी 9 साल हो चुके हैं. इसके बावजूद अधिकारियों ने अब तक याची के मामले में कोई निर्णय नहीं लिया.

कोर्ट ने कहा कि अधिकारी जिस प्रकार से विपक्षी कर्मचारी के मामले में काम कर रहे हैं और जिस प्रकार से उन्होंने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया अदालत अनुच्छेद 215 में दिए अधिकारों का प्रयोग करते हुए सचिव निबंधन उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ को अदालत में हाजिर होने का निर्देश देती है. सचिव 22 नवंबर को अदालत में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण दें.

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