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फर्जी रेप केस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगायी फटकार, कांस्टेबल के पद पर चुने जाने पर दर्ज करायी थी FIR - up news in hindi

सोमवार को फर्जी रेप केस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court on fake rape case) ने शिकायतकर्ता को फटकार लगायी. अदालत ने शिकायतकर्ता और उसके पिता तथा भाई को नोटिस जारी किया है.

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Published : Jan 10, 2023, 7:07 AM IST

प्रयागराज: कांस्टेबल के पद पर चयनित होते ही रंजिशन फर्जी रेप का मुकदमा दर्ज कराए जाने के मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. अदालत न सिर्फ अभ्यर्थी को नियुक्ति देने पर पुलिस विभाग को विचार करने का निर्देश दिया है, बल्कि शिकायतकर्ता और उसके पिता तथा भाई को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है. अदालत ने पूछा है कि फर्जी मुकदमा दर्ज कराए जाने पर क्यों न उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जाए.

सोमवार को पुलिस कांस्टेबल पद पर चयनित राजेंद्र सिंह की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश (Allahabad High Court Order) मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने दिया. याची का कहना था कि वर्ष 2018 में उसका पुलिस कांस्टेबल पद पर चयन हो गया. उसका मेडिकल होना था, मगर इससे पूर्व ही गांव के कुछ लोगों ने उसके खिलाफ महोबा के चरखारी थाने में छेड़खानी का मुकदमा दर्ज करा दिया. बाद में शिकायतकर्ता के बयान पर पुलिस ने यह मुकदमा दुष्कर्म की धारा में परिवर्तित कर दिया. हालांकि मुकदमे की सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता अपने बयान से मुकर गई, जिसके आधार पर स्पेशल जज महोबा ने पॉक्सो एक्ट से याची को बरी कर दिया.

मुकदमे में बरी होने के बाद याची ने पुलिस विभाग में अपनी नियुक्ति के लिए प्रत्यावेदन दिया, मगर उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई. इस पर उसने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की. एकल न्याय पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि कोर्ट ने उसे सम्मानजनक तरीके से बरी नहीं किया है. उस पर लगाए गए आरोपों को देखते हुए एक अनुशासित सुरक्षा बल में उसकी नियुक्ति का आदेश देना संभव नहीं है.

इस आदेश को विशेष अपील दाखिल कर चुनौती दी गई. याची का कहना था कि पॉक्सो एक्ट में उसे संदेह के आधार पर बरी नहीं किया है, बल्कि अभियोजन द्वारा अपना केस साबित न कर पाने की स्थिति में उसे बरी किया गया है. कोर्ट ने यह दलील स्वीकार करते हुए पुलिस विभाग को निर्देश दिया है कि याची को नियुक्ति देने के मामले में विचार कर निर्णय लिया जाए.

फर्जी रेप केस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court on fake rape case) ने शिकायतकर्ता को भी नोटिस जारी किया है. झूठा रेप का मुकदमा दर्ज कराए जाने पर क्यों ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. अदालत ने शिकायतकर्ता के पिता और भाई से भी कोर्ट ने स्पष्टीकरण देने को कहा है. दोनों पर शिकायतकर्ता पर झूठा मुकदमा दर्ज कराने का दबाव डालने का आरोप है. (up news in hindi)

ये भी पढ़ें- यूपी बोर्ड 2023 की परीक्षाएं 16 फरवरी से, शिक्षा राज्य मंत्री ने छात्र व छात्राओं को शुभकामनाएं

प्रयागराज: कांस्टेबल के पद पर चयनित होते ही रंजिशन फर्जी रेप का मुकदमा दर्ज कराए जाने के मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. अदालत न सिर्फ अभ्यर्थी को नियुक्ति देने पर पुलिस विभाग को विचार करने का निर्देश दिया है, बल्कि शिकायतकर्ता और उसके पिता तथा भाई को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है. अदालत ने पूछा है कि फर्जी मुकदमा दर्ज कराए जाने पर क्यों न उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जाए.

सोमवार को पुलिस कांस्टेबल पद पर चयनित राजेंद्र सिंह की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश (Allahabad High Court Order) मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने दिया. याची का कहना था कि वर्ष 2018 में उसका पुलिस कांस्टेबल पद पर चयन हो गया. उसका मेडिकल होना था, मगर इससे पूर्व ही गांव के कुछ लोगों ने उसके खिलाफ महोबा के चरखारी थाने में छेड़खानी का मुकदमा दर्ज करा दिया. बाद में शिकायतकर्ता के बयान पर पुलिस ने यह मुकदमा दुष्कर्म की धारा में परिवर्तित कर दिया. हालांकि मुकदमे की सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता अपने बयान से मुकर गई, जिसके आधार पर स्पेशल जज महोबा ने पॉक्सो एक्ट से याची को बरी कर दिया.

मुकदमे में बरी होने के बाद याची ने पुलिस विभाग में अपनी नियुक्ति के लिए प्रत्यावेदन दिया, मगर उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई. इस पर उसने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की. एकल न्याय पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि कोर्ट ने उसे सम्मानजनक तरीके से बरी नहीं किया है. उस पर लगाए गए आरोपों को देखते हुए एक अनुशासित सुरक्षा बल में उसकी नियुक्ति का आदेश देना संभव नहीं है.

इस आदेश को विशेष अपील दाखिल कर चुनौती दी गई. याची का कहना था कि पॉक्सो एक्ट में उसे संदेह के आधार पर बरी नहीं किया है, बल्कि अभियोजन द्वारा अपना केस साबित न कर पाने की स्थिति में उसे बरी किया गया है. कोर्ट ने यह दलील स्वीकार करते हुए पुलिस विभाग को निर्देश दिया है कि याची को नियुक्ति देने के मामले में विचार कर निर्णय लिया जाए.

फर्जी रेप केस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court on fake rape case) ने शिकायतकर्ता को भी नोटिस जारी किया है. झूठा रेप का मुकदमा दर्ज कराए जाने पर क्यों ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. अदालत ने शिकायतकर्ता के पिता और भाई से भी कोर्ट ने स्पष्टीकरण देने को कहा है. दोनों पर शिकायतकर्ता पर झूठा मुकदमा दर्ज कराने का दबाव डालने का आरोप है. (up news in hindi)

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