चंदौली: जिले में पंचायत के प्रतिनिधि विकास की गंगा बहाने का दावा करते हैं. लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर है. जिले में कहीं ड्रेनेज सिस्टम ना होने के चलते फसल खराब हो रही है तो कहीं बिना पानी ही फसलें सूख जा रही हैं. यही नहीं विकास की गाड़ी दौड़ाने के लिए सड़के तो बनी हैं, लेकिन तीन महीने में ही गड्ढे में तब्दील हो गईं. ऐसे में जिले की जनता को आज भी वास्तविक विकास की दरकार है.
विकास की रफ्तार आगे बढ़ाने का जिम्मा कहते है कि सड़कों पर होता है, लेकिन जब इस पर भ्रष्टाचार लेप चढ़ जाए तो विकास औंधे मुंह गिर पड़ता है. जिला पंचायत कोटे से बनी सकलडीहा क्षेत्र में सड़क की हालत देखकर कमीशनखोरी का अंदाजा खुद-ब-खुद हो जाएगा. ग्रामीणों की माने जिला पंचायत की यह सड़क 1 साल पूर्व ही बनाई गई थी. लेकिन 3 महीने बाद ही सड़क से गिट्टी अलग हो गई है. आज हालात यह है कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क यह बता पाना भी मुश्किल हो रहा है. गड्ढे के चलते आए दिन लोग दुर्घटना का शिकार होते हैं. कभी-कभी तो लोग नहर में भी गिर जाते हैं.
अब हम आपको जिले की ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे हैं, जिसे देखकर आपको विकास की असली हकीकत समझ में आ जाएगी और आप इस सोच में पड़ जाएंगे कि 21वीं सदी के भारत की तस्वीर है, जहां लोगों को अपने घर से खेत जाने के लिए जान जोखिम में डालना पड़ता है. तस्वीर सदर विकास खंड हलुआ गांव की है, जहां एक ओर गांव की आबादी बसी है तो दूसरे छोर पर खेत है. सभी को रोजाना इस पार से उस पार जाना पड़ता है. बच्चे महिलाएं और बुजुर्ग इस अव्यवस्थित पुलिया से होकर रोजाना गुजरते हैं. कभी-कभी दुर्घटनाग्रस्त होकर चोटिल भी हो जाते हैं.
सपा सरकार में तत्कालीन सांसद रामकिशुन यादव के प्रयास से यहां छोटी पुलिया का निर्माण कराया गया था, जिससे लोगों का आवागमन आसान हो गया. लेकिन कुदरत के कहर बाढ़ के चलते वह भी धराशाई हो गया. अब पुल ना होने के चलते लोगों को 7 किलोमीटर लंबा सफर तय करना पड़ता है. इसके समाधान के लोग लगातार जनप्रतिनिधियों से संपर्क करते हैं. लेकिन जिला पंचायत इसे बनवाने की बजाए बजट का रोना रो रहे हैं.