मुजफ्फरनगर: कोरोना संकट में फंसे कुम्हारों के लिए आशा की किरण लेकर आया है उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड. ईटीवी भारत ने इससे पहले कुम्हारों की दयनीय स्थिति पर स्पेशल स्टोरी 'लॉकडाउन की मार से बदहाल हो रहे गरीब कुम्हार' प्रमुखता से प्रकाशित की थी. आज ईटीवी भारत की टीम ने उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड के चेयरमैन धर्मवीर प्रजापति से बातचीत की.
बातचीत के दौरान चेयरमैन धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार ने आजादी के बाद पहली बार माटी कला बोर्ड का गठन किया है. उन्होंने कहा कि हम सभी लोग माटी कला से जुड़े परिवारों के चयन की प्रक्रिया में लगे हुए हैं. इसमें लगभग 24 हजार लोगों के नाम हमारे पास आ चुके हैं. इन सब लोगों को माटी कला बोर्ड 24 हजार की लागत का इलेक्ट्रॉनिक चाक नि:शुल्क वितरण कर रहा है. जो व्यक्ति हाथ से उत्पादन कर रहे थे, वह अब मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उत्पादन करेंगे.
चेयरमैन ने कहा कि कोरोना संकट में आम लोगों ने फ्रिज का पानी नहीं पीकर घड़ों का पानी पीने में इस्तेमाल किया है. इससे सबसे अधिक घड़ों की बिक्री हुई है, लेकिन लॉकडाउन में अन्य उत्पादित मिट्टी के बर्तनों की बिक्री नहीं हुई है.
मिट्टी के चायनीज उत्पादों को करना है खत्म
चेयरमैन ने कहा कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और माटी कला बोर्ड का प्रयास है कि बाजार में उपलब्ध मिट्टी के चायनीज उत्पादों के बजाय स्वदेशी मिट्टी के उत्पादों को बढ़ावा मिले. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद के खुर्जा में भी इसकी फैक्ट्रियां लगी हैं. इस बार माटी कला बोर्ड की सक्रियता के कारण अन्य जिलों में भी माटी कला बोर्ड से जुड़े उद्योग लग रहे हैं. मैनपुरी, बुंदेलखंड और पूर्वांचल आदि में उद्योग लगाए गए हैं. मिट्टी के दीये और मूर्ति बनाने वालों को माटी कला बोर्ड डाई और कलर करने वाली प्रेशर मशीन नि:शुल्क वितरित कर रहा है. चेयरमैन ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि चायनीज उत्पादों को भारत से खत्म करें.