मुजफ्फरनगर: जिले में 2013 में हुए दंगे के मामले में केंद्रीय पशुधन मंत्री डॉ. संजीव बालियान और पूर्व विधायक उमेश मलिक शुक्रवार को कोर्ट में पेश हुए है. मामले में बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने आरोप उनमोचन यानी डिस्चार्ज किए जाने के लिए प्रार्थना पत्र कोर्ट में लगाया हुआ था. केंद्रीय राज्यमंत्री सहित मामले में चौदह आरोपी हैं. वहीं, अब इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई के लिए 14 मार्च की तिथि निहित की है.
दरअसल मुजफ्फरनगर में जानसठ थाना क्षेत्र के कवाल गांव में 27 अगस्त 2013 को तीन हत्याओं के बाद नगला मंदौड़ के इंटर कॉलेज में शोक सभा आयोजन के लिए पंचायत बुलाई गई थी. उसके बाद थाना सिखेड़ा पुलिस ने केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ संजीव बालियान सहित चौदह लोगों के विरुद्ध भड़काऊ भाषण, निषेधाज्ञा उल्लंघन 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की गई थी. इस मामले में आरोपियों में कई पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद और पूर्व विधायक शामिल हैं.
बता दे की इस घटना के मुकदमे की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रेक मयंक जायसवाल की कोर्ट में चल रही है. इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से आरोप उनमोचन के लिए प्रार्थना पत्र लगाया गया है और फाइल आरोप तय करने में चल रही है. बचाव पक्ष की ओर प्रस्तुत किए गए प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि चौदह मार्च निहित की है
इसके अलावा मुजफ्फरनगर में सिविल बार एसोसिएशन से जुड़े अधिवक्ताओं से केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने पूर्व विधायक उमेश मलिक, वेलफेयर अध्यक्ष पीजेंट सुभाष चौधरी के साथ मुलाकात की. अधिवक्ताओं ने केंद्रीय मंत्री का ध्यान भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामलों पर कराया गया और उसके बाद अधिवक्ताओं द्वारा केंद्रीय मंत्री के समक्ष यह मांग रखी गई की राज्य सरकार द्वारा 4 अगस्त 2022 को जारी अधिसूचना को निरस्त फरमा कर पूर्व की भांति ही भूमि अधिग्रहण से संदर्भित अपीलों का निस्तारण जल्द से जल्द किया जाए. डॉ. संजीव बालियान द्वारा सभी अधिवक्ताओं को आश्वासन दिया गया कि वह इस संबंध में अपने स्तर से आवश्यक कार्रवाई करने की कोशिश करेंगे।
आपको बता दे की पूर्व में भूमि अधिग्रहण से संबंधित सभी अपील संबंधित जनपद न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत की जाती थी. लेकिन उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 4 अगस्त 2022 को जारी अधिसूचना में प्रस्तावित किया गया है, की भूमि अधिग्रहण की अपील सुनवाई के लिए एक या दो मंडल को इकट्ठा कर एक नवगठित प्राधिकरण के द्वारा निस्तारित कराए जाने की व्यवस्था की गई थी.
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