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प्रयागराज : राज्य सरकार की आपत्ति पर हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 226 से संविधान ने हाईकोर्ट को असामान्य शक्ति दी है. इसका इस्तेमाल पक्षकारों के व्यक्तिगत अधिकारों को तय करने के लिए नहीं किया जा सकता है.

हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
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Published : May 12, 2019, 1:50 AM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 936 सीसीटीवी कैमरे सहित लखनऊ में आग से हुई क्षति की भरपाई और भुगतान करने का समादेश जारी करने के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने याचिका की पोषणीयता पर की गयी राज्य सरकार की आपत्ति को स्वीकार करते हुए याचिका को खारिज करने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 226 से संविधान ने हाईकोर्ट को असामान्य शक्ति दी है. इसका इस्तेमाल पक्षकारों के व्यक्तिगत अधिकारों को तय करने के लिए नहीं किया जा सकता है. संविदा के पालन कराने के लिए सिविल कोर्ट में वाद दायर किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि याची सिविल वाद दायर कर सकता है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पीके जायसवाल तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मेसर्स आईपी जैकेट टेक्नालॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी की याचिका पर दिया है. याचिका पर उप्र राजकीय निर्माण निगम के अधिवक्ता प्रांजल मेहरोत्रा ने प्रतिवाद किया. याची का कहना था कि संविदा को लेकर याचिका दाखिल करने पर पूर्णतया प्रतिबन्ध नहीं है. कोर्ट ऐसी याचिका की सुनवाई कर सकती है, लेकिन कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सूर्या कंस्ट्रक्शन केस के फैसले को इस मामले से अलग माना और याचिका खारिज कर दी है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 936 सीसीटीवी कैमरे सहित लखनऊ में आग से हुई क्षति की भरपाई और भुगतान करने का समादेश जारी करने के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने याचिका की पोषणीयता पर की गयी राज्य सरकार की आपत्ति को स्वीकार करते हुए याचिका को खारिज करने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 226 से संविधान ने हाईकोर्ट को असामान्य शक्ति दी है. इसका इस्तेमाल पक्षकारों के व्यक्तिगत अधिकारों को तय करने के लिए नहीं किया जा सकता है. संविदा के पालन कराने के लिए सिविल कोर्ट में वाद दायर किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि याची सिविल वाद दायर कर सकता है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पीके जायसवाल तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मेसर्स आईपी जैकेट टेक्नालॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी की याचिका पर दिया है. याचिका पर उप्र राजकीय निर्माण निगम के अधिवक्ता प्रांजल मेहरोत्रा ने प्रतिवाद किया. याची का कहना था कि संविदा को लेकर याचिका दाखिल करने पर पूर्णतया प्रतिबन्ध नहीं है. कोर्ट ऐसी याचिका की सुनवाई कर सकती है, लेकिन कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सूर्या कंस्ट्रक्शन केस के फैसले को इस मामले से अलग माना और याचिका खारिज कर दी है.

प्रयागराज 11 मई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 226 से संविधान ने हाई कोर्ट को असामान्य शक्ति दी है,इसका इस्तेमाल पक्षकारों के व्यक्तिगत अधिकारों को तय करने के लिए नही किया जा सकता।संविदा के पालन कराने के लिए सिविल कोर्ट में वाद दायर किया जा सकता है।कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 936 सी सी टी वी कैमरे सहित लखनऊ में आग से हुई छति की भरपाई करते हुए भुगतान करने का समादेश जारी करने के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया और कहा कि याची सिविल वाद दायर कर सकता है।और याचिका खारिज कर दी है।कोर्ट ने याचिका की पोषणीयता पर की गयी राज्य सरकार की आपत्ति को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पी के जायसवाल तथा न्यायमूर्ति डॉ वाई के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मेसर्स आई पी जैकेट टेक्नालॉजी इंडिया प्रा लि कम्पनी की याचिका पर दिया है।याचिका पर उ प्र राजकीय निर्माण निगम के अधिवक्ता प्रांजल मेहरोत्रा ने प्रतिवाद किया।याची का तर्क था कि संविदा को लेकर याचिका दाखिल करने पर पूर्णतया प्रतिबन्ध नही है।कोर्ट ऐसी याचिका की सुनवाई कर सकतीहै किन्तु कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सूर्या कंस्ट्रक्शन केस के फैसले को इस मामले से अलग माना और याचिका खारिज कर दी है।
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