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चन्दौली लोकसभा सीट: जहां दिग्गजों ने खाई थी पटखनी, देखें रिपोर्ट

चंदौली लोकसभा सीट चुनाव के नजरिए से हमेशा खास रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां की जनता विकास कार्य और प्रत्याशी के लोक सामंजस्य को ध्यान में रखकर वोट देती है और ज्यादातर चुनाव दर चुनाव एक नए चेहरे को मौका देती है.

राजनीतिक जानकर डॉ अनिल यादव
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Published : May 14, 2019, 9:32 AM IST

Updated : May 14, 2019, 10:09 AM IST

चन्दौली : धान के कटोरे के रूप में अपनी खास पहचान रखने वाली चन्दौली संसदीय क्षेत्र की जनता ने बड़े-बड़े दिग्गजों को चुनावी मैदान में पटखनी दी है. जिसमें समाजवाद के प्रणेता डॉ राम मनोहर लोहिया, पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी, हिंदी साहित्यकार नामवर सिंह समेत तमाम दिग्गजों को यहां मुंह की खानी पड़ी. इस बार गठबंधन प्रत्याशी डॉ. संजय चौहान, यूपी बीजेपी अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडेय के सामने चुनावी मैदान है. ऐसे में देखना होगा कि इस बार के चुनाव में यहां की जनता एक बार फिर दिग्गजों वाले इतिहास को दोहराती है, या फिर मोदी नाम के सहारे नैय्या पार लगाती है.

जानें क्यों चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण है चंदौली लोकसभा सीट
  • चुनाव के लिहाज से चंदौली लोकसभा संसदीय सीट बेहद खतरनाक है.
  • कई दिग्गज नेताओं का यहां की जनता ने भ्रम तोड़ते हुए पटखनी दी और आईना दिखाया. हारे हुए नेताओं में कई चर्चित व्यक्ति शामिल हैं.
  • जानकार मानते हैं कि यहां के लोगों की राजनीतिक दूरदर्शिता उन्हें इस प्रकार का बल देती है कि हर पांच साल पर विकास को देखेत हुए प्रमुखता बदल दी जाती है.
  • इस बार भाजपा से दिग्गज नेता व प्रत्याशी डां. महेन्द्र नाथ पाण्डेय को गठबंधन के प्रत्याशी डाॅ. संजय चौहान चुनौती दे रहे हैं.

हारने वाले दिग्गजों की सूची:

इस चंदौली लोकसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पहले सांसद त्रिभुवन सिंह, देश भर में समाजवाद की अलख जगाने वाले राम मनोहर लोहिया, हिंदी साहित्य के मूर्धन्य कवि डॉ नामवर सिंह, जिले के विकास पुरुष के नाम से चर्चित पं कमलापति त्रिपाठी, जनता पार्टी सरकार में निवर्तमान केंद्रीय मंत्री रहे नरसिंह यादव, कमलापति त्रिपाठी के बेटे राजेश पति त्रिपाठी और बहू चंद्रा त्रिपाठी को चन्दौली में हार का सामना करना पड़ा था.

हालांकि जानकारों की मानें तो महागठबंधन बीजेपी के बड़ी चुनौती तो है, लेकिन राम मनोहर लोहिया, डॉ नामवर सिंह व कमलापति त्रिपाठी समेत राजनीतिक हस्तियां के पीछे बड़ा संगठन नहीं था. लोहिया अपने शुरुआती दौर का चुनाव लड़े थे, जबकि नामवर सिंह के साथ किसी बड़ी पार्टी का नाम और संगठन नहीं जुड़ा था.

वहीं महेंद्र नाथ पाण्डेय की बात करें तो उनके साथ ऐसा नहीं है. उन्हें चुनाव जीताने को लेकर पूरी बीजेपी और सरकार के लोग सक्रिय है. अंतिम चरण में होने वाले चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. उनके समर्थन में बीजेपी आरएसएस के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर लगे हुए हैं, तो वहीं उनके पक्ष में जनसभा को संबोधित करने खुद पीएम मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम समेत तमाम मंत्री व नेता चुनावी तैयारियों में जुटे हैं.

चन्दौली : धान के कटोरे के रूप में अपनी खास पहचान रखने वाली चन्दौली संसदीय क्षेत्र की जनता ने बड़े-बड़े दिग्गजों को चुनावी मैदान में पटखनी दी है. जिसमें समाजवाद के प्रणेता डॉ राम मनोहर लोहिया, पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी, हिंदी साहित्यकार नामवर सिंह समेत तमाम दिग्गजों को यहां मुंह की खानी पड़ी. इस बार गठबंधन प्रत्याशी डॉ. संजय चौहान, यूपी बीजेपी अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडेय के सामने चुनावी मैदान है. ऐसे में देखना होगा कि इस बार के चुनाव में यहां की जनता एक बार फिर दिग्गजों वाले इतिहास को दोहराती है, या फिर मोदी नाम के सहारे नैय्या पार लगाती है.

जानें क्यों चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण है चंदौली लोकसभा सीट
  • चुनाव के लिहाज से चंदौली लोकसभा संसदीय सीट बेहद खतरनाक है.
  • कई दिग्गज नेताओं का यहां की जनता ने भ्रम तोड़ते हुए पटखनी दी और आईना दिखाया. हारे हुए नेताओं में कई चर्चित व्यक्ति शामिल हैं.
  • जानकार मानते हैं कि यहां के लोगों की राजनीतिक दूरदर्शिता उन्हें इस प्रकार का बल देती है कि हर पांच साल पर विकास को देखेत हुए प्रमुखता बदल दी जाती है.
  • इस बार भाजपा से दिग्गज नेता व प्रत्याशी डां. महेन्द्र नाथ पाण्डेय को गठबंधन के प्रत्याशी डाॅ. संजय चौहान चुनौती दे रहे हैं.

