चन्दौलीः बिहार स्थित मुंडेश्वरी धाम पर आयोजित यज्ञ के शामिल होने जा रहे बीजेपी सांसद मनोज तिवारी शुक्रवार को डीडीयू जंक्शन पर उतरे. यहां बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया. इस दौरान सांसद ने रामचरितमानस का विरोध करने वालों को रावण बताया और कहा कि समय आने पर जवाब दिया जाएगा.
मीडिया से बात करते हुए सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि 'हम लोग जिस रामराज्य स्थापना की बात करते हैं. वह सभी वर्गों के विकास की बात करते हैं. ऐसे आराध्य भगवान राम और रामचरितमानस का कोई सवाल उठाता है तो मुझे रावण की याद आती है. हर युग में रावण है. इस युग में रावण इस पर (रामचरित मानस) सवाल उठाने वाले बन गए.'
सांसद ने विरोधियों की तुलना रावण से करते हुए चेताया और कहा, 'यहां घर-घर लंका बनी हुई है. अयोध्या कहां बसाए. गली-गली में रावण बसे है, इतने राम कहां से लाए. अब लोगों को अपने अंदर राम जगाने की जरूरत है. ये लोग योजनाबद्ध तरीके से सनातम धर्म का अनादर कर रहे हैं. समय आने पर जनता इनसे मिलेगी और इसका जवाब देगी.'
वहीं, बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री के विवाद पर मनोज तिवारी ने कहा कि वे भी भगवान राम, हनुमान समेत अन्य देवी-देवताओं का जाप करने की संज्ञा दे रहे हैं. यदि उनके कहने से लोगों पर ईश्वर की कृपा हो रही है तो किसी के पेट मे क्यों हो रहा दर्द हो रहा है. वे सिर्फ ईश्वर का जाप करने के लिए कहते हैं. इससे लोगों के मन को शांति मिलती है. वो किसी को बुलाने तो जाते नहीं, जिसकी इच्छा हो वो जाए ना इच्छा हो मत जाए. उनका विरोध सिर्फ इसलिए हो रहा है, क्योंकि वे सनातन का नाम जगा रहे हैं. बागेश्वर सरकार किसी धर्म के विरोधी नहीं बल्कि अपने धर्म का प्रचार कर रहे हैं.
इसके अलावा मुंडेश्वरी धाम की महिमा का वर्णन करते हुए कहा सांसद ने कहा कि देश के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुंडेश्वरी देवी मंदिर का कार्बन डेटिंग करवाया. प्राथमिक जांच में यह पता चला कि यह मूर्ति 2500 साल वर्ष पुरानी है. लेकिन आशंका है कि ये 7000 साल पुरानी हो सकती है. इसे आगामी दिनों में इतिहास के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. उन्होंने इस मंदिर के प्रति आस्था जताते हुए कहा कि इसी मंदिर गाना गाकर उन्हें आज यह मुकाम हासिल हुआ. इसके बाद मां मुंबा ने भी उन्हें स्नेह दिलाया. इस दौरान सांसद ने लोगों से आह्वान किया कि कभी मौका मिले तो कैमूर की पहाड़ी पर स्थित मुंडेश्वरी धाम अवश्य जाएं.
ये भी पढ़ेंः Politics of Uttar Pradesh : 1990 के बाद यूपी में एक बार फिर मंडल और कमंडल की टकराहट, जानिए इस दांव में कितना दम