प्रयागराज: राजनीतिक पार्टियां अपनी जीत दर्ज करने के लिए मतदाताओं को रिझाने के लिए लोक लुभावन वादों को रख रहे हैं. इतना तो सत्य है कि उम्मीदवारों की हार जीत मतदाताओं पर निर्भर है. इस चुनावी समर में दिव्यांग मतदाताओं व छात्रों की अपनी राय है.
सरकार से यह सुविधा चाहते हैं दिव्यांग........
- लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मतदान में भाग लेने वाले दिव्यांग मतदाताओं व छात्रों का मानना है कि केंद्र कि वर्तमान भाजपा सरकार ने विकलांग से दिव्यांग नाम जरूर किया है, लेकिन दिव्यांगों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं.
- शिक्षा, रोजगार और सामान्य रूप से मिलने वाली सुविधाओं के लिए आज भी दिव्यांगों को धक्के खाने पड़ रहे हैं.
- प्रयागराज में बने दिव्यांगों के एक छात्रावास में उच्च शिक्षा में अध्ययनरत छात्र अंजनी कुमार का कहना है कि केंद्र की मौजूदा सरकार ने विकलांगता से जूझ रहे लोगों को नया नाम दिव्यांग तो दिया लेकिन, उनको मिलने वाली सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया.
- अपने अनुभव को बताते हुए छात्र ने कहा कि पहले रेल में सफर के दौरान ट्रेन में दिव्यांगों के लिए एक अलग डिब्बा होता था. जिसमें यात्रा के दौरान आराम से बैठने की जगह मिल जाती थी, लेकिन अब यह सुविधा नहीं मिलती.
- छात्र ने कहा आने वाली सरकार से हम यह चाहेंगे कि यह सुविधा पुनः मिले.
- इससे अलग अन्य छात्र का कहना है कि, दोनों पैरों से चलने में अक्षम दिव्यांगों को उनके सर्टिफिकेट के आधार पर उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली ट्राई साइकिल को सीधे विभाग से मिले न कि उसके लिए विधायक के चक्कर लगाने पड़ें.
- छात्रावास में रह रहे एक अन्य छात्र का कहना है कि, दोनों पैर से विकलांग छात्रों को नियुक्तियों के लिए होने वाली परीक्षा में सीधी भर्ती की सुविधा प्रदान की जाय.
वर्तमान सरकार ने छीने कई हक.....
- भारत सरकार के एनएचएफडीसी विभाग से प्रोफेशनल कोर्स के लिए दिव्यांग छात्रों को तीन हजार रुपये की सहायता राशि मिलती थी जिसे अब बन्द कर दिया गया है.
- दिव्यांगों छात्रों का कहना है कि केंद्र में जो भी सरकार आये इसे पुनः शुरू करे, जिससे गरीब दिव्यांग छात्रों को व्यवसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने में सहायता मिल सके.
- दिव्यांगजनों की इसके अलावा पेंशन, आवास सहित अन्य कई मुद्दे हैं, जो आने वाली सरकार से पूरी करने की यह उम्मीद कर रहे हैं.
- सरकार से इन सभी मुद्दों के लिए यह मतदान करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, सवाल यह है कि केंद्र में आने वाली सरकार इनकी हितैषी हो पाती है कि नहीं.