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हाईकोर्ट ने पूछा- बांके बिहारी मंदिर पर कितना खर्च करेगी सरकार - बांके बिहारी मंदिर में भीड़

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश सरकार से बांके बिहारी मंदिर में होने वाली भीड़ के प्रबंधन और बजट पर जानकारी मांगी है. साथ ही कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि सरकार बांके बिहारी मंदिर पर कितना खर्च करेगी?

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Published : Dec 20, 2022, 9:57 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश सरकार से श्री बांके बिहारी मंदिर में होने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. साथ ही कोर्ट ने सरकार को यह भी बताने को कहा है कि वह इस कार्य में कितना बजट खर्च करेगी. मंगलवार को इस मामले को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के पूर्व निर्देशानुसार रिटायर्ड जस्टिस सुधीर नारायण ने मौका मुआयना कर अपनी रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की . रिपोर्ट में भीड़ प्रबंधन को लेकर के कई सुझाव दिए गए हैं उन्होंने और बेहतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 3 सप्ताह के समय की मांग की.

रिपोर्ट पर मंदिर पक्ष की ओर से आपत्ति भी दाखिल की गई है. मंदिर पक्ष के अधिवक्ता संजय गोस्वामी का कहना था कि सरकार मंदिर की होने वाली आमदनी में बटवारा करना चाहती है. अपनी ओर से खर्च नहीं करना चाहती है. जबकि इसके पूर्व हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि वह भीड़ प्रबंधन पर आने वाले खर्च की व्यवस्था कैसे करेगी . मंदिर पक्ष की ओर से यह भी आशंका जताई गई है कि सरकार मंदिर के प्रबंधन में दखल देना चाहती है जो कि मंदिर प्रबंधन को मंजूर नहीं है क्योंकि यह एक प्राइवेट ट्रस्ट है . यदि सरकार भीड़ प्रबन्धन करना चाहती है तो मंदिर के कार्य मे दखल दिए बिना भी कर सकती है.कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जनवरी की तारीख नियत की है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश सरकार से श्री बांके बिहारी मंदिर में होने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. साथ ही कोर्ट ने सरकार को यह भी बताने को कहा है कि वह इस कार्य में कितना बजट खर्च करेगी. मंगलवार को इस मामले को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के पूर्व निर्देशानुसार रिटायर्ड जस्टिस सुधीर नारायण ने मौका मुआयना कर अपनी रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की . रिपोर्ट में भीड़ प्रबंधन को लेकर के कई सुझाव दिए गए हैं उन्होंने और बेहतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 3 सप्ताह के समय की मांग की.

रिपोर्ट पर मंदिर पक्ष की ओर से आपत्ति भी दाखिल की गई है. मंदिर पक्ष के अधिवक्ता संजय गोस्वामी का कहना था कि सरकार मंदिर की होने वाली आमदनी में बटवारा करना चाहती है. अपनी ओर से खर्च नहीं करना चाहती है. जबकि इसके पूर्व हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि वह भीड़ प्रबंधन पर आने वाले खर्च की व्यवस्था कैसे करेगी . मंदिर पक्ष की ओर से यह भी आशंका जताई गई है कि सरकार मंदिर के प्रबंधन में दखल देना चाहती है जो कि मंदिर प्रबंधन को मंजूर नहीं है क्योंकि यह एक प्राइवेट ट्रस्ट है . यदि सरकार भीड़ प्रबन्धन करना चाहती है तो मंदिर के कार्य मे दखल दिए बिना भी कर सकती है.कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जनवरी की तारीख नियत की है.

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