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मुजफ्फरनगर: उत्तराखंड के लोगों ने 1994 नरसंहार की जांच के लिए SIT गठन की मांग की - muzaffarnagar latest news

मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा स्थित उत्तराखंड शहीद स्थल पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने 2 अक्टूबर 1994 की दर्दनाक घटना (पृथक राज्य आंदोलन) के शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान उत्तराखंडियों ने रामपुर गोलीकांड के आरोपियों को सजा दिलाने एवं महिलाओं के साथ हो रही सामूहिक दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर केंद्र सरकार से एसआईटी के गठन की मांग की.

प्रदर्शन करते उत्तराखंडी.
प्रदर्शन करते उत्तराखंडी.
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Published : Oct 3, 2020, 9:48 PM IST

मुजफ्फरनगर: शुक्रवार को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा स्थित उत्तराखंड शहीद स्थल पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने 2 अक्टूबर 1994 की दर्दनाक घटना के शहीदों को श्रद्धांजलि दी. वहीं शहीद स्मारक पर इकट्ठा हुए उत्तराखंडियों ने पिछले 26 वर्षों से लंबित रामपुर गोलीकांड आरोपियों को सजा दिलाने और देश में महिलाओं के साथ घट रही सामूहिक दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर केंद्र सरकार से एसआईटी के गठन की मांग की.


वर्ष 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान हुए नरसंहार एवं महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म की जांच के लिए एसआईटी टीम के गठन की मांग को लेकर उत्तराखंडियों ने उत्तराखंड एक है संस्था के तत्वाधान में मुजफ्फरनगर में उत्तराखंड शहीद स्मारक पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन किया. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हाथों में तख्तियों पर लिखे नारों और बैनर के माध्यम से रोष प्रकट करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया.

सामाजिक संस्था 1UK के अध्यक्ष अजय बिष्ट का कहना है कि देश में चल रही महिलाओं के साथ आजाद भारत में अपने पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए पृथक राज्य की मांग करने दिल्ली की ओर जा रहे थे. उन मासूम एवं शांति प्रिय देवभूमि के जनमानस की उस समय उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में प्रशासन द्वारा निर्मम हत्याएं की गईं. इतना ही नहीं मांग के लिए आ रही हमारी महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध भी किए गए. कई लोगों को ईंट के भट्टों में भी जिंदा जलाया गया. जो आज भी लापता की सूची में आते हैं. इस शर्मनाक एवं क्रूरतापूर्ण घटनाओं से पूरे भारतवर्ष का आम जनमानस आज भी आहत है. 25 वर्षों बाद भी मासूमों को न्याय नहीं मिल पाने से संपूर्ण उत्तराखंड राज्य के लोग आहत और रोष में हैं.

उन्होंने कहा कि बार-बार यह प्रश्न स्वयं से, समाज से, न्यायालय से और सरकारों से कर रहे हैं कि क्या भारत के संविधान में गरीबों के लिए न्याय नहीं है. अगर है तो क्या वह उत्तराखंड के जनमानस के लिए नहीं है. 25 वर्षों में भी 1994 की तमाम घटनाओं के दोषियों को सजा अभी तक क्यों नहीं हुई? उत्तराखंडी समाज कई सालों से न्याय की गुहार लगाते जंतर-मंतर दिल्ली पर आता रहा है. उस समय का वह बच्चा आज युवा हो चुका है. सभी लोग रोष में हैं कि आखिर 25 वर्षों में भी न्याय नहीं.

उन्होंने कहा कि ऐसी नरसंहार जैसी घटनाओं पर हमारे स्वतंत्र भारत में इस प्रकार की घटना वह भी प्रशासन द्वारा सुनियोजित तरीके से की गई, जोकि किसी भी रूप में स्वीकार नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि इस घटना की जांच के लिए जांच आयोग का गठन हो, ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा इसी पृथ्वी पर मिल सके. पीड़ित परिवारों को न्याय मिले और हम सभी का विश्वास अपने संविधान और न्यायपालिका पर बना रहे.

मुजफ्फरनगर: शुक्रवार को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा स्थित उत्तराखंड शहीद स्थल पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने 2 अक्टूबर 1994 की दर्दनाक घटना के शहीदों को श्रद्धांजलि दी. वहीं शहीद स्मारक पर इकट्ठा हुए उत्तराखंडियों ने पिछले 26 वर्षों से लंबित रामपुर गोलीकांड आरोपियों को सजा दिलाने और देश में महिलाओं के साथ घट रही सामूहिक दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर केंद्र सरकार से एसआईटी के गठन की मांग की.


वर्ष 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान हुए नरसंहार एवं महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म की जांच के लिए एसआईटी टीम के गठन की मांग को लेकर उत्तराखंडियों ने उत्तराखंड एक है संस्था के तत्वाधान में मुजफ्फरनगर में उत्तराखंड शहीद स्मारक पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन किया. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हाथों में तख्तियों पर लिखे नारों और बैनर के माध्यम से रोष प्रकट करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया.

सामाजिक संस्था 1UK के अध्यक्ष अजय बिष्ट का कहना है कि देश में चल रही महिलाओं के साथ आजाद भारत में अपने पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए पृथक राज्य की मांग करने दिल्ली की ओर जा रहे थे. उन मासूम एवं शांति प्रिय देवभूमि के जनमानस की उस समय उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में प्रशासन द्वारा निर्मम हत्याएं की गईं. इतना ही नहीं मांग के लिए आ रही हमारी महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध भी किए गए. कई लोगों को ईंट के भट्टों में भी जिंदा जलाया गया. जो आज भी लापता की सूची में आते हैं. इस शर्मनाक एवं क्रूरतापूर्ण घटनाओं से पूरे भारतवर्ष का आम जनमानस आज भी आहत है. 25 वर्षों बाद भी मासूमों को न्याय नहीं मिल पाने से संपूर्ण उत्तराखंड राज्य के लोग आहत और रोष में हैं.

उन्होंने कहा कि बार-बार यह प्रश्न स्वयं से, समाज से, न्यायालय से और सरकारों से कर रहे हैं कि क्या भारत के संविधान में गरीबों के लिए न्याय नहीं है. अगर है तो क्या वह उत्तराखंड के जनमानस के लिए नहीं है. 25 वर्षों में भी 1994 की तमाम घटनाओं के दोषियों को सजा अभी तक क्यों नहीं हुई? उत्तराखंडी समाज कई सालों से न्याय की गुहार लगाते जंतर-मंतर दिल्ली पर आता रहा है. उस समय का वह बच्चा आज युवा हो चुका है. सभी लोग रोष में हैं कि आखिर 25 वर्षों में भी न्याय नहीं.

उन्होंने कहा कि ऐसी नरसंहार जैसी घटनाओं पर हमारे स्वतंत्र भारत में इस प्रकार की घटना वह भी प्रशासन द्वारा सुनियोजित तरीके से की गई, जोकि किसी भी रूप में स्वीकार नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि इस घटना की जांच के लिए जांच आयोग का गठन हो, ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा इसी पृथ्वी पर मिल सके. पीड़ित परिवारों को न्याय मिले और हम सभी का विश्वास अपने संविधान और न्यायपालिका पर बना रहे.

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