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पीलीभीत में सामने आया ब्लैक फंगस का पहला मामला, मचा हड़कंप - ब्लैक फंगस के मामले

पीलीभीत में ब्लैक फंगस का पहला संदिग्ध मामला सामने आया है. बेहतर उपचार के लिए चिकित्सक ने मरीज को हायर सेंटर रेफर कर दिया है. बताया जाता है कि मरीज पहले कोरोना से संक्रमित था. ठीक होने के बाद उसे ब्लैक फंगस की समस्या होना बताया जा रहा है.

ब्लैक फंगस.
ब्लैक फंगस.
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Published : May 13, 2021, 6:23 PM IST

पीलीभीतः कोरोना काल के बीच अब ब्लैक फंगस के मामले भी बढ़ने लगे हैं. मेरठ, गाजियाबाद, कानपुर और वाराणसी जैसे बड़े शहरों के बाद अब पीलीभीत में ब्लैक फंगस का पहला मामला सामने आया है. जिले के एक निजी अस्पताल में ब्लैक फंगस का संदिग्ध मामला सामने आया है. बेहतर उपचार के लिए चिकित्सक ने मरीज को हायर सेंटर रेफर कर दिया है.

जानकारी देते नेत्र चिकित्सक.

शहर का रहने वाला युवक बीते दिनों कोरोना संक्रमित हो गए था. जिसे इलाज के लिए 22 अप्रैल को बरेली के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. चिकित्सकों द्वारा दिए गए उपचार के बाद 26 अप्रैल को मरीज स्वस्थ होकर घर वापस लौट आया. 10 दिन बाद ही मरीज को आंखों के पास सूजन और आंख के अंदर के हिस्से में लाल पन का अहसास हुआ. मरीज ने शहर के निजी अस्पताल के चिकित्सक से संपर्क किया. लक्षण देखकर नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विपिन साहनी को आभास हुआ कि मरीज को ब्लैक फंगस की शिकायत है. सिटी स्कैन करने के बाद मरीज को बेहतर उपचार के लिए दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में रेफर कर दिया.

निजी अस्पताल के डॉक्टर ने दी सलाह

पीलीभीत के जाने माने नेत्र रोग एक्सपर्ट डॉ. विपिन साहनी ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान मरीज को जो एस्टेरॉयड दिए जाते हैं. उससे शरीर की इम्युनिटी कम हो जाती है. आस-पास मौजूद वैक्टीरिया कम इम्युनिटी वाले रोगी के शरीर पर हावी हो जाते हैं और नुकसान देना शुरू कर देते हैं. डॉक्टर साहनी की मानें तो अगर समय रहते शुरुआती लक्षण मिलने पर डॉक्टर की सलाह ले ली जाए तो काम समय में ही ब्लैक फंगस से निजात मिल सकती है.

इसे भी पढ़ें- शवों का लग रहा ढेर, सीमा विवाद में उलझे रहे अधिकारी

क्या है ब्लैक फंगस

इसका वैज्ञानिक नाम है, म्यूकोरमाइकोसिस. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक, ये एक तरह का दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है. शरीर में ये बहुत तेजी से फैलता है. इससे आंखों की रोशनी जाती है. कई मामलों में मौतें भी हो रही हैं.

पीलीभीतः कोरोना काल के बीच अब ब्लैक फंगस के मामले भी बढ़ने लगे हैं. मेरठ, गाजियाबाद, कानपुर और वाराणसी जैसे बड़े शहरों के बाद अब पीलीभीत में ब्लैक फंगस का पहला मामला सामने आया है. जिले के एक निजी अस्पताल में ब्लैक फंगस का संदिग्ध मामला सामने आया है. बेहतर उपचार के लिए चिकित्सक ने मरीज को हायर सेंटर रेफर कर दिया है.

जानकारी देते नेत्र चिकित्सक.

शहर का रहने वाला युवक बीते दिनों कोरोना संक्रमित हो गए था. जिसे इलाज के लिए 22 अप्रैल को बरेली के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. चिकित्सकों द्वारा दिए गए उपचार के बाद 26 अप्रैल को मरीज स्वस्थ होकर घर वापस लौट आया. 10 दिन बाद ही मरीज को आंखों के पास सूजन और आंख के अंदर के हिस्से में लाल पन का अहसास हुआ. मरीज ने शहर के निजी अस्पताल के चिकित्सक से संपर्क किया. लक्षण देखकर नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विपिन साहनी को आभास हुआ कि मरीज को ब्लैक फंगस की शिकायत है. सिटी स्कैन करने के बाद मरीज को बेहतर उपचार के लिए दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में रेफर कर दिया.

निजी अस्पताल के डॉक्टर ने दी सलाह

पीलीभीत के जाने माने नेत्र रोग एक्सपर्ट डॉ. विपिन साहनी ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान मरीज को जो एस्टेरॉयड दिए जाते हैं. उससे शरीर की इम्युनिटी कम हो जाती है. आस-पास मौजूद वैक्टीरिया कम इम्युनिटी वाले रोगी के शरीर पर हावी हो जाते हैं और नुकसान देना शुरू कर देते हैं. डॉक्टर साहनी की मानें तो अगर समय रहते शुरुआती लक्षण मिलने पर डॉक्टर की सलाह ले ली जाए तो काम समय में ही ब्लैक फंगस से निजात मिल सकती है.

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क्या है ब्लैक फंगस

इसका वैज्ञानिक नाम है, म्यूकोरमाइकोसिस. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक, ये एक तरह का दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है. शरीर में ये बहुत तेजी से फैलता है. इससे आंखों की रोशनी जाती है. कई मामलों में मौतें भी हो रही हैं.

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