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प्रयागराज: 2234 कैदियों की पैरोल बढ़ाने को हाईकोर्ट की मंजूरी - prayagraj latest news

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेलों से पैरोल पर रिहा किए गए 2234 कैदियों की पैरोल बढ़ाने को मंजूरी दे दी है. कोरोना महामारी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने 10 अप्रैल 2020 के आदेश से प्रदेश के विभिन्न जेलों से रिहा कैदियों की पैरोल बढ़ाने का आदेश जारी किया था.

allahabad high court
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : May 28, 2020, 12:04 AM IST

प्रयागराज: कोरोना महामारी को देखते हुए राज्य सरकार ने 24 मई 2020 को परिपत्र जारी किया है. दरअसल 10 अप्रैल 2020 के आदेश से प्रदेश के विभिन्न जेलों से रिहा 2234 कैदियो की पैरोल बढ़ाने का निर्देश जारी किया है. सभी संबंधित अधिकारियों को पैरोल बढ़ाने का निर्देश दिया है. इसे देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पैरोल बढ़ाने की मांग में दाखिल अर्जियों को निस्तारित कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि, इसके लिए अलग से आदेश देने की आवश्यकता नहीं है.

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने सुशीला देवी की आपराधिक जनहित याचिका पर दिया है. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए सात साल से कम सजा वाले आपराधिक मामले में जेल में बंद कैदियों की रिहाई पर राज्य सरकारों और हाईकोर्ट को गाइड लाइन बनाने का आदेश दिया था.

कोर्ट के आदेश से एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई. कोर्ट ने सुझावों पर विचार कर जेलों में बंद कैदियों की जमानत या पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था. जिसका पालन करते हुए मजिस्ट्रेट जेलों में गए और कैदियों की जमानत या पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है. पैरोल की अवधि पूरी होने से पहले ही राज्य सरकार ने अवधि बढ़ाने का निर्देश जारी किया है, जिसे कोर्ट ने पर्याप्त माना है.

प्रयागराज: कोरोना महामारी को देखते हुए राज्य सरकार ने 24 मई 2020 को परिपत्र जारी किया है. दरअसल 10 अप्रैल 2020 के आदेश से प्रदेश के विभिन्न जेलों से रिहा 2234 कैदियो की पैरोल बढ़ाने का निर्देश जारी किया है. सभी संबंधित अधिकारियों को पैरोल बढ़ाने का निर्देश दिया है. इसे देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पैरोल बढ़ाने की मांग में दाखिल अर्जियों को निस्तारित कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि, इसके लिए अलग से आदेश देने की आवश्यकता नहीं है.

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने सुशीला देवी की आपराधिक जनहित याचिका पर दिया है. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए सात साल से कम सजा वाले आपराधिक मामले में जेल में बंद कैदियों की रिहाई पर राज्य सरकारों और हाईकोर्ट को गाइड लाइन बनाने का आदेश दिया था.

कोर्ट के आदेश से एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई. कोर्ट ने सुझावों पर विचार कर जेलों में बंद कैदियों की जमानत या पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था. जिसका पालन करते हुए मजिस्ट्रेट जेलों में गए और कैदियों की जमानत या पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है. पैरोल की अवधि पूरी होने से पहले ही राज्य सरकार ने अवधि बढ़ाने का निर्देश जारी किया है, जिसे कोर्ट ने पर्याप्त माना है.

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