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हाईकोर्ट में राम मंदिर के प्रस्तावित भूमि पूजन के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज

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Published : Jul 24, 2020, 8:37 PM IST

अयोध्या में राम मंदिर के प्रस्तावित भूमि पूजन के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका खारिज हो गई है. कोर्ट ने कहा कि यह याचिका कल्पनाओं पर आधारित है.

allahabad high court dismisses plea for ban on bhoomi poojan
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराज: अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को प्रस्तावित भूमि पूजन पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने साकेत गोखले की जनहित याचिका पर यह फैसला दिया है.

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका कल्पनाओं पर आधारित है. कोर्ट ने आयोजकों व राज्य सरकार से अपेक्षा की है कि वे शारीरिक दूरी बनाये रखने के दिशानिर्देशों के अनुसार कार्यक्रम करेंगे. कोर्ट ने कहा कि कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने की आशंका का कोई आधार नहीं है.

चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने लेटर पिटीशन को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार करते हुए भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका की सुनवाई की. मुंबई के सामाजिक कार्यकर्ता साकेत गोखले की ओर से भेजी गई लेटर पीआईएल में कहा गया है कि राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाला भूमि पूजन कोविड -19 के अनलॉक- 2 की गाइडलाइन का उल्लंघन है.

ये भी पढ़ें: प्रयागराज: 110 नए कोरोना पॉजिटिव मिले, संख्या बढ़कर 1275 हुई

लेटर पिटीशन के माध्यम से भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाए जाने की मांग की गई थी. इसमें कहा गया था कि भूमि पूजन का कार्यक्रम होने से कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ेगा. यह भी कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र की गाइडलाइन में छूट नहीं दे सकती. कोरोना संक्रमण के कारण ही बकरीद पर सामूहिक नमाज़ की इजाजत नहीं दी गई है. जबकि सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम होने जा रहा है.

प्रयागराज: अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को प्रस्तावित भूमि पूजन पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने साकेत गोखले की जनहित याचिका पर यह फैसला दिया है.

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका कल्पनाओं पर आधारित है. कोर्ट ने आयोजकों व राज्य सरकार से अपेक्षा की है कि वे शारीरिक दूरी बनाये रखने के दिशानिर्देशों के अनुसार कार्यक्रम करेंगे. कोर्ट ने कहा कि कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने की आशंका का कोई आधार नहीं है.

चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने लेटर पिटीशन को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार करते हुए भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका की सुनवाई की. मुंबई के सामाजिक कार्यकर्ता साकेत गोखले की ओर से भेजी गई लेटर पीआईएल में कहा गया है कि राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाला भूमि पूजन कोविड -19 के अनलॉक- 2 की गाइडलाइन का उल्लंघन है.

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लेटर पिटीशन के माध्यम से भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाए जाने की मांग की गई थी. इसमें कहा गया था कि भूमि पूजन का कार्यक्रम होने से कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ेगा. यह भी कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र की गाइडलाइन में छूट नहीं दे सकती. कोरोना संक्रमण के कारण ही बकरीद पर सामूहिक नमाज़ की इजाजत नहीं दी गई है. जबकि सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम होने जा रहा है.

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