प्रतापगढ़: जनपद में बाहर नौकरी करने वालों के लौटने के बाद से अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. जिले में डायल 112 पर आने वाली कालों की संख्या दोगुनी हो गई है. वहीं संपत्ति सम्बन्धी मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. वहीं मजदूरों की इस भारी संख्या के लिए एक मात्र विकल्प मनरेगा है. ऐसे में श्रमिकों को बेरोजगारी के भारी संकट से गुजरना पड़ रहा है.
लॉकडाउन के दौरान बढ़ा घरेलू विवाद
जनपद में अब तक गैर राज्यों से लगभग 43 हजार 9 सौ 40 लोग पहुंच चुके हैं. इसमें मजदूर और पढ़े-लिखे युवा शामिल हैं. यह सभी लोग बाहर रहकर प्राइवेट नौकरियां और तमाम कंपनियों में कार्य करते थे. प्रशासन का कहना है कि 1 मई से 20 मई के बीच डायल 112 पर फोन कॉल की आमद दोगुनी हो गई है. जहां प्रतिदिन 100-120 फोन कॉल आते थे, वहीं अब 240-250 कॉल आ रही हैं. सबसे अधिक कॉल संपत्ति से जुड़े मामले को लेकर आती हैं. इन दिनों घरेलू विवाद, हत्याएं, मारपीट, अवैध कब्जा जैसे मामले काफी बढ़ गए हैं.
एसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि सभी थानेदारों को आदेश दिया गया है कि प्रतिदिन अपने थाना क्षेत्रों के पांच गांवों पर चौपाल लगाएं. इसके साथ ही ऐसे मामलों का निस्तारण अधिकारियों के साथ बैठ कर किया जाए. वहीं दूसरी तरफ भारी संख्या में मजदूरों के आने से रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. एक मात्र विकल्प मनरेगा है, जिसमें लोगों को जोड़ा जा रहा है. जिले में 67000 मनरेगा मजदूर काम कर रहे हैं. रोजगारों के लिए एक भी इंडस्ट्री नहीं है. जो लोग मनरेगा से नहीं जुड़ पा रहे उनके लिए भारी संकट खड़ा हो गया है.
उपायुक्त मनरेगा अजय कुमार पांडेय ने बताया कि भारी संख्या में मजदूर जिले में आए हैं. 20 हजार परिवारों को नए जॉबकार्ड जारी हुए हैं. हालांकि इनकी संख्या बहुत अधिक है. जिलाधिकारी के आदेशानुसार और विकल्पों की तलाश की जा रही है. दिल्ली, मुंबई, गुजरात से आए मजदूरों के पास काम नहीं होगा तो वह भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएंगे. ऐसे में मनरेगा के तहत सभी को जोड़ने की कोशिश की जा रही है.