प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि प्रदेश के सभी परिवार अदालतों को वीडियो कांफ्रेंसिंग व कंप्यूटर हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मांगी गई धनराशि तत्काल उपलब्ध कराए. कोर्ट ने परिवार न्यायालय गाजियाबाद में वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भी तत्काल धनराशि जारी करने का निर्देश दिया है. प्रदेश सरकार से अगली सुनवाई पर आदेश के अनुपालन का हलफनामा मांगा है. डॉक्टर प्रतिष्ठा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने दिया है.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में आया कि परिवार न्यायालय गाजियाबाद में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इस पर कोर्ट ने विशेष सचिव से हलफनामा मांगा था. सचिव ने बताया कि प्रदेश की परिवार अदालतों में कंप्यूटर हार्डवेयर सॉफ्टवेयर खरीद के लिए हाईकोर्ट को धनराशि उपलब्ध कराई गई है. महानिबंधक हाईकोर्ट को इस संबंध में उचित कार्रवाई करनी चाहिए. जबकि हाईकोर्ट की ओर से अदालत के समक्ष ब्योरा प्रस्तुत कर बताया गया कि कंप्यूटर व अन्य खर्चों के लिए प्रदेश सरकार से 3 करोड़ रुपये का बजट मांगा गया था. लेकिन राज्य सरकार ने सिर्फ 60 लाख रुपये ही दिए हैं.
हाईकोर्ट ने कहा कि एक बार जब जिला न्यायालयों व परिवार अदालतों में मुकदमों की सुनवाई और साक्ष्य वीडियो कांफ्रेंसिंग से लिए जाने को लेकर नियम बना दिए हैं तो राज्य सरकार द्वारा इस मद में धनराशि मुहैया नहीं कराने का औचित्य समझ से परे है. कोर्ट ने कहा कि यदि वैवाहिक विवाद में दोनों पक्ष तलाक लेना चाहते हैं. एक पक्ष विदेश में रहता है तो वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा होने से ऐसे मामलों का निस्तारण शीघ्रता से किया जा सकता है. इन हालात में सरकार के लिए आवश्यक है कि वह हाई कोर्ट द्वारा मांगी गई धनराशि तत्काल मुहैया करा दे. इस मामले की अनुपालन की रिपोर्ट प्रस्तुत करें.
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