चंदौलीः अपर सत्र न्यायाधीश-1 जगदीश प्रसाद की अदालत ने हत्या के मामले की सुनवाई करते हुए दो आरोपियों को दोषी करार दिया. न्यायालय ने दोषियों को आजीवन कारावास के साथ 20-20 हजार रुपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई. अर्थदण्ड की धनराशि का भुगतान न करने पर प्रत्येक अभियुक्त को एक-एक वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. इसके अतिरिक्त न्यायालय ने दोषियों को साक्ष्य मिटाने का भी दोषी पाया और तीन-तीन वर्ष की कठोर सजा तथा पांच-पांच हजार रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया. अर्थदण्ड न देने पर दोनों को तीन-तीन माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी. साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने पांच अन्य को बरी कर दिया.
राजेंद्र यादव की पुत्री चंद्रकला उर्फ उर्मिला की शादी 2018 चकिया थाना क्षेत्र के पंचफेड़िया निवासी पंकज के साथ हुई थी. शादी के बाद चंद्रकला ने सात अगस्त 2018 को मां को फोन कर बताया कि उसके पति, सास, ससुर, जेठ, ननद ने काफी मार-पीटा और दहेज में पचास हजार रुपये मांगे. नौ दिसंबर 2018 को चंद्रकला का पति पंकज ससुर राजेंद्र के घर पहुंचा और बताया कि चंद्रकला को इलाज के लिए वह चकिया सरकारी अस्पताल गया था जहां से चंद्रकला कहीं चली गई.
मायके वालो को सूचना मिली कि ससुराल वालों ने दहेज के लिए मारपीट कर उसकी हत्या कर दी. शव को गंगा में फेंक दिया गया. मृतका के पिता की तहरीर पर चकिया थाने में धारा-498 ए, 304 बी, 3/4 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ. इस मामले विवाहिता के पति पंकज व भाई रामाज्ञा को हत्या और सुबूत मिटाने के आरोप में दोषी पाया गया. दोनों को आजीवन कारावास के साथ 20-20 हजार रुपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई.
इस दौरान विचारण दहेज उत्पीड़न व दहेज मांगना साबित नहीं हुआ. लिहाजा न्यायालय ने आरोपी रामनरेश, तीजा देवी, सुरेन्द्र बीडीसी, महेंद्र एवं रामाश्रय को दोषमुक्त करार दिया. अभियोजन की ओर से मुकदमे की पैरवी अपर जिला शासकीय अधिवक्ता संजय कुमार त्रिपाठी ने की.
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