प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सांसद डॉ रीता बहुगुणा जोशी (MP Rita Bahuguna Joshi) के खिलाफ बतौर महापौर अनियमितता के आरोप में 14 वर्ष पूर्व दर्ज एफआईआर रद्द कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार एवं न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने रीता बहुगुणा जोशी के अधिवक्ता सुनील दत्त कौटिल्य व सत्यव्रत सहाय और सरकारी वकील को सुनने के बाद सोमवार को दिया.
सिविल लाइंस थाने में वर्ष 2008 में तत्कालीन तहसीलदार विजय शंकर मिश्र ने एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि डॉ. जोशी ने बतौर महापौर अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया. उन्होंने नगर निगम की भूमि को अन्य आरोपियों के साथ मिलकर फतेहपुर बिछुआ स्थित प्लॉट संख्या 408 की भूमि को खुर्दबुर्द कर दिया. रीता बहुगुणा जोशी के अधिवक्ता कौटिल्य ने एफआईआर को दुर्भावना से प्रेरित बताते हुए अपने तर्क में कहा कि पूर्व में हाईकोर्ट के आदेश पर इस प्रकरण की सीबीआई ने जांच की थी.
इसे भी पढ़ें-गायत्री प्रजापति के खिलाफ दुराचार का आरोप लगाने वाली महिला की जमानत खारिज
सीबीआई जांच के संबंध में एफआईआर दर्ज कराई गई थी और विवेचना के बाद आरोप पत्र भी दाखिल किया गया था. उस चार्जशीट में याची का कहीं भी नाम नहीं था और न ही उसकी कोई संलिप्तता ही बताई गई थी. कौटिल्य ने कहा कि याची ने महापौर रहते अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन किया था और जो सदन का निर्णय था उसे ही क्रियान्वित कराया. सदन में हुए निर्णय के विरुद्ध कोई अपराधिक मामला नहीं बनता. जहां तक भूमि का विवाद है तो उसमें नगर निगम को सदन के निर्णय से लाभ ही हुआ है.