वाराणसी : देश में अब तक चाइनीज वायरस एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस) के एक दर्जन से ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है. अलर्ट के साथ-साथ बेड भी रिजर्व किये जा रहे हैं. केंद्र सरकार व स्वास्थ्य विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी कर लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है. इन सब के बावजूद लोगों के मन में इस नए वायरस को लेकर के तमाम सवाल हैं कि, आखिर यह एचएमपीवी वायरस क्या है? क्या यह कोरोना जितना घातक है? इससे किस तरीके से सुरक्षित रहने की जरूरत है?
बता दें कि, अब तक देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ यूपी में भी इस वायरस ने अपनी दस्तक दे दी है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डीन प्रोफेसर गोपाल नाथ से बातचीत की. उनसे यह जाना कि आखिर यह वायरस कोरोना वायरस से कितना अलग है? कैसे इससे सुरक्षित रहने की जरूरत है और इसके लक्षण क्या हैं? उन्होंने बताया कि यह एचएमपीवी वायरस कोई नया वायरस नहीं बल्कि 25 साल पुराना वायरस है, जिसे सबसे पहले नीदरलैंड में पाया गया था.
यह हैं लक्षण |
सर्दी जुकाम |
नाक बहना |
बुखार आना |
सांस लेने में परेशानी |
खांसी बंद न होना |
फेफड़ों में संक्रमण और निमोनिया |
वायरस से ऐसे करें सुरक्षा : ईटीवी भारत से बातचीत में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डीन प्रोफेसर गोपाल नाथ बताया कि, यह वायरस कोरोना जितना बहरूपिया नहीं है, इसलिए इससे डरने की जरूरत नहीं है. दूसरी बड़ी बात यह है कि यह 50 से 60 साल पहले से मौजूद है और 2001 में नीदरलैंड में यह पाया गया था. पापुलेशन में पहले से यह बीमारी पाई जा रही है. यही वजह है कि जितने भी केसेस भारत में पाए गए हैं उनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है. इससे ये स्पष्ट है कि यह पहले से वातावरण में मौजूद है. जब सर्दियों का मौसम आता है तो उसमें वायरस, इन्फ्लूएंजा, बैक्टीरिया पहले से ही उपस्थित रहते हैं, इसलिए HMPV भी दिख रहा है.
ऐसे करें बचाव |
- खांसते एवं छींकते समय अपने मुंह और नाक को रूमाल या टिशू पेपर से ढकें. |
- अपने हाथों को लगातार साबुन या सैनिटाइजर से साफ करें. |
- भीड़ वाली जगह पर जाने से बचें. |
- अगर आपको बुखार, खांसी और छींक आ रही है तो सार्वजनिक स्थलों से दूर रहें. |
- संक्रमण को कम करने के लिए कमरों में वेंटिलेशन की व्यवस्था करें. |
- यदि आप बीमार हैं तो घर पर रहें. |
- खूब पानी पिएं, साथ ही पौष्टिक भोजन करें. |
'घबराने की जरूरत नहीं' : उन्होंने बताया कि, अभी इससे बहुत घबराने की जरूरत नहीं है. एचएमपीवी के बारे में कहें तो यह एक आरएनए वायरस है, जो थोड़ा बड़े साइज का होता है. यह पर पैरामिक्सोवायरस ग्रुप में आता है. कोरोना वायरस की साइज जहां 90 नैनोमीटर की होती है तो इसकी 150 का है. यह ज्यादातर सांस की बीमारियां फैलाता है. सामान्यतः गले में खराश पैदा करेगा, लेकिन जिनकी इम्यूनिटी कम होती है उनके फेफड़ों में जाकर के निमोनिया जैसे बीमारी पैदा करता है. उन्होंने बताया कि सभी वर्ग के लोगों में ये हो सकता है, लेकिन 5 साल से कम के बच्चों के लिए और बुजुर्गों के लिए यह परेशानी पैदा कर सकता है, क्योंकि इनमें इम्यूनिटी का लेवल एक युवा व्यक्ति के लेवल से कम होता है. इसके साथ ही जिनका इम्यून कमजोर है या किसी बीमारी की वजह से उनके इम्यूनिटी लगातार कम रहती है या कोई ट्रीटमेंट है या दवा चल रही है जिनसे उनकी इम्यूनिटी प्रभावित हो रही है. उनके लिए भी है दिक्कत बढ़ा सकता है.
यह ना करें |
- दूसरे की तौलिया आदि का इस्तेमाल न करें. |
- टिशू पेपर और रुमाल का दोबारा प्रयोग ना करें. |
- बार-बार आंख नाक और मुंह को छूना बंद करें. |
- सार्वजनिक स्थानों पर न थूकें. |
- चिकित्सकों से परामर्श लिए बिना खुद दवा का सेवन न करें. |
उन्होंने बताया कि, इसके लक्षण कोरोना से बिल्कुल सामान्य हैं. तेज बुखार, नाक बहना, छींक, सूखी खांसी, सांस लेने में कठिनाई, भूख कम लगना, कमजोरी ज्यादा महसूस होना इसके लक्षण हैं. जनरल पापुलेशन के लिए किसी भी तरीके से घातक नहीं है, लेकिन इम्यूनिटी कम होने वाले लोगों को अपना विशेष ख्याल रखने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि, यदि भारत की बात करें तो यहां पर ये महामारी के रूप में नहीं दिख रहा है, क्योंकि इसमें कोरोना जैसा बेहद अलग-अलग वेरिएंट नहीं है. लेकिन इसमें भी कोरोना की तरह सभी गाइडलाइन का पालन करना है. हाथ धोना है, मास्क पहन कर रखना है और अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने पर ध्यान देना है.
अभी तक नहीं है कोई वैक्सीन : उन्होंने बताया कि, अभी तक एचएमपीवी वायरस को लेकर के कोई भी वैक्सीन नहीं बनाई गई है, न ही कोई एंटी वायरस दवा बनी है, क्योंकि ज्यादातर लोगों पर इस वायरस का बेहद सामान्य असर होता है, जिसे घर में रहकर ही ठीक किया जा सकता है. जिन लोगों में गंभीर दिक्कत होती है उन्हें ऑक्सीजन, IV और कार्डियक स्टेरॉयड दिया जाता है, जिससे वह स्वस्थ हो जाते हैं. अभी तक एचएमपीवी को लेकर की कोई गंभीर स्थिति नहीं हुई है. यही वजह है कि, इसको लेकर के अब तक कोई वैक्सीन नहीं विकसित की गई है.
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