ETV Bharat / state

दारोगा पर रेप और युवती के उत्पीड़न का आरोप, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीजीपी से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा

author img

By

Published : Jul 6, 2021, 8:06 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दारोगा पर रेप और युवती के उत्पीड़न के आरोप में सुनवाई की. इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कार्रवाई रिपोर्ट के साथ डीजीपी से जवाब-तलब किया है. वहीं एक अन्य मामले में कोर्ट ने धिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद बुलंदशहर को विवाहित पुत्री को आश्रित कोटे में नौकरी देने पर विचार का निर्देश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस उत्पीड़न और दुराचार से पीड़ित महिला को आपराधिक केस में फंसाने के मामले में मंगलवार को सुनवाई की. सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी से 8 जुलाई को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस याचिका पर अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने पीड़ित युवती व अन्य की याचिका पर दिया है.

डीजीपी दाखिल करें व्यक्तिगत हलफनामा

कोर्ट ने डीजीपी से कहा है कि व्यक्तिगत हलफनामे में महिला से बलात्कार कर आपराधिक केस में फंसाने वाले पुलिस दारोगा के खिलाफ की गई कार्रवाई रिपोर्ट एवं पीड़िता का कोर्ट में दर्ज बयान भी दाखिल करें. याचिका पुलिस द्वारा उत्पीड़न को लेकर दाखिल की गई है. कोर्ट ने अगली सुनवाई तक याची के पुलिस उत्पीड़न पर रोक लगा दी है.

क्या है मामला

याची का आरोप है कि पुलिस दारोगा सुनील कुमार ने उसके साथ दुराचार किया है. इस मामले में शाहजहांपुर के महिला थाने में 14 जनवरी 2021को एफआईआर दर्ज की गई थी. इतना ही नहीं एक एफआईआर थाना दातागंज बदायूं में और एक एफआईआर जलालाबाद थाना शाहजहांपुर में दर्ज है. दारोगा ने भी पेशबंदी में एक एफआईआर दर्ज कराई है. पीड़िता ने मुख्यमंत्री सहित सभी पुलिस अधिकारियों से इसको लेकर शिकायत की थी, किन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई. दारोगा उसे परेशान कर रहा है. पुलिस के खिलाफ शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर कोर्ट ने डीजीपी से जवाब मांगा है.

इसे भी पढ़ें- झूठी शान के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीनने का किसी को हक नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

विवाहित पुत्री को आश्रित कोटे में नौकरी देने पर विचार का निर्देश

एक अन्य मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद बुलंदशहर को मृतक आश्रित कोटे में विवाहिता पुत्री की अनुकंपा नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा है कि विमला श्रीवास्तव सहित कई केसों में कोर्ट ने कानून की व्याख्या करते हुए स्पष्ट कहा है कि विवाहिता पुत्री, विवाहित पुत्र की तरह परिवार में शामिल है. इसलिए उसे नौकरी देने से इंकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने अधिशासी अधिकारी के याची को नियुक्ति देने से इंकार करने के आदेश को रद्द कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने श्रीमती सीमा रानी की याचिका पर दिया है.

बता दें कि याची की मां परिषद में सफाई कर्मचारी थी. जिनकी सेवाकाल में मृत्यु हो गई थी. याची को शादीशुदा होने के नाते परिवार का न मानते हुए नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया था.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस उत्पीड़न और दुराचार से पीड़ित महिला को आपराधिक केस में फंसाने के मामले में मंगलवार को सुनवाई की. सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी से 8 जुलाई को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस याचिका पर अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने पीड़ित युवती व अन्य की याचिका पर दिया है.

डीजीपी दाखिल करें व्यक्तिगत हलफनामा

कोर्ट ने डीजीपी से कहा है कि व्यक्तिगत हलफनामे में महिला से बलात्कार कर आपराधिक केस में फंसाने वाले पुलिस दारोगा के खिलाफ की गई कार्रवाई रिपोर्ट एवं पीड़िता का कोर्ट में दर्ज बयान भी दाखिल करें. याचिका पुलिस द्वारा उत्पीड़न को लेकर दाखिल की गई है. कोर्ट ने अगली सुनवाई तक याची के पुलिस उत्पीड़न पर रोक लगा दी है.

क्या है मामला

याची का आरोप है कि पुलिस दारोगा सुनील कुमार ने उसके साथ दुराचार किया है. इस मामले में शाहजहांपुर के महिला थाने में 14 जनवरी 2021को एफआईआर दर्ज की गई थी. इतना ही नहीं एक एफआईआर थाना दातागंज बदायूं में और एक एफआईआर जलालाबाद थाना शाहजहांपुर में दर्ज है. दारोगा ने भी पेशबंदी में एक एफआईआर दर्ज कराई है. पीड़िता ने मुख्यमंत्री सहित सभी पुलिस अधिकारियों से इसको लेकर शिकायत की थी, किन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई. दारोगा उसे परेशान कर रहा है. पुलिस के खिलाफ शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर कोर्ट ने डीजीपी से जवाब मांगा है.

इसे भी पढ़ें- झूठी शान के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीनने का किसी को हक नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

विवाहित पुत्री को आश्रित कोटे में नौकरी देने पर विचार का निर्देश

एक अन्य मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद बुलंदशहर को मृतक आश्रित कोटे में विवाहिता पुत्री की अनुकंपा नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा है कि विमला श्रीवास्तव सहित कई केसों में कोर्ट ने कानून की व्याख्या करते हुए स्पष्ट कहा है कि विवाहिता पुत्री, विवाहित पुत्र की तरह परिवार में शामिल है. इसलिए उसे नौकरी देने से इंकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने अधिशासी अधिकारी के याची को नियुक्ति देने से इंकार करने के आदेश को रद्द कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने श्रीमती सीमा रानी की याचिका पर दिया है.

बता दें कि याची की मां परिषद में सफाई कर्मचारी थी. जिनकी सेवाकाल में मृत्यु हो गई थी. याची को शादीशुदा होने के नाते परिवार का न मानते हुए नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.