प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मेडिकल कॉलेजों को फीस निर्धारण कमेटी से तय फीस से अधिक फीस लेने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल द्वारा शुल्क वृद्धि का मामला शुल्क निर्धारण कमेटी के पास भेजते हुए पीजी कोर्स के छात्रों को 15 अक्तूबर 20 को 11 बजे कमेटी के समक्ष हाजिर होकर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है. साथ ही कमेटी को अधिक फीस वसूली मामले में 9 नवंबर से पहले निर्णय लेने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि तब तक छात्रों के खिलाफ फीस जमा करने के लिए उत्पीड़न कार्यवाही न की जाए.
यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने डॉक्टर साक्षी मित्तल व 26 अन्य पीजी छात्रों की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है. याचियों का कहना था कि उन्होंने दो वर्ष की फीस के साथ अतिरिक्त फीस जमा की है. कॉलेज प्रबंधन तीसरे वर्ष की फीस जमा करने के लिए कार्यवाही कर रहा है. याचियों का कहना है कि कमेटी की निर्धारित फीस से अधिक जमा कराई गई फीस को तीसरे वर्ष की फीस में समायोजित की जाए.
याचियों ने हास्टल फीस 5 लाख रुपये जमा की है. जिसे बढ़ाकर 12 लाख 88 हजार रुपए कर दिया गया है. साथ ही 7 लाख 88 हजार रुपये अतिरिक्त फीस जमा करने के लिए बाध्य किया जा रहा है. याचीगण पीजी कोर्स के छात्र हैं और कोविड की ड्यूटी के लिए तैयार हैं. याचियों का कहना था कि महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा ने तीन जुलाई 19 को कॉलेजों के छात्रों को फीस के लिए परेशान नहीं करने का निर्देश दिया है. इसके बावजूद 5 जून 20 को उनसे फीस जमा कराने के लिए कॉलेज दबाव डाल रहा है. हाईकोर्ट ने 23 अगस्त 18 को महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा को भी निर्णय लेने का निर्देश दिया है. जिस पर निर्णय नहीं लिया गया है. अपर महाधिवक्ता ने भी कहा कि सरकारी आदेश को रद्दी पेपर नहीं बनने दिया जाएगा. कानून के तहत तय फीस ही ली जा सकती है.