हारने वाले दिग्गजों की सूची:

इस चंदौली लोकसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पहले सांसद त्रिभुवन सिंह, देश भर में समाजवाद की अलख जगाने वाले राम मनोहर लोहिया, हिंदी साहित्य के मूर्धन्य कवि डॉ नामवर सिंह, जिले के विकास पुरुष के नाम से चर्चित पं कमलापति त्रिपाठी, जनता पार्टी सरकार में निवर्तमान केंद्रीय मंत्री रहे नरसिंह यादव, कमलापति त्रिपाठी के बेटे राजेश पति त्रिपाठी और बहू चंद्रा त्रिपाठी को चन्दौली में हार का सामना करना पड़ा था.

हालांकि जानकारों की मानें तो महागठबंधन बीजेपी के बड़ी चुनौती तो है, लेकिन राम मनोहर लोहिया, डॉ नामवर सिंह व कमलापति त्रिपाठी समेत राजनीतिक हस्तियां के पीछे बड़ा संगठन नहीं था. लोहिया अपने शुरुआती दौर का चुनाव लड़े थे, जबकि नामवर सिंह के साथ किसी बड़ी पार्टी का नाम और संगठन नहीं जुड़ा था.

वहीं महेंद्र नाथ पाण्डेय की बात करें तो उनके साथ ऐसा नहीं है. उन्हें चुनाव जीताने को लेकर पूरी बीजेपी और सरकार के लोग सक्रिय है. अंतिम चरण में होने वाले चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. उनके समर्थन में बीजेपी आरएसएस के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर लगे हुए हैं, तो वहीं उनके पक्ष में जनसभा को संबोधित करने खुद पीएम मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम समेत तमाम मंत्री व नेता चुनावी तैयारियों में जुटे हैं.

Intro:चन्दौली - धान के कटोरे के रूप में अपनी खास पहचान रखने वाली चन्दौली संसदीय क्षेत्र की जनता ने बड़े बड़े दिग्गजों को चुनावी मैदान में पटखनी दी है. जिसमें समाजवाद के प्रणेता डॉ राम मनोहर लोहिया, पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी, हिंदी साहित्यकार नामवर सिंह समेत तमाम दिग्गजों को यहां मुंह की खानी पड़ी है. इस बार गठबंधन प्रत्यासी डॉ संजय चौहान यूपी बीजेपी अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडेय के सामने चुनावी मैदान है. ऐसे में देखना होगा कि इस बार के चुनाव में यहां की जनता एक बार फिर दिग्गज़ों वाले इतिहास को दोहराती है. या फिर मोदी नाम के सहारे नैय्या पार लगाती है...


Body:जानकारों की माने तो चन्दौली संसदीय सीट चुनाव के लिहाज से बेहद खतरनाक सीट है. इस चंदौली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पहले सांसद त्रिभुवन सिंह चुनाव हार गए. देश भर में समाजवाद की अलख जगाने वाले राम मनोहर लोहिया हारे, हिंदी साहित्य के मूर्धन्य कवि डॉ नामवर सिंह को चुनाव मैदान पटखनी मिली. यहीं नहीं इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री, रेलमंत्री जिले के विकास पुरुष के नाम से चर्चित पं कमलापति त्रिपाठी भी चुनाव हार गए. जनता पार्टी सरकार में निवर्तमान केंद्रीय मंत्री रहे नरसिंह यादव को हार का सामना करना पड़ा था. कमलापति त्रिपाठी ही नहीं उनके बेटे राजेश पति त्रिपाठी और बहू चंद्रा त्रिपाठी को चन्दौली में हार का सामना करना पड़ा था.


राजनीतिक जानकर डॉ अनिल यादव की माने तो इस हार के पीछे यहां के लोगों की राजनीतिक दूरदर्शिता भी है. केंद्र में जिस पार्टी या सहयोगी पार्टी की सरकार बनती है. उसी पार्टी का नेता चन्दौली की जनता चुनकर यहां से जनता भेजती है.


इस बार भी चुनावी मैदान बीजेपी के दिग्गज नेता डॉ महेंद्र नाथ पांडेय चंदौली से चुनावी मैदान में है.सपा बसपा गठबंधन के बाद संयुक्त प्रत्यासी डॉ संजय चौहान के रूप में बड़ी चुनौती है.

हालांकि जानकारों की माने तो महागठबंधन बीजेपी के बड़ी चुनौती तो है लेकिन लेकिन राम मनोहर लोहिया,डॉ नामवर सिंह व कमलापति त्रिपाठी समेत राजनीतिक हस्तियां के पीछे बड़ा संगठन नहीं था. लोहिया जी अपने शुरुआती दौर का चुनाव लड़े थे जबकि नामवर सिंह के साथ किसी बड़ी पार्टी का नाम और संगठन नहीं जुड़ा था.

महेंद्र पांडेय की बात करें तो उनके साथ ऐसा नहीं है. उन्हें चुनाव जीताने को लेकर पूरी बीजेपी और सरकार के लोग सक्रिय है. अंतिम चरण में होने वाले चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. उनके समर्थन में बीजेपी आरएसएस के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर लगे हुए है, तो वहीं उनके पक्ष में जनसभा को संबोधित करने खुद पीएम मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम समेत तमाम मंत्री व नेता चुनावी तैयारियों में जुटे है.


ऐसे में ये देखना होगा कि महागठबंधन के सामने चन्दौली से महेंद्र पांडेय की नैया पार लगती है या फिर चंदौली में दिग्गजों का इतिहास एक बार दोहराता जाता है


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कमलेश गिरी चन्दौकि
7080902460


Conclusion:
Last Updated : May 14, 2019, 10:09 AM IST
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