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पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय के भाई और बेटे की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज - prayagraj latest news

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय के भाई बेटे सहित अन्य की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने अर्जी पोषणीय (सुनवाई योग्य) न मानते हुए खारिज की है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Aug 9, 2022, 8:40 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बसपा सरकार में मंत्री रहे रामवीर उपाध्याय के भाई विनोद उपाध्याय, बेटा चिराग वीर उपाध्याय, शशिकांत शर्मा, रामेश्वर उपाध्याय, प्रशांत उर्फ चिंटू गौतम अग्रिम जमानत अर्जी पोषणीय (सुनवाई योग्य) न मानते हुए खारिज कर दी है. इन सभी के खिलाफ एससी एसटी एक्ट और जानलेवा हमला करने के आरोप में हापुड़ के सहपऊ थाने अपराधिक मामला दर्ज है. कोर्ट ने इन्हें पहले सत्र अदालत में अर्जी दाखिल करने की छूट दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने दिया है.

याचियों ने सीधे हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. याचियों का कहना था कि उन्होंने कोर्ट के संज्ञान लेने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की है, जो लंबित है. कोर्ट ने कहा है कि याचीग अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दे सकते हैं. इनका यह भी कहना था कि पहले सत्र अदालत में अर्जी देना बाध्यकारी नहीं है. हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने अंकित भारती ने कहा है कि विशेष स्थिति में सीधे हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की जा सकती है.

पढ़ेंः निषाद आरक्षण मामला: संजय निषाद बोले- न्यायालय जो भी फैसला देगा वह उन्हें मान्य होगा.

कोर्ट ने कहा ऐसी कोई विशेष परिस्थिति नहीं दिख रही, जिससे याची सत्र अदालत में जाने के बजाय सीधे हाईकोर्ट में आए. कोर्ट ने अर्जी पोषणीय न मानते हुए खारिज कर दी है.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बसपा सरकार में मंत्री रहे रामवीर उपाध्याय के भाई विनोद उपाध्याय, बेटा चिराग वीर उपाध्याय, शशिकांत शर्मा, रामेश्वर उपाध्याय, प्रशांत उर्फ चिंटू गौतम अग्रिम जमानत अर्जी पोषणीय (सुनवाई योग्य) न मानते हुए खारिज कर दी है. इन सभी के खिलाफ एससी एसटी एक्ट और जानलेवा हमला करने के आरोप में हापुड़ के सहपऊ थाने अपराधिक मामला दर्ज है. कोर्ट ने इन्हें पहले सत्र अदालत में अर्जी दाखिल करने की छूट दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने दिया है.

याचियों ने सीधे हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. याचियों का कहना था कि उन्होंने कोर्ट के संज्ञान लेने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की है, जो लंबित है. कोर्ट ने कहा है कि याचीग अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दे सकते हैं. इनका यह भी कहना था कि पहले सत्र अदालत में अर्जी देना बाध्यकारी नहीं है. हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने अंकित भारती ने कहा है कि विशेष स्थिति में सीधे हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की जा सकती है.

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कोर्ट ने कहा ऐसी कोई विशेष परिस्थिति नहीं दिख रही, जिससे याची सत्र अदालत में जाने के बजाय सीधे हाईकोर्ट में आए. कोर्ट ने अर्जी पोषणीय न मानते हुए खारिज कर दी है.

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