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पीलीभीत: विकास भवन में कोरोड़ों का घोटाला आया सामने, DM ने जांच के दिए आदेश

पीलीभीत में विकास भवन में करोड़ों रुपये के हेर-फेर का मामला सामने आया है. जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने मामले को संज्ञान में लिया और जांच करने के आदेश दिए हैं.

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पीलीभीत
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Published : Apr 29, 2020, 4:54 PM IST

पीलीभीत: जनपद लॉकडाउन के दौरान भी लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. पीलीभीत के विकास भवन के उच्च अधिकारियों ने कोरोना वायरस की आड़ में करोड़ों का घोटाला कर दिया. जब इस बात का भांडाफोड़ हुआ तो अधिकारियों ने सारा मामला दो बाबुओं पर डाल दिया. दोनों बाबुओं को सस्पेंड कर दिया गया है. इस मामले की जानकारी जब जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव को मिली तो उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए.

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विकास भवन, फाइल फोटो.

मामला पीलीभीत विकास भवन का है, जहां पर शासन स्तर से जनपद पीलीभीत के घुंघचिआई, मानपुर बीसलपुर, संतोषपुर, बिलगंवा पर अंत्येष्टि स्थल बनाने के लिए 97 लाख 19 हजार 640 रुपये 7 अगस्त 2019 में भेज गए थे. इसके साथ ही 17 लाख पंचायत भवन के निर्माण के लिए भी आए थे. विकास भवन के उच्च अधिकारियों ने शासन की मंशा पर पलीता लगाते हुए किसी भी अंत्येष्टि स्थल का निर्माण नहीं कराया. जब 31 मार्च को 97 लाख 19 हजार 640 रुपये लैप्स हो गए तो अधिकारियों ने मिलीभगत से अपनी लापरवाही को छिपाने के लिए अन्य मदों से 97 लाख 19 हजार 640 रुपये जारी कर दिए.

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जारी सूची.

दो बाबुओं को किया गया सस्पेंड
यह बात जब मीडिया में आई तो जिला विकास अधिकारी ने खुद को बचाने के लिए अपने विभाग के 2 बाबुओं हरिशंकर अग्रवाल और श्याम बहादुर सक्सेना को सस्पेंड कर दिया. उन पर आरोप लगाया कि इन बाबुओं ने मामला बिना उच्च अधिकारियों को बताए ही पैसा अन्य मदों से निकाल लिया. साथ ही कहा कि इतनी बड़ी धनराशि अधिकारियों के हस्ताक्षर के बिना ही अन्य मदों से निकाली गई.

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जारी किया गया पत्र.

जिलाधिरकारी ने दिए कार्रवाई के आदेश
इस मामले की सूचना जब जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव को हुई तो उन्होंने विकास भवन के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए शासन से शिकायत कर इस पूरे प्रकरण पर जांच के आदेश दिए. मामले की जानकारी देते हुए जिला अधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि विकास भवन के अधिकारियों की यह बड़ी लापरवाही है. इसकी जांच करवाई जा रही है और शासन से शिकायत भी की गई है.

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जारी किया गया पत्र.

पीलीभीत: जनपद लॉकडाउन के दौरान भी लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. पीलीभीत के विकास भवन के उच्च अधिकारियों ने कोरोना वायरस की आड़ में करोड़ों का घोटाला कर दिया. जब इस बात का भांडाफोड़ हुआ तो अधिकारियों ने सारा मामला दो बाबुओं पर डाल दिया. दोनों बाबुओं को सस्पेंड कर दिया गया है. इस मामले की जानकारी जब जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव को मिली तो उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए.

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विकास भवन, फाइल फोटो.

मामला पीलीभीत विकास भवन का है, जहां पर शासन स्तर से जनपद पीलीभीत के घुंघचिआई, मानपुर बीसलपुर, संतोषपुर, बिलगंवा पर अंत्येष्टि स्थल बनाने के लिए 97 लाख 19 हजार 640 रुपये 7 अगस्त 2019 में भेज गए थे. इसके साथ ही 17 लाख पंचायत भवन के निर्माण के लिए भी आए थे. विकास भवन के उच्च अधिकारियों ने शासन की मंशा पर पलीता लगाते हुए किसी भी अंत्येष्टि स्थल का निर्माण नहीं कराया. जब 31 मार्च को 97 लाख 19 हजार 640 रुपये लैप्स हो गए तो अधिकारियों ने मिलीभगत से अपनी लापरवाही को छिपाने के लिए अन्य मदों से 97 लाख 19 हजार 640 रुपये जारी कर दिए.

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जारी सूची.

दो बाबुओं को किया गया सस्पेंड
यह बात जब मीडिया में आई तो जिला विकास अधिकारी ने खुद को बचाने के लिए अपने विभाग के 2 बाबुओं हरिशंकर अग्रवाल और श्याम बहादुर सक्सेना को सस्पेंड कर दिया. उन पर आरोप लगाया कि इन बाबुओं ने मामला बिना उच्च अधिकारियों को बताए ही पैसा अन्य मदों से निकाल लिया. साथ ही कहा कि इतनी बड़ी धनराशि अधिकारियों के हस्ताक्षर के बिना ही अन्य मदों से निकाली गई.

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जारी किया गया पत्र.

जिलाधिरकारी ने दिए कार्रवाई के आदेश
इस मामले की सूचना जब जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव को हुई तो उन्होंने विकास भवन के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए शासन से शिकायत कर इस पूरे प्रकरण पर जांच के आदेश दिए. मामले की जानकारी देते हुए जिला अधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि विकास भवन के अधिकारियों की यह बड़ी लापरवाही है. इसकी जांच करवाई जा रही है और शासन से शिकायत भी की गई है.

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जारी किया गया पत्र.
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