कानपुर : अक्सर सुनने और देखने को मिलता है कि गरीबी के कारण लोग पढ़ लिख नहीं पाते हैं. देश भर में निशुल्क शिक्षा देने के लिए कई समाजसेवी बच्चों को फ्री में शिक्षा देने के बारे में सोचते हैं और इसे अपने जीवन का लक्ष्य बना लेते हैं. आज हम आपको एक ऐसे युवा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने बच्चों को शिक्षित करने का फैसला किया और एक पेड़ के नीचे पांच बच्चों से शिक्षा की अलख जगानी शुरू की और आज वह 300 बच्चों को फ्री शिक्षा दे रहे हैं. आइए जानते हैं कौन हैं उद्देश्य सचान जिन्होंने 'गुरुकुलम' की शुरुआत की?
कई परीक्षाओं में किया टॉप : ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान शिक्षक व 'गुरुकुलम' के संस्थापक उद्देश्य सचान ने बताया कि, वह निम्न परिवार से आते हैं. उन्होंने बताया कि बात तब की है जब वह कक्षा-3 में पढ़ते थे. उस समय उनकी फीस न जमा होने के कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया था. इसके बाद उनका मन काफी विचलित हो गया. मन मे एक सवाल आया कि बताओ मुझे फीस की वजह से स्कूल से निकाल दिया गया. जैसे भी करके उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. उन्होंने कुछ समय बाद एक बात तो समझ आ गई थी कि पढ़ाई के साथ स्किल भी जरूरी है. उन्होंने कई परीक्षाओं में टॉप भी किया, लेकिन क्रिटिकल थिंकिंग की वजह से उनका किसी कंपनी में चयन न हो सका.
उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा भी आया कि वह फैक्ट्री और होटल में काम करने पर मजबूर हो गए. दिमाग में आया कि जब स्किल के कारण उन्हें इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो आखिर ऐसे और कितने बच्चे हैं जोकि स्कूल के कारण भटक रहे हैं और उन्हें शिक्षा नहीं मिल पा रही है. दिमाग में आया कि वह अपनी शिक्षा को समाज के काम में लगाएंगे और एक ऐसे स्कूल की शुरुआत करेंगे जो शिक्षा के साथ स्किल में बदलाव ला सके. इसके बाद उनके इस सफर की शुरुआत हुई. इस दौरान उन्होंने देखा कि झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले कई परिवार अपने बच्चों को शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं. साथ ही कई अन्य तकलीफों से भी गुजर रहे हैं. उस वक्त फैसला किया कि वह एक ऐसा स्कूल बनाएंगे जो खुशियां बांटेगा, जहां पर शिक्षा से वंचित बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाएगी.
पांच बच्चों से शुरू हुआ सफर 300 तक पहुंचा : उन्होंने बताया कि, उनके सफर की शुरुआत साल 2019 में हुई. जहां पर उन्होंने पांच बच्चों को पेड़ के नीचे शिक्षा देनी शुरू की. जिस वक्त उन्होंने यह फैसला लिया था तो उन्हें पता था कि यह सफर आसान नहीं होगा. क्योंकि किसी भी एक सामान्य व्यक्ति के लिए एक स्कूल खोलना आसान काम नहीं है. धीरे-धीरे शुरू हुआ उद्देश्य का यह सफर पहले 5 से 10 और फिर 10 से 70 तक पहुंचा और धीरे-धीरे इसकी संख्या बढ़ती चली गई. साल 2021 में उन्होंने एक कमरा किराए पर लिया और उसमें पढ़ाना शुरू किया. इसके बाद उन्होंने एक गुरुकुलम संस्था की नींव रखी, जिसे खुशियों वाले स्कूल के नाम से भी जाना जाता है.
गुरुकुलम में पांच शिक्षक : उन्होंने बताया कि, आज जहां पर 300 बच्चों को निशुल्क शिक्षा मिल रही है. बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्होंने एक नहीं बल्कि पांच टीचर भी रखे हुए हैं जोकि बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ बेहतर स्किल भी प्रोवाइड कर रहे हैं. इस स्कूल की अगर हम बात करें तो इसमें बच्चों को भविष्य में आगे बढ़ाने के लिए भी आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है, ताकि बड़े होकर वह अपने भाग्य का निर्माण खुद कर सकें. उन्होंने बताया कि जो चीज उनके साथ हुई वह बच्चों के साथ न हो, इसके लिए शिक्षा के अलावा वह बिजनेस स्किल, मोरल स्टडीज, लाइफ हैक्स थिएटर जैसे प्रैक्टिकल विषयों का भी यहां ज्ञान दिया जा रहा है.
8वीं तक के बच्चों को मिल रही निशुल्क शिक्षा : उन्होंने बताया कि गुरुकुल की जो शिक्षा व्यवस्था थी जहां पर बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्य के बारे में सिखाया जाता था, कुछ इस ही मॉडल ट्रेंड पर हमने इस संस्था का नाम गुरुकुलम रखा है. हम यहां पर क्लास 8वीं तक बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं, उन्हें शिक्षा ही नहीं बल्कि हम म्यूजिक, डांस, बांसुरी, हारमोनियम, कंप्यूटर भी सीखा रहे हैं, ताकि शिक्षा के साथ उनका स्किल भी बेहतर हो और वह मनोरंजन भी कर सकें. समय-समय पर हम यहां पर कंपटीशन भी करते हैं. सच कहूं तो इस काम को करने के बाद मुझे काफी ज्यादा सुकून मिलता है.
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