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यूपी विधान परिषद चुनाव 2022: प्रतापगढ़ में रोचक हुआ मुकाबला - प्रतापगढ़ विधान परिषद चुनाव

प्रतापगढ़ में विधान परिषद चुनाव की सरगर्मियां तेज़ हो गयी हैं. यहां बीजेपी ने 20 साल से अधिक समय से नगर पालिका अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाए हरी प्रताप सिंह (पूर्व विधायक) पर दांव लगाया है.

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प्रतापगढ़ में विधान परिषद चुनाव
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Published : Apr 8, 2022, 4:54 PM IST

प्रतापगढ़: जिले में विधान परिषद चुनाव 2022 के चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गयी हैं. इस चुनाव में निवर्तमान एमएलसी और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के उम्मीदवार अक्षय प्रताप सिंह 'गोपाल' के सामने कड़ी चुनौती है. इस चुनाव में बीजेपी ने 20 साल से अधिक समय से नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाए हरी प्रताप सिंह (पूर्व विधायक) पर दांव लगाया है. वो पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह मोती के चचेरे भाई हैं.

वहीं समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और राजा भइया के बीच अनबन के चलते दोनों की राहें जुदा हो चुकी हैं. इस बार सपा ने पहली बार अखिलेश यादव के बेहद करीबी विजय बहादुर यादव पर दांव लगाया है. राजा भइया भी पहली बार जनप्रतिनिधियों से सम्पर्क कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- गरीब की झोपड़ी और दुकान पर नहीं चलेगा बुलडोजर: सीएम योगी

नामांकन के बाद एमपी/एमएलए कोर्ट ने अक्षय प्रताप सिंह पर 15 मार्च को आरोप तय किए थे. 22 मार्च को 7 साल की सजा सुनाई. इसके बाद अक्षय प्रताप सिंह जेल भेज दिए गये. गोपाल की पत्नी मधुरिमा सिंह के साथ ही जनसत्ता दल के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश नाथ ओझा भी बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. हालांकि 23 तारीख को गोपाल को जमानत मिल गई और वो जेल से रिहा हो गए.

जिले में कुल 2815 मतदाता है. यहां धनबल और बाहुबल में अक्षय प्रताप अव्वल माने जा रहे है. वहीं सत्ताबल में भाजपा के हरी प्रताप सिंह को शक्तिशाली माना जा रहा है. जातीय समीकरण के हिसाब से समाजवादी के विजय बहादुर यादव का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. अब देखना है कि किसको सत्ता का ताज मिलता है.

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प्रतापगढ़: जिले में विधान परिषद चुनाव 2022 के चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गयी हैं. इस चुनाव में निवर्तमान एमएलसी और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के उम्मीदवार अक्षय प्रताप सिंह 'गोपाल' के सामने कड़ी चुनौती है. इस चुनाव में बीजेपी ने 20 साल से अधिक समय से नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाए हरी प्रताप सिंह (पूर्व विधायक) पर दांव लगाया है. वो पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह मोती के चचेरे भाई हैं.

वहीं समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और राजा भइया के बीच अनबन के चलते दोनों की राहें जुदा हो चुकी हैं. इस बार सपा ने पहली बार अखिलेश यादव के बेहद करीबी विजय बहादुर यादव पर दांव लगाया है. राजा भइया भी पहली बार जनप्रतिनिधियों से सम्पर्क कर रहे हैं.

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नामांकन के बाद एमपी/एमएलए कोर्ट ने अक्षय प्रताप सिंह पर 15 मार्च को आरोप तय किए थे. 22 मार्च को 7 साल की सजा सुनाई. इसके बाद अक्षय प्रताप सिंह जेल भेज दिए गये. गोपाल की पत्नी मधुरिमा सिंह के साथ ही जनसत्ता दल के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश नाथ ओझा भी बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. हालांकि 23 तारीख को गोपाल को जमानत मिल गई और वो जेल से रिहा हो गए.

जिले में कुल 2815 मतदाता है. यहां धनबल और बाहुबल में अक्षय प्रताप अव्वल माने जा रहे है. वहीं सत्ताबल में भाजपा के हरी प्रताप सिंह को शक्तिशाली माना जा रहा है. जातीय समीकरण के हिसाब से समाजवादी के विजय बहादुर यादव का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. अब देखना है कि किसको सत्ता का ताज मिलता है.

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