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2 साल में शिक्षिकाओं को दोबारा मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन रद करने का आदेश निरस्त

कोर्ट ने शिक्षिकाओं को 2 साल के भीतर दोबारा मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन को रद करने के आदेश को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद पर मेटरनिटी एक्ट 1961 के प्रावधान लागू होंगे.

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Published : Oct 21, 2022, 8:31 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित विद्यालयों में कार्यरत अध्यापिकाओं को 2 साल के भीतर दोबारा मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन करने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद पर मेटरनिटी एक्ट 1961 के प्रावधान लागू होंगे ना की फाइनेंसियल हैंड बुक के प्रावधान जो कि कार्यकारी प्रकृति के हैं. कोर्ट ने कहा कि मेटरनिटी एक्ट को संसद द्वारा संविधान के प्रावधानों के तहत पारित किया गया है इसलिए मेटरनिटी एक्ट के प्रावधान फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधानों पर प्रभावी होंगे.

अनुपम यादव सहित दर्जनों अध्यापिकाओं की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने यह आदेश दिया. याचिका पर अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी सहित कई वकीलों ने पक्ष रखा. अधिवक्ता का कहना था कि याची ने 4 जनवरी 2021 को अपने पहले बच्चे को जन्म दिया. इसके लिए उसने 180 दिनों के मातृत्व अवकाश का आवेदन किया, जो कि मंजूर कर लिया गया. इसके बाद याची दोबारा गर्भवती हुई तो उसने 17 जून 2022 को पुनः मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी इटावा ने याची का आवेदन यह कहते हुए रद्द कर दिया कि पहले मातृत्व अवकाश के बाद दूसरा मातृत्व अवकाश लेने के लिए आवश्यक 2 वर्ष की समय सीमा अभी पूरी नहीं हुई है.

इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. याची के पक्ष से कई न्यायिक निर्णयों का हवाला देकर के कहा गया. बेसिक शिक्षा अधिकारी ने याची का आवेदन बिना किसी आधार के रद्द करके गलत आदेश पारित किया है. दूसरी ओर बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता का कहना था कि बीएसए का आदेश सही है. मेटरनिटी एक्ट 1961 के प्रावधान बेसिक शिक्षा परिषद पर लागू नहीं होंगे. बेसिक शिक्षा परिषद के अध्यापकों पर फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधान अवकाश के संबंध में लागू माने जाएंगे. जिसके तहत यह आवश्यक है कि दो मातृत्व अवकाशों के बीच में कम से कम 2 वर्ष का अंतराल हो.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपने निर्णय में कहा कि मेटरनिटी एक्ट के प्रावधान फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधानों पर प्रभावी होंगे. कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15( 3) के प्रावधानों को लागू करने के लिए मेटरनिटी एक्ट 1961 लाया गया है. यह संसद द्वारा पारित कानून है. जबकि फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधान सिर्फ एक कार्यकारी निर्देश है. कार्यकारी निर्देशों परसंविधानिक प्रावधान प्रभावी होंगे. राज्य सरकार पहले ही मेटरनिटी एक्ट 1961 को स्वीकार कर चुकी है. कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा दोबारा मातृत्व अवकाश देने का आवेदन निरस्त करने संबंधी आदेश रद्द करते हुए बीएसए को नए सिरे से याची के आवेदन पर निर्णय लेने का आदेश दिया है.

यह भी पढ़ें: प. बंगाल शिक्षक भर्ती मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ तृणमूल नेता माणिक भट्टाचार्य की याचिका खारिज

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित विद्यालयों में कार्यरत अध्यापिकाओं को 2 साल के भीतर दोबारा मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन करने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद पर मेटरनिटी एक्ट 1961 के प्रावधान लागू होंगे ना की फाइनेंसियल हैंड बुक के प्रावधान जो कि कार्यकारी प्रकृति के हैं. कोर्ट ने कहा कि मेटरनिटी एक्ट को संसद द्वारा संविधान के प्रावधानों के तहत पारित किया गया है इसलिए मेटरनिटी एक्ट के प्रावधान फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधानों पर प्रभावी होंगे.

अनुपम यादव सहित दर्जनों अध्यापिकाओं की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने यह आदेश दिया. याचिका पर अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी सहित कई वकीलों ने पक्ष रखा. अधिवक्ता का कहना था कि याची ने 4 जनवरी 2021 को अपने पहले बच्चे को जन्म दिया. इसके लिए उसने 180 दिनों के मातृत्व अवकाश का आवेदन किया, जो कि मंजूर कर लिया गया. इसके बाद याची दोबारा गर्भवती हुई तो उसने 17 जून 2022 को पुनः मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी इटावा ने याची का आवेदन यह कहते हुए रद्द कर दिया कि पहले मातृत्व अवकाश के बाद दूसरा मातृत्व अवकाश लेने के लिए आवश्यक 2 वर्ष की समय सीमा अभी पूरी नहीं हुई है.

इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. याची के पक्ष से कई न्यायिक निर्णयों का हवाला देकर के कहा गया. बेसिक शिक्षा अधिकारी ने याची का आवेदन बिना किसी आधार के रद्द करके गलत आदेश पारित किया है. दूसरी ओर बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता का कहना था कि बीएसए का आदेश सही है. मेटरनिटी एक्ट 1961 के प्रावधान बेसिक शिक्षा परिषद पर लागू नहीं होंगे. बेसिक शिक्षा परिषद के अध्यापकों पर फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधान अवकाश के संबंध में लागू माने जाएंगे. जिसके तहत यह आवश्यक है कि दो मातृत्व अवकाशों के बीच में कम से कम 2 वर्ष का अंतराल हो.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपने निर्णय में कहा कि मेटरनिटी एक्ट के प्रावधान फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधानों पर प्रभावी होंगे. कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15( 3) के प्रावधानों को लागू करने के लिए मेटरनिटी एक्ट 1961 लाया गया है. यह संसद द्वारा पारित कानून है. जबकि फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधान सिर्फ एक कार्यकारी निर्देश है. कार्यकारी निर्देशों परसंविधानिक प्रावधान प्रभावी होंगे. राज्य सरकार पहले ही मेटरनिटी एक्ट 1961 को स्वीकार कर चुकी है. कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा दोबारा मातृत्व अवकाश देने का आवेदन निरस्त करने संबंधी आदेश रद्द करते हुए बीएसए को नए सिरे से याची के आवेदन पर निर्णय लेने का आदेश दिया है.

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