ETV Bharat / state

धारा 125 का उद्देश्य तत्काल राहत पहुंचाना : इलाहाबाद हाईकोर्ट

author img

By

Published : Jan 28, 2021, 9:32 AM IST

27 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले के दौरान कहा है कि सीआरपीसी की धारा-125 का उद्देश्य महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग अभिभावकों को तत्काल राहत पहुंचाना तथा उन्हें दर-दर भटकने से बचाना है. इसी के साथ कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा-125 के तहत परिवार न्यायालय महोबा के भरण पोषण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज : 27 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले के दौरान कहा है कि सीआरपीसी की धारा-125 का उद्देश्य महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग अभिभावकों को तत्काल राहत पहुंचाना तथा उन्हें दर-दर भटकने से बचाना है. कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा-125 समरी प्रकृति की है और इसका उद्देश्य तत्काल राहत पहुंचाना है. इसी के साथ कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा-125 के तहत परिवार न्यायालय महोबा के भरण पोषण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है.

यह निर्णय न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव ने महोबा के अलखराम की याचिका खारिज करते हुए दिया. याची के खिलाफ उसकी पत्नी उमा देवी ने महोबा के प्रधान पारिवारिक न्यायालय में सीआरपीसी की धारा-125 के तहत गुजारा भत्ता का दावा दाखिल किया था. कोर्ट ने 20 अक्तूबर 2016 को आदेश किया. इसके बाद भी याची ने पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं दिया तो उसने धारा-125 (3) के तहत अर्जी दाखिल कर आदेश का अनुपालन कराने का अनुरोध किया. कोर्ट ने याची को मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया तो उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इसे चुनौती दी थी. साथ ही आदेश वापस लेने के लिए प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश के समक्ष अर्जी दाखिल की.

सरकारी वकील ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए कहा कि याची ने गुजारा भत्ता का भुगतान नहीं किया है. उसने आदेश वापस लेने की अर्जी भी दाखिल की है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याची अधीनस्थ अदालत में दाखिल अर्जी को बल दे.

प्रयागराज : 27 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले के दौरान कहा है कि सीआरपीसी की धारा-125 का उद्देश्य महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग अभिभावकों को तत्काल राहत पहुंचाना तथा उन्हें दर-दर भटकने से बचाना है. कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा-125 समरी प्रकृति की है और इसका उद्देश्य तत्काल राहत पहुंचाना है. इसी के साथ कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा-125 के तहत परिवार न्यायालय महोबा के भरण पोषण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है.

यह निर्णय न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव ने महोबा के अलखराम की याचिका खारिज करते हुए दिया. याची के खिलाफ उसकी पत्नी उमा देवी ने महोबा के प्रधान पारिवारिक न्यायालय में सीआरपीसी की धारा-125 के तहत गुजारा भत्ता का दावा दाखिल किया था. कोर्ट ने 20 अक्तूबर 2016 को आदेश किया. इसके बाद भी याची ने पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं दिया तो उसने धारा-125 (3) के तहत अर्जी दाखिल कर आदेश का अनुपालन कराने का अनुरोध किया. कोर्ट ने याची को मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया तो उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इसे चुनौती दी थी. साथ ही आदेश वापस लेने के लिए प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश के समक्ष अर्जी दाखिल की.

सरकारी वकील ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए कहा कि याची ने गुजारा भत्ता का भुगतान नहीं किया है. उसने आदेश वापस लेने की अर्जी भी दाखिल की है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याची अधीनस्थ अदालत में दाखिल अर्जी को बल दे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.