प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती-2018 के अभ्यर्थी की लंबाई की जांचों में अंतर पाए जाने पर पुलिस भर्ती बोर्ड से एक सप्ताह में जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा कि किस कारण से दो अलग-अलग मशीनों से नापी गई लंबाई में भिन्नता पाई गई है.
कांस्टेबल अभ्यर्थी सतीश यादव की याचिका पर न्यायमूर्ति जे. जे मुनीर ने यह आदेश दिया है. याची अधिवक्ता का कहना है कि याची 2013 की कांस्टेबल भर्ती में भी शामिल हुआ था. उसमें उसकी लंबाई 168 सेंटीमीटर पाई गई, जो तय मानक के अनुरूप है. कान में कुछ समस्या होने के कारण उसका चयन नहीं हो सका था.
याची ने 2018 की भर्ती में पुनः आवेदन किया. इस बार उसकी लंबाई कम पाई गई. याची का कहना है कि यदि उसकी लंबाई की जांच भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा सत्यापित मशीन से की जाती तो उसकी लंबाई 168 सेंटीमीटर ही है. मशीन बदले जाने के कारण उसकी लंबाई में अंतर आया है. कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता को एक सप्ताह में इस मामले पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
गैंगस्टर एक्ट लगाने पर रोक, राज्य सरकार से मांगा जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए गौतम बुद्ध नगर के निजामुद्दीन मलिक और 54 अन्य लोगों की गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज आपराधिक मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र और न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने निजामुद्दीन मलिक और अन्य की याचिका पर दिया. याचीगण का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची और 54 अन्य लोगों पर बिना किसी कारण के गैंगस्टर एक्ट लगा दिया गया है. वास्तविकता यह है कि इन सबका न तो कोई अपराधिक इतिहास है और न ही इन पर कोई मुकदमा दर्ज है. याचीगण को सुंदर भाटी गैंग का सहयोग करने वाला सदस्य बताते हुए पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की है.
जिलाधिकारी गौतम बुद्ध नगर ने भी अपने विवेक का प्रयोग किए बिना गैंगस्टर एक्ट लगाने की मंजूरी दे दी है. कोर्ट ने इस मामले में जांच पूरी होने तक याची गण की गिरफ्तारी नहीं करने का निर्देश दिया है. याचिका पर 26 फरवरी को अगली सुनवाई होगी.