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उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन पर विशेषज्ञ पर विश्वास होना जरूरी : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन पर विशेषज्ञ पर विश्वास करना जरूरी है. कोर्ट विशेषज्ञ नहीं हो सकती. नियम के अभाव में कोर्ट दोबारा पुनर्मूल्यांकन का निर्देश नहीं दे सकती है. यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने विश्व वैभव की याचिका को खारिज करते हुए दिया है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Jan 14, 2021, 10:45 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शैक्षिक कोर्स की उत्तर पुस्तिका का विषय विशेषज्ञों के पुनर्मूल्यांकन पर भरोसा किया जाना चाहिए. कोर्ट विशेषज्ञों के निर्णय पर विशेषज्ञ नहीं बन सकती. यदि दोबारा पुनर्मूल्यांकन कराने का नियम नहीं है तो कोर्ट इसके लिए आदेश नहीं दे सकती.

कोर्ट ने दोबारा पुनर्मूल्यांकन कराने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने विश्व वैभव की याचिका को खारिज करते हुए दिया है.

याची का कहना था कि वह के डी डेन्टल कॉलेज एवं हॉस्पिटल मथुरा में डेन्टल सर्जरी कोर्स के फाइनल वर्ष में है. दो विषय में असफल हो गया है. कॉपियों की दुबारा जांच की गई, किन्तु अंक भिन्न नहीं मिले तो उसने फिर से मूल्यांकन की मांग की और याचिका दायर की. इस पर कोर्ट ने कहा कि नियम के अभाव में बार-बार पुनर्मूल्यांकन की मांग नहीं की जा सकती और ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे विषय विशेषज्ञों की राय के विपरीत याची की राय को स्थापित किया जा सके.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शैक्षिक कोर्स की उत्तर पुस्तिका का विषय विशेषज्ञों के पुनर्मूल्यांकन पर भरोसा किया जाना चाहिए. कोर्ट विशेषज्ञों के निर्णय पर विशेषज्ञ नहीं बन सकती. यदि दोबारा पुनर्मूल्यांकन कराने का नियम नहीं है तो कोर्ट इसके लिए आदेश नहीं दे सकती.

कोर्ट ने दोबारा पुनर्मूल्यांकन कराने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने विश्व वैभव की याचिका को खारिज करते हुए दिया है.

याची का कहना था कि वह के डी डेन्टल कॉलेज एवं हॉस्पिटल मथुरा में डेन्टल सर्जरी कोर्स के फाइनल वर्ष में है. दो विषय में असफल हो गया है. कॉपियों की दुबारा जांच की गई, किन्तु अंक भिन्न नहीं मिले तो उसने फिर से मूल्यांकन की मांग की और याचिका दायर की. इस पर कोर्ट ने कहा कि नियम के अभाव में बार-बार पुनर्मूल्यांकन की मांग नहीं की जा सकती और ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे विषय विशेषज्ञों की राय के विपरीत याची की राय को स्थापित किया जा सके.

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