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विधायक विजय मिश्रा के मकान के ध्वस्तीकरण पर रोक, खुद अवैध निर्माण तोड़ने की छूट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली विधायक विजय मिश्रा के मकान के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही याची को नक्शे के विपरीत बने निर्माण को खुद हटाने की छूट दी है.

विधायक विजय मिश्रा के मकान के ध्वस्तीकरण पर रोक.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Nov 10, 2020, 10:48 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधायक विजय मिश्रा के मकान के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही याची को नक्शे के विपरीत निर्माण हटाने की छूट दी है. कोर्ट ने राज्य सरकार व प्रयागराज विकास प्राधिकरण से दो सप्ताह मे याचिका पर जवाब मांगा है. साथ ही कहा है कि हलफनामे में इस बात का खुलासा करे कि याची को प्रतिवाद करने व सुनवाई का उचित अवसर क्यो नही दिया गया. याचिका की सुनवाई 2 दिसम्बर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने इंद्र कली व अन्य की याचिका पर दिया है.

याची अधिवक्ता लोकेश कुमार द्विवेदी का कहना था कि 5 नवम्बर 20 को शाम 5 बजे ध्वस्तीकरण का आदेश किया और 15 मिनट के भीतर कार्यवाई शुरू कर दी. याची को बचाव का मौका देने से इंकार कर दिया गया. यह भी कहा गया कि मकान दोनो याचियों के नाम हैं. पीडीए ने केवल एक को ही नोटिस दी है. पूर्व स्वामी ने 3 फरवरी 80 को ही एडीए से नक्शा पास करवाकर निर्माण की अनुमति ली थी. याचीगण ने खुद ही कहा था कि नक्शे के विपरीत निर्माण पाये जाने पर वह स्वयं हटा लेंगे. इसकी अनदेखी कर स्वीकृत नक्शे के अनुसार बने निर्माण गिराए गए हैं. कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है और जवाब मांगा है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधायक विजय मिश्रा के मकान के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही याची को नक्शे के विपरीत निर्माण हटाने की छूट दी है. कोर्ट ने राज्य सरकार व प्रयागराज विकास प्राधिकरण से दो सप्ताह मे याचिका पर जवाब मांगा है. साथ ही कहा है कि हलफनामे में इस बात का खुलासा करे कि याची को प्रतिवाद करने व सुनवाई का उचित अवसर क्यो नही दिया गया. याचिका की सुनवाई 2 दिसम्बर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने इंद्र कली व अन्य की याचिका पर दिया है.

याची अधिवक्ता लोकेश कुमार द्विवेदी का कहना था कि 5 नवम्बर 20 को शाम 5 बजे ध्वस्तीकरण का आदेश किया और 15 मिनट के भीतर कार्यवाई शुरू कर दी. याची को बचाव का मौका देने से इंकार कर दिया गया. यह भी कहा गया कि मकान दोनो याचियों के नाम हैं. पीडीए ने केवल एक को ही नोटिस दी है. पूर्व स्वामी ने 3 फरवरी 80 को ही एडीए से नक्शा पास करवाकर निर्माण की अनुमति ली थी. याचीगण ने खुद ही कहा था कि नक्शे के विपरीत निर्माण पाये जाने पर वह स्वयं हटा लेंगे. इसकी अनदेखी कर स्वीकृत नक्शे के अनुसार बने निर्माण गिराए गए हैं. कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है और जवाब मांगा है.

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