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हाईकोर्ट का BJP विधायक सैनी की सजा निलंबित करने पर फैसला - Khatauli assembly seat of Muzaffarnagar

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बीजेपी के पूर्व विधायक विक्रम सैनी की सजा निलंबित करने पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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Published : Nov 22, 2022, 9:48 PM IST

प्रयागराज: वर्ष 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे में सजायाफ्ता बीजेपी के पूर्व विधायक विक्रम सैनी की सजा निलंबित करने के मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. मंगलवार को इस मामले में सैनी के वकीलों ने अपना पक्ष रखा, जिसे सुनने के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया. सजा के खिलाफ दाखिल अपील पर हाईकोर्ट उनकी जमानत पहले ही मंजूर कर चुका है.

अपील पर न्यायमूर्ति समित गोपाल की एकल पीठ सुनवाई कर रही है. बीजेपी के पूर्व विधायक विक्रम सैनी (Former BJP MLA Vikram Saini) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंद्र कुमार चतुर्वेदी ने सजा निलंबित किए जाने के बिंदु पर अपना पक्ष रखा था, जिसमें उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ कोई सीधा साक्ष्य नहीं है. मुजफ्फरनगर में तीन हिंदू युवकों की हत्या के बाद कई स्थानों पर दंगे भड़के थे. उस समय प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और विक्रम सैनी भाजपा के कद्दावर नेता थे. इसलिए राजनीतिक कारणों से उनको इस मामले में झूठा फंसा दिया गया. उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है. पुलिस की ओर से इस मामले में FIR दर्ज की गई और सभी गवाह भी पुलिस के ही है. कोई भी स्वतंत्र साक्षी नहीं है. सजा जारी रहने से आवेदक को नुकसान होगा. क्योंकि, वह निर्वाचित विधायक है और सजा होने की स्थिति में उसकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो चुकी है. वह भविष्य में चुनाव भी नहीं लड़ सकेगा. बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया.

पढ़ें- इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, बालिग को पसंद के साथी के संग रहने का अधिकार

मुजफ्फरनगर की खतौली विधान सभा सीट (Khatauli assembly seat of Muzaffarnagar) से विधायक विक्रम सैनी सहित कुल 12 आरोपियों को स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए मुजफ्फरनगर ने दंगे का दोषी करार देते हुए 11 अक्टूबर 2022 को दो-दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी. सजा सुनाए जाने के बाद 4 नवंबर को सैनी की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई. इस सीट पर उपचुनाव होना है. इस दौरान स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने के लिए विक्रम सैनी को अंतरिम जमानत दी थी. उन्होंने अपील दाखिल करने के साथ ही हाईकोर्ट से नियमित जमानत दिए जाने की मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया है. सजा पर रोक लगाने के बिंदु पर अदालत ने बहस सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है.

पढ़ें- खुदकुशी के लिए उकसाने के अपराध में स्पष्ट साक्ष्य होना जरूरी: हाईकोर्ट

प्रयागराज: वर्ष 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे में सजायाफ्ता बीजेपी के पूर्व विधायक विक्रम सैनी की सजा निलंबित करने के मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. मंगलवार को इस मामले में सैनी के वकीलों ने अपना पक्ष रखा, जिसे सुनने के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया. सजा के खिलाफ दाखिल अपील पर हाईकोर्ट उनकी जमानत पहले ही मंजूर कर चुका है.

अपील पर न्यायमूर्ति समित गोपाल की एकल पीठ सुनवाई कर रही है. बीजेपी के पूर्व विधायक विक्रम सैनी (Former BJP MLA Vikram Saini) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंद्र कुमार चतुर्वेदी ने सजा निलंबित किए जाने के बिंदु पर अपना पक्ष रखा था, जिसमें उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ कोई सीधा साक्ष्य नहीं है. मुजफ्फरनगर में तीन हिंदू युवकों की हत्या के बाद कई स्थानों पर दंगे भड़के थे. उस समय प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और विक्रम सैनी भाजपा के कद्दावर नेता थे. इसलिए राजनीतिक कारणों से उनको इस मामले में झूठा फंसा दिया गया. उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है. पुलिस की ओर से इस मामले में FIR दर्ज की गई और सभी गवाह भी पुलिस के ही है. कोई भी स्वतंत्र साक्षी नहीं है. सजा जारी रहने से आवेदक को नुकसान होगा. क्योंकि, वह निर्वाचित विधायक है और सजा होने की स्थिति में उसकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो चुकी है. वह भविष्य में चुनाव भी नहीं लड़ सकेगा. बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया.

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मुजफ्फरनगर की खतौली विधान सभा सीट (Khatauli assembly seat of Muzaffarnagar) से विधायक विक्रम सैनी सहित कुल 12 आरोपियों को स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए मुजफ्फरनगर ने दंगे का दोषी करार देते हुए 11 अक्टूबर 2022 को दो-दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी. सजा सुनाए जाने के बाद 4 नवंबर को सैनी की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई. इस सीट पर उपचुनाव होना है. इस दौरान स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने के लिए विक्रम सैनी को अंतरिम जमानत दी थी. उन्होंने अपील दाखिल करने के साथ ही हाईकोर्ट से नियमित जमानत दिए जाने की मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया है. सजा पर रोक लगाने के बिंदु पर अदालत ने बहस सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है.

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