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प्रतापगढ़: प्रधान डाकघर में 1.10 करोड़ का घोटाला, 6 कर्मचारी सस्पेंड

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में स्थित प्रधान डाकघर में छह कर्मचारियों को घोटाला करने के आरोप में सस्पेड किया गया है. बता दें कि डाकघर में 1.10 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है.

घोटाला करने के आरोप में सस्पेड
घोटाला करने के आरोप में सस्पेड
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Published : Oct 25, 2020, 9:15 AM IST

प्रतापगढ़: जिले के प्रधान डाकघर में 1,10,56,000 रुपये का घपला उजागर होने के बाद चार सहायक पोस्टमास्टरों समेत छह कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है. जांच में खुलासा हुआ है कि इन कर्मचारियों ने एफडी और बचत खाताधारकों से रुपये लेने के बाद जमा नहीं किए. मामले में प्रधान डाकघर में कार्यरत रहे 33 और कर्मचारी भी जांच के घेरे में हैं. सभी को नोटिस जारी किया गया है.

प्रधान डाकघर में वर्ष 2013 में लाखों रुपये के घालमेल की शिकायत हुई थी. उसमें कहा गया था कि खाताधारकों की पासबुकों पर फर्जी तरीके से रुपये जमा होने की मुहर लगा दी जा रही है. मामले की जानकारी होने पर चीफ पीएमजी लखनऊ ने जांच के लिए टीम गठित कर दी. कर्मचारियों और अभिकर्ताओं के दबाव में लगभग सात साल तक फाइल दबी रही. हाल ही में पूरी हुई जांच में कुल 1,10,56,000 रुपये का गोलमाल सामने आया है. घपले में सहायक पोस्टमास्टर रामसुमेर यादव, दिनेश बहादुर सिंह, कविता यादव, शीतला प्रसाद मिश्र, एसबीसीओ अमित कुशवाहा और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अमरावती को निलंबित कर दिया गया है.

ऐसा करते थे घोटाला

बता दें कि घपले में अहम भूमिका निभाने वाले अभिकर्ता और कर्मचारी खाताधारकों का विस्वास जीतने के बाद उनके रुपये जेब में रख लेते थे. खाताधारकों को अभिकर्ता ही डाकघर लेकर आते थे. उन्हीं के माध्यम से रुपयों का लेन-देन होता था. अभिकर्ता ही फार्म भरवाते और रुपये जमा करने के लिए लेते थे. सेटिंग के मुताबिक अभिकर्ता रुपये लेकर कर्मचारियों को देते थे और पासबुक पर इंट्री करने के साथ ही मुहर लगाकर खाताधारकों को थमा देते थे. लेकिन उनके खाते में रुपये नहीं जमा किया जाते थे.

प्रतापगढ़: जिले के प्रधान डाकघर में 1,10,56,000 रुपये का घपला उजागर होने के बाद चार सहायक पोस्टमास्टरों समेत छह कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है. जांच में खुलासा हुआ है कि इन कर्मचारियों ने एफडी और बचत खाताधारकों से रुपये लेने के बाद जमा नहीं किए. मामले में प्रधान डाकघर में कार्यरत रहे 33 और कर्मचारी भी जांच के घेरे में हैं. सभी को नोटिस जारी किया गया है.

प्रधान डाकघर में वर्ष 2013 में लाखों रुपये के घालमेल की शिकायत हुई थी. उसमें कहा गया था कि खाताधारकों की पासबुकों पर फर्जी तरीके से रुपये जमा होने की मुहर लगा दी जा रही है. मामले की जानकारी होने पर चीफ पीएमजी लखनऊ ने जांच के लिए टीम गठित कर दी. कर्मचारियों और अभिकर्ताओं के दबाव में लगभग सात साल तक फाइल दबी रही. हाल ही में पूरी हुई जांच में कुल 1,10,56,000 रुपये का गोलमाल सामने आया है. घपले में सहायक पोस्टमास्टर रामसुमेर यादव, दिनेश बहादुर सिंह, कविता यादव, शीतला प्रसाद मिश्र, एसबीसीओ अमित कुशवाहा और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अमरावती को निलंबित कर दिया गया है.

ऐसा करते थे घोटाला

बता दें कि घपले में अहम भूमिका निभाने वाले अभिकर्ता और कर्मचारी खाताधारकों का विस्वास जीतने के बाद उनके रुपये जेब में रख लेते थे. खाताधारकों को अभिकर्ता ही डाकघर लेकर आते थे. उन्हीं के माध्यम से रुपयों का लेन-देन होता था. अभिकर्ता ही फार्म भरवाते और रुपये जमा करने के लिए लेते थे. सेटिंग के मुताबिक अभिकर्ता रुपये लेकर कर्मचारियों को देते थे और पासबुक पर इंट्री करने के साथ ही मुहर लगाकर खाताधारकों को थमा देते थे. लेकिन उनके खाते में रुपये नहीं जमा किया जाते थे.

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