प्रतापगढ़: प्रदेश के ग्राम्य विकास एवं समग्र ग्राम विकास विभाग मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु कारगर प्रयास किये जा रहे हैं, जिससे परिणाम स्वरूप में जनपद में संक्रमितों की संख्या एवं रिकवर होने का अनुपात प्रदेश के अन्य जनपदों की तुलना में बेहतर है. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया कि स्वास्थ्य विभाग टीमों के माध्यम से नियमित रूप से सैम्पलिंग की जाए तथा संक्रमित पाये गये लोगों का शासन से निर्धारित प्रोटोकाल के अनुसार इलाज कराया जाए.
इसके साथ ही मंत्री ने कहा कि 15 जून तक प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने 1 करोड़ श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके तहत जनपद प्रतापगढ़ में 1 लाख श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जाए. इसी तरह प्रधानमंत्री आवास की समीक्षा करते हुये परियोजना निदेशक डीआरडीए को निर्देशित किया कि आवास विकास के अन्तर्गत जनपद में आवास हेतु अवशेष पात्र लाभार्थियों की सूची तैयार कर ली जाए, जिससे भारत सरकार की अनुमति प्राप्त होते ही सभी को प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत आवास की सुविधा उपलब्ध करायी जा सके.
परियोजना निदेशक द्वारा बताया गया कि जनपद में 2 लाख 32 हजार 253 पात्र लाभार्थियों का सर्वे कराया गया है, जिसमें से 58 हजार 844 लाभार्थियों की आधार फीडिंग करायी जा चुकी है. प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत वर्ष 2016-17 से वर्ष 2019-20 तक जनपद प्रतापगढ़ में अब तक 62696 आवास का लक्ष्य प्राप्त हुआ था, जिसके सापेक्ष 61930 आवास का निर्माण पूर्ण कराया जा चुका है. शेष आवासों का निर्माण कराया जा रहा है.
वहीं, मुख्यमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत 1095 आवास के सापेक्ष 1000 आवास का निर्माण करा लिया गया है. डीसी मनरेगा अजय पाण्डेय ने अवगत कराया गया कि 82 हजार श्रमिक इस समय जनपद में मनरेगा योजना के तहत कार्य कर रहे हैं. कैबिनेट मंत्री ने कहा कि 15 जून तक 1 लाख मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जाये तथा प्रवासी मजदूरों को जॉब कार्ड निर्गत किया जाये. उन्हें न्यूनतम 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाए.
समीक्षा बैठक में डीसीएनआरएलएम द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से मास्क एवं सैनिटाइजर का निर्माण कराया जा रहा है. कैबिनेट मंत्री ने निर्देशित किया कि आगामी दिनों में स्वयं सहायता समूहों को मिड-डे-मील, राशन की दुकान आदि कार्य भी दिया जा सकता है. इसलिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सशक्त बनाये तथा उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करें. जिला विकास अधिकारी को निर्देश दिया गया कि जिन विकास खण्डों का भवन जीर्ण-शीर्ण है वहां नये भवन निर्माण हेतु शासन को प्रस्ताव प्रेषित करें.
एनआरएलएम ने स्वयं-सहायता समूहों तथा संघीय संस्थानों के माध्यम से देश के 600 जिलों, 6000 प्रखंडों, 2.5 लाख ग्राम पंचायतों और छह लाख गांवों के 7 करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों (बीपीएल) को दायरे में लाने का और 8 से 10 साल की अवधि में उन्हें आजीविका के लिए आवश्यक साधन जुटाने में सहयोग देने का संकल्प किया है. जून 2011 में आजीविका-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की शुरूआत हुई. इसके लिए मंत्रालय को विश्व बैंक से आर्थिक सहायता मिलती है.