प्रयागराज : महोबा के फरार और बर्खास्त एसपी मणिलाल पाटीदार की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर ही सवाल उठ रहे हैं. गुरुवार को कोर्ट ने सरकार की अनुपालन रिपोर्ट सहित हलफनामे को रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश दिया है. सुनवाई के दौरान हलफनामा रिकार्ड पर नहीं था. अब मामले की अगली सुनवाई पांच जुलाई को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति बच्चूलाल एवं न्यायमूर्ति संजय कुमार पचौरी की खंडपीठ ने याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल एवं अपर शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड को सुनकर दिया है.
कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता से उनका लोकस पूछा तो उन्होंने स्वयं को मणिलाल पाटीदार का अधिवक्ता बताया. वकालतनामे के बारे में पूछे जाने पर मोबाइल से संपर्क की बात कही गई. वहीं सरकार की ओर से बताया गया कि मणिलाल पाटीदार के परिजनों के अनुसार उन्होंने इन वकील को अधिवक्ता नियुक्त नहीं किया है.
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पूर्व के आदेशों के अनुपालन की मांगी थी रिपोर्ट
कोर्ट को बताया गया कि बर्खास्त आईपीएस मणिलाल पाटीदार को भगोड़ा घोषित कर उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 174 ए का मुकदमा दर्ज किया गया है. साथ ही उसकी कुर्की का आदेश भी प्राप्त कर लिया गया है. कोर्ट को यह भी बताया गया कि याचिका में जिन मोबाइल नंबरों से संपर्क करने का हवाला है, उनमें से एक पर वॉट्स ऐप है ही नहीं और दूसरे में वॉट्स ऐप संपर्क के काफी देर बाद डाउनलोड हुआ. कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता से सरकार की रिपोर्ट के संबंध में पूछा तो उन्होंने जवाब दाखिल करने की बात कही, लेकिन वह कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत रिकार्ड पर नहीं था. इस पर कोर्ट ने सम्बंधित अनुभाग से उनका जवाब रिकॉर्ड पर लाने को कहा है.
'पुलिस की अवैध हिरासत में पाटीदार'
अधिवक्ता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर कहा है कि मणिलाल पाटीदार का कुछ पता नहीं है. आशंका है कि वह पुलिस की अवैध हिरासत में हैं. इसलिए उन्हें कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाए. मणिलाल पाटीदार को महोबा का एसपी रहते हुए क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी से अवैध वसूली और उसकी संदिग्ध मौत के मामले में आरोपी बनाया गया है.