प्रयागराज: कोरोना संक्रमण की वजह से पूरे देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन होने के बावजूद छुपकर बाहर से जमाती प्रयागराज पहुंचे थे. इसकी जानकारी होने पर सभी जमातियों को 4 माह पहले 21 अप्रैल को महबूबा पैलेस करेली से गिरफ्तार किया गया था. इनमें से 16 विदेशियों सहित 30 जमातियों में केरल के अशरफ पीके और पश्चिम बंगाल के शहजान अली की जमानत सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता के विरोध और जमातियों के वकील सय्यद अहमद नसीम( गुड्डू) को सुनकर अपर जिला जज वीर भद्र सिंह ने स्वीकार कर ली है.
जिला न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एसएन नसीम ने बताया कि न्यायालय में आरोपियों के विरुद्ध लॉकडाउन में प्रयागराज जनपद में आने व शाहगंज थाना क्षेत्र के मरकज़ स्थित मुसाफिर खाना में बिना प्रशासन की अनुमति के ठहरने, संक्रमण फैलाने, वीज़ा का उल्लंघन करने का आरोप था. लेकिन आरोपियों की ओर से कहा गया कि सभी विदेशियों सहित 30 जमातियों में कोई भी व्यक्ति संक्रमित नहीं था, और न ही किसी के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित किया गया.
साथ ही प्रशासन द्वारा कई बार की जांच में सभी आरोपियों की रिपोर्ट नेगेटिव आयी और किसी के द्वारा भी वीज़ा के नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया गया था. विदेशी जमातियों द्वारा भारत सरकार की ऑफिशियल वेबसाइड पर फॉर्म 'सी' अपलोड किया गया था. पुलिस व एलआईयू को भी जानकारी दी गई थी कि किसी भी आरोपी द्वारा कोई अपराध नहीं किया गया है.
दोनों आरोपी अनुवादक हैं और विदेशियों की भाषा का अनुवाद करना एवं गाइड करना उनका काम है और उनके विरुद्ध लगाई गई धारा 188, 269, 270, 271आईपीसी, 3 महामारी अधिनियम व 14 बी, 14 सी विदेशिओं विषयक अधिनियम का अपराध बनता ही नहीं है. जेल जाने के समय से लगातार और ज़्यादातर अदालत बन्द होने के कारण उनकी सुनवाई भी नहीं हो सकी. यहां तक कि 21 अप्रैल को जेल भेजे जाने के बाद से आज तक उनका वारंट भी नहीं बदला गया. दलील सुनने के बाद न्यायालय द्वारा दोनों आरोपियों को 2-2 जमानत व मुचलका दाखिल करने पर रिहा किये जाने का आदेश दिया गया.