प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के तहखाने में मिली 16वीं शताब्दी की मुगलकालीन बंदूक सोमवार को इलाहाबाद संग्रहालय को सौंपी गई. कई सालों से यह नायाब बंदूक इतिहास विभाग के तहखाने में रखी हुई थी.
इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी ने सोमवार को इस बंदूक को इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक डॉ. सुनील गुप्ता को सौंप दिया. अब यह मुगलकालीन बंदूक इलाहाबाद संग्रहालय की शोभा बढ़ाएगी. साढ़े चार सौ साल पुरानी यह बंदूक अब इलाहाबाद संग्रहालय में देखने को मिलेगी.
युवा पीढ़ी धरोहर से होगी रूबरू
मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी ने बताया कि विभाग के स्टोर में सफाई का काम चल रहा था. वहां कार्य करने वाले सफाईकर्मी ने इस बंदूक के बारे में जानकारी दी. कुलपति को सूचना देने के बाद नायाब बंदूक इलाहाबाद संग्रहालय को सौंप दी गई. अब यह बंदूक इलाहाबाद संग्रहालय की शोभा बढ़ाएगी.
तीन से अधिक जवान मिलकर चलाते थे बंदूक
इलाहाबाद संग्रहालय के सदस्य ओमकार वानखेड़े ने जानकारी देते हुए बताया कि इलाहाबाद संग्रहालय को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग ने बहुत नायाब बंदूक दी है. बंदूक की सबसे खास बात बंदूक और तोप के बीच की कड़ी है. इस बंदूक को तीन से चार लोग मिलकर ही चला पाते थे. इस बंदूक में कुछ भाग लकड़ी का लगा है, जिससे इसका वजन कम हो जाता है. इस नायाब बंदूक को इलाहाबाद संग्रहालय की आर्म गैलरी में रखा जाएगा.
किले पर रखकर करते थे वार
इलाहाबाद संग्रहालय के सदस्य ओमकार वानखेड़े ने बताया कि 16वीं-17वीं शताब्दी की इस नायाब गन का इस्तेमाल किले के ऊपर से किया जाता था. इस बंदूक का वजन 90 से 120 किलो तक होता है. बंदूक के साथ एक कैनल बॉक्स और बारूद रखने का बॉक्स मिला है. अब इन सभी को इलाहाबाद संग्रहालय में रखकर लोगों की इसकी जानकारी दी जाएगी.