प्रयागराज: हाईकोर्ट की ओर से ध्वस्तीकरण के आदेश पर रोक लगाए जाने के बावजूद निर्माण गिरा दिए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कमिश्नर अलीगढ़ पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन पर पांच हजार रुपए का हर्जाना लगा दिया है. साथ ही कोर्ट ने कमिश्नर से स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न अदालत के आदेश की जानबूझकर अवमानना करने पर उनके विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए. कोर्ट ने कमिश्नर व अन्य अधिकारियों से यह भी पूछा है कि क्यों न ध्वस्त किए गए निर्माण के पुनर्निर्माण की लागत इन अधिकारियों से वसूल की जाए.
अलीगढ़ के नानूमल की अवमानना याचिका पर न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने यह आदेश दिया. कोर्ट के आदेश के अनुक्रम में कमिश्नर की ओर से इस मामले मे सरकारी वकील को जानकारी भेजी गई थी मगर उस हलफनामे में इस बात का कहीं जिक्र नहीं था कि आवेदक की जमीन का सीमांकन और चिन्हांकन किए बिना ध्वस्तीकरण की कार्रवाई क्यों की गई. कोर्ट ने कहा कि कमिश्नर की ओर से भेजे गए निर्देश भ्रामक है इसलिए उनको रद करते हुए अदालत ने कमिश्नर पर पांच हज़ार रुपये हर्जाना लगाया है. हर्जाने की राशि 2 सप्ताह में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में जमा करने का निर्देश दिया है.
याची के अधिवक्ता का कहना था कि अधिकारियों को 22 जून 2022 के हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी दी गई थी. इसके बावजूद उन्होंने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर दी. इस पर कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह जानबूझकर कोर्ट के आदेश की अवमानना का मामला बनता है. कोर्ट ने कमिश्नर व अन्य अधिकारियों को तीन सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है कि क्यों न उनके विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई की जाए. साथ ही यह भी पूछा है कि बिना चिह्नांकन किए ध्वस्तीकरण किए जाने का कारण भी अधिकारी स्पष्ट करें और क्यों ना ध्वस्त किए गए निर्माण को फिर से बनाने की कीमत उनसे वसूल की जाए.
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