प्रयागराजः श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बांकेबिहारी मंदिर ( Banke Bihari temple) में हुई भगदड़ कि घटना कि न्यायिक जांच कि मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में एक और पत्र याचिका दाखिल कि गई है. हाईकोर्ट के अधिवक्ता प्रहलाद शुक्ला ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करने की मांग की है. इससे पूर्व मथुरा के अधिवक्ता नन्द किशोर परासर ने भी मुख्य न्यायधीश को पत्र याचिका भेज कर इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करने कि मांग की है.
हाईकोर्ट के अधिवक्ता ने अपने पत्र में लिखा है कि जब श्रद्धालु भगदड़ में फंंसे थे, तब ऊपर बालकनी में स्थित जिले के शीर्ष अफसर जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एवं नगर आयुक्त फोटो खींचने एवं वीडियो बनाने में अपने परिजनों के साथ व्यस्त दिखे, जबकि उनके ठीक नीचे चीख-पुकारें उठ रहीं थी. श्रद्धालु एक-दूसरे के ऊपर गिर रहे थे. भीड़ का दबाव इतना हो गया कि, देखते ही देखते स्थिति बेकाबू हो गई. जिससे वहां भगदड़ मच गई. जिसके कारण दो लोगों की मौत हो गई एवं 60 से अधिक लोग घायल हो गए. मंदिर सेवायतों के अनुसार जिस वक्त यह हादसा हुआ कुछ श्रद्धालु अपनी जान बचाने के लिए बालकनी की सीढ़ियों पर चढ़े लेकिन पुलिसकर्मियों ने सीढ़ी का दरवाजा बंदकर चढ़ने ही नहीं दिया एवं मंदिर के एक सीसीटीवी कैमरे कि रिकॉर्डिंग में पुलिस कर्मी एक महिला के साथ भीड़ का फायदा उठाकर अश्लील हरकत करता दिख रहा है.
याचिका में कहा गया है कि प्रशासन द्वारा लीपापोती करने के उद्देश्य से अत्याधिक भीड़ को वजह हादसे को बताया जबकि प्रत्यक्षदर्शियों एवं मंदिर सेवायतों के अनुसार हादसा प्रशासनिक लापरवाही के कारण ही हुआ है. जिले के शीर्ष तीन अधिकारियो के वहां मौजूद होने के बावजूद यह हादसा हो गया.
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याचिका में मांग कि गई है कि मथुरा प्रशासन (Mathura Administration) के दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय हो एवं भविष्य के लिए ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए श्रद्धालुओं एवं भक्तों के लिए एक बेहतर व्यवस्था एवं सुरक्षा के कड़े इंतजाम शासन-प्रशासन द्वारा किए जाए.
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