प्रयागराज: यूपी में जब बीजेपी की सरकार बनी तो उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग में सपा शासनकाल के दौरान हुई भर्तियों की जांच को सीबीआई को सौंपी गई. पिछले तीन साल से सीबीआई जांच कर रही है लेकिन अभी तक सरकार को जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी गई. इससे प्रतियोगी छात्रों में नाराजगी है. प्रतियोगी छात्रों के इंसाफ के लिए हाईकोर्ट तक में आवाज उठाने वाले प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति से जुड़े छात्र भी सीबीआई जांच के साथ ही सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
दरअसल, यूपी लोकसेवा आयोग की 2012 से लेकर 2017 तक की सभी भर्तियों की जांच सीबीआई कर रही है. सपा शासनकाल तक हुई आयोग की भर्तियों की जांच सीबीआई से करवाने की संस्तुति प्रदेश सरकार ने साल 2017 में की थी. इसके बाद नवंबर 2017 में केंद्र सरकार ने भी इसे मंजूरी दे दी.
जनवरी 2018 में आयोग पहुंची सीबीआई की टीम
सीबीआई की टीम जांच करने के लिए जनवरी 2018 में पहली बार आयोग के दफ्तर पहुंची. छापेमारी के दोरान सीबीआई ने आयोग के दफ्तर से तमाम दस्तावेजों के साथ कई कंप्यूटर और हार्ड डिस्क को कब्जे में लिया था. इन दस्तावेजों और कंप्यूटर से सीबीआई को भ्रष्टाचार के कई अहम सबूत भी मिले, लेकिन उसी वक्त सीबीआई के एसपी का ट्रांसफर कर दिया गया, जिसके बाद जांच की गति थम-सी गई.
सीबीआई के एसपी राजीव रंजन को हटाने पर भी उठे सवाल
सीबीआई के एसपी राजीव रंजन के अचानक तबादले को लेकर प्रतियोगी छात्रों में काफी नाराजगी है. छात्रों का कहना है कि राजीव रंजन के नेतृत्व में जांच की जाती तो अब तक आयोग के भ्रष्टाचार का खुलासा हो गया होता, लेकिन सरकार ने जांच के बीच में ही एसपी का तबादला कर दिया. इसके बाद भी सीबीआई की टीम कई महीनों तक इस मामले की जांच कर रही थी. छात्रों की मांग व दबाव के बाद सीबीआई की टीम में दूसरे एसपी की तैनाती तो की गई लेकिन जांच की गति अभी भी धीमी है.
सरकार पर दिखावा करने का आरोप
प्रतियोगी छात्रों का आरोप है कि बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार का खुलासा नहीं करना चाहती है, बल्कि सिर्फ जांच का दिखावा किया जा रहा है. यही वजह है कि जिस वक्त सीबीआई की जांच तेज गति से चल रही थी, उसी वक्त एसपी का ट्रांसफर कर दिया गया. 3 साल बीत जाने के बाद भी सीबीआई किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी.
सपा शासनकाल के उन 5 सालों के दौरान लोक सेवा आयोग में हजारों पदों पर भर्तियां की गई थीं. इसमें मुख्य रूप से पीसीएस और पीसीएस जे के साथ ही तमाम तरह की भर्तियां शामिल थीं. इसमें लोअर सब-ऑर्डिनेट, समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी, राजस्व निरीक्षक, फूड सेफ्टी ऑफिसर, चिकित्सा अधिकारी, राज्य विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, एपीओ, एपीएस समेत कई अन्य तरह की भर्तियां भी शामिल थीं.
शासन को लिखा था पत्र
साल 2017 में जब मामले की जांच शुरू हुई तो प्रतियोगी छात्रों ने सीबीआई टीम को 9 हजार से ज्यादा शिकायती पत्र सौंपा था. इन शिकायती पत्रों में तमाम छात्रों ने अलग-अलग भर्तियों में हुई धांधली की जानकारी दी है. छात्रों के आरोपों के मुताबिक, सपा शासनकाल के 5 साल के दौरान UPPSC में हुई सभी भर्तियों में धांधली की गई है. परीक्षा से लेकर इंटरव्यू तक में भ्रष्टाचार व्याप्त था. छात्रों का यह भी आरोप है कि भ्रष्टाचार में लिप्त आयोग के अधिकारी न सिर्फ छात्रों की कॉपियां और ओएमआर शीट बदल देते थे, बल्कि इंटरव्यू के दौरान जिन अभ्यर्थियों को सफल करना होता था, उनके कपड़ों के रंग और दूसरे पहचान को इंटरव्यू लेने वालों को पहले ही बता दिए जाते थे.
सीबीआई जांच के 3 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक सिर्फ दो अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं. इसके अलावा सीबीआई टीम अपनी जांच में किसी और तरह का सबूत पेश नहीं कर सकी है. सीबीआई जांच की धीमी गति की वजह से प्रतियोगी छात्रों में निराशा छा रही है. प्रतियोगी छात्र सरकार के साथ अब सीबीआई जांच पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं.