चंदौली: जिले में पुलिस ने एक अपहरण मामले में सनसनीखेज खुलासा किया है. जांच में पता चला की देनदारों से जान छुड़ाने व बकाया रकम अदा न करना पड़े, इसके लिए गोरखनाथ गुप्ता ने खुद के अपहरण की साजिश रची. यहीं नहीं गिरफ्तार अभियुक्त ने अपने पत्नी को भी अंधेरे में रखा. फोन के जरिये देनदारों के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करवा दी, ताकि पैसा भी न देना पड़े और जेल भी भेज दिया जाए. पुलिस इस मामले में आरोपी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.
पुलिस ने दर्ज किया था अपहरण का मुकदमा
दरअसल पूरा मामला कंदवा थाना क्षेत्र का है, जहां 6 जुलाई को अनिता गुप्ता ने अपने पति गोरखनाथ गुप्ता के अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया है. इसमें इमिलिया गांव निवासी उपेंद्र सिंह और उनके बेटे विवेक सिंह पर शक जताया, जिसके बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज जांच भी शुरू की. इसी बीच पुलिस ने सर्विलांस व अन्य माध्यमों से जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर गोरखनाथ को बरहनी के पास से धर-दबोचा.
ऐसे रची साजिश
सीओ सदर कुंवर प्रभात सिंह में बताया की औरेया पट्टी निवासी गोरखनाथ गुप्ता ने उपेंद्र सिंह से धान क्रय किया था, जिसका कुछ भुगतान तत्काल कर दिया. वहीं तीन लाख 82 हजार रुपये बकाया था. धान की बोआई का सीजन शुरू होने पर उपेंद्र सिंह रुपये वापस देने के लिए लगातार गोरखनाथ पर दबाव बना रहा था.
जांच में हुआ खुलासा
इसी बीच एक जुलाई को पत्नी से पैसे का बंदोबस्त करने के लिए सैयदराजा जाने की बात कहकर गोरखनाथ घर से निकला. कुछ देर बाद अपनी पत्नी अनीता गुप्ता को फोनकर बताया कि एक लाख 20 हजार रुपये का बंदोबस्त हो चुका है. लेकिन कार सवार उपेंद्र व उसका लड़का मेरे पीछे पड़े हुए हैं. इतना कहकर गोरखनाथ ने फोन काट दिया. इसके बाद किसी अनहोनी की आशंका पर पत्नी अनीता छह जुलाई को कंदवा थाने पहुंची और अपने पति के गायब होने का संदेह व्यक्त करते हुए, उपेंद्र सिंह व उसके पुत्र विवेक सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी. इसके बाद पुलिस मामले की लगातार तफ्तीश कर रही थी.
तफ्तीश में इन दोनों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला. इसी बीच कंदवा थाना प्रभारी तेज बहादुर सिंह ने मुखबिर की सूचना पर बरहनी के पास से गोरखनाथ को पकड़ा. पूछताछ में बताया कि अपहरण का षड्यंत्र रचने के बाद वह गाजीपुर चला गया, ताकि अपहरण के मामले में उपेंद्र व उसका बेटा जेल चले जाएं और उसे पैसा न देना पड़े. बताया जा रहा है कि गोरखनाथ ने सिर्फ उपेंद्र सिंह ही नहीं, बल्कि आस-पास के गांव के कई लोगों का धान खरीद चुका है, लेकिन उनका भुगतान नहीं किया